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चंद्रायण-2 के मिशन की निर्देशक, ऋतु करिधाल कहती है, " चंद्रायण-2 कि चांद पर लैंडिंग हमें उस तकनीक को तैयार करने में मदद करेगी जिससे हम दूसरे ग्रहों में जीवन ढूंढने का प्रयास कर सके. यह हमारी ग्रहों पर जीवन की खोज का पहला कदम होगा."
चंद्रायण-2, चंद्रायण-1 के बाद भारत का दूसरा लूनर एक्सप्लोरेशन मिशन है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के द्वारा बनाया गया जियोसिंक्रोनस सैटलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III के द्वारा इस मिशन को चांद पर उतारा जाएगा. इस मिशन में शामिल हुए चंद्र मून, लैंडर और रोवर का विकास भारत में ही हुआ है.
करिधाल का कहना है, " हमने ऐसी चुनौतीपूर्ण मिशन पर पहले भी काम किया है. लोगों से मिल रहे सहयोग कि मैं आभारी हूं, परंतु इससे पहले का एयरक्राफ्ट मीशन भी मेरे लिए उतना ही महत्वपूर्ण था." ऋतु जी वादा करती है कि वह आज की लड़कियों के लिए साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में प्रेरणा बनेंगी.
लखनऊ से चांद तक का सफर
ऋतु जी की परवरिश लखनऊ के एक सामान्य घर में हुई है. उन्होंने अपनी पढ़ाई नवयुग गर्ल्स कॉलेज और लखनऊ यूनिवर्सिटी से पूरी की है. 1997 में उन्होंने अपनी फिजिक्स डॉक्टरेट भी लखनऊ यूनिवर्सिटी से शुरू की. बाद में वह भारत विज्ञान संस्थान, बंगलुरु और उसके बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) से जुड़ी. दो दशक लंबा करियर उनकी निष्ठा, जुनून और सफलता दर्शाता है.
परिवार का स्नेह और सहयोग
ऋतु अपने परिवार के सहयोग को महत्वपूर्ण बताती है. उनका कहना है कि देर काम के बाद भी वह जब घर पहुंचती है तो उनके बच्चे और परिवार उन्हें स्नेह सहित स्वीकारते हैं. शीदपीपल से इंटरव्यू के दौरान वह कहती है," आमतौर पर मैं घर लेट पहुंचती हूं, लगभग 8:00 बजे तक, घर पहुंचते ही मेरे बच्चे ' मम्मी आ गई' कहते हुए मेरे पास दौड़कर आते हैं. उनकी मुस्कुराहट मुझे आगे काम करने की हिम्मत देती है."
अपने जुनून और मेहनत से साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र को नया चेहरा तथा नईं पहचान देने की ऋतु करिधाल व अन्य महिलाओं की कोशिश को हम सलाम करते है और आगे ऐसी कई सफलताओं की शुभकामनाएं करते है.