Advertisment

समाज की 5 बातें जो मैं सुनकर थक गयी हूँ

author-image
Swati Bundela
New Update
अजीब है समाज, कहने को उनकी उम्मीद है हमसे कि हम नियमों व कायदों का पालन करें पर खुद ही खुद में बदलाव न लाकर संसार के नियम की अवहेलना करते है। यूँ तो हज़ारो रोक टोक है औरत पर लेकिन फिर भी आज की औरतें उन सभी रोक टोक, बेफिजूल की बातें सुनकर अनसुना कर आगे बढ़ रही है मगर 5 बातें ऐसी है जिन्हें सुन सुनकर मै थक चुकी हूँ। समाज की रूढ़िवादी सोच का कारण क्या है ?
Advertisment


1. रिश्तों का ज्यादा न चलने का कारण है औरतों में सहनशक्ति का कम होना:



Advertisment
 जब बॉलीवुड में कोई भी सेलिब्रिटी शादी तोड़ते है या तलाक लेते है तो अक्सर लोगों का व्यवहार महिला सेलिब्रिटी पर ज्यादा होता है क्योंकि लोगों के हिसाब से तलाक का मुख्य कारण औरतो का हद से ज्यादा आजादी मांगना, अपने ढंग से सब करना और बस अपना अपना करना और इसी कारण समाज में जोड़े जल्दी टूटने लगे है। पर सवाल है कि आजादी की हद तय किसने की है? 

2. डबल मोर्चा:

Advertisment


 शादी के बाद जब बेटियां अपने पिता की प्रोपर्टी मे बराबर हिस्सा माँगती है या जब उन्हें दिया जाता है तो लोगों का कहना होता है कि वाह! प्रॉपर्टी का एक हिस्सा मायके में और एक ससुराल में, चांदी ही चांदी है।
Advertisment
 ऐसी बातों के कारण अक्सर माता पिता प्रॉपर्टी में मुख्यतः बेटो को ही हिस्सेदार बनाते है। 

3. पति से ज्यादा कमाती है, ज़रूर पति पर हुक्म चलाती होंगी :

Advertisment


औरत को उड़ने की आजादी तो यकीनन मिली है पर कुछ नियम कानूनों के साथ। औरतें काम तो कर रही है पर उनकी ज्यादा इनकम या आय अगर उनके पति या पिता से ज्यादा होती है तो उन्हें दबाने का औरतों पर आरोप लगाया जाता है शायद बिल्कुल वैसे ही जैसे आज तक पितृसत्ता से प्रभावित समाज का एक बड़ा हिस्सा करता आया है, हाँ बस किरदार उलट हुआ करते थे। औरतों का वित्तीय (फाइनेंशियल) तौर पर मजबूत होना अक्सर उनको ना दबा पाने की असमर्थता के तौर पर देखा जाता है। 

Advertisment

4. कितनी भी पढ़ लिख लो, नौकरी कर लो पर आखिर में घर तो तुम्हें ही चलाना है :



समाज और दुनिया विकसित तो हो रहे है पर फिर भी ऐसे बहुत काम है जिनकोे मुख्य तौर पर औरतों के कंधों पर ही ढोया जाता है। औरत भले ही 10 घंटे की नौकरी कर के घर थकी हारी आए पर बच्चो को पढ़ाने की, खाना बनाने की और घर के सारे काम करने की जिम्मेदारी
Advertisment
उनका फ़र्ज़  कहकर, उन्ही पे डाली जाती है। 

5. लड़की हो, शादी तो करनी ही पड़ेगी :



ये शब्द अक्सर माँ  ही अपनी बच्ची को उसके अवैवाहिक जीवन के हर क्षण में याद कराती रहती है। हर लड़की को बचपन से ही यह बताया व सिखाया जाता है कि वह पराया धन है, उनको शादी कर दूसरे घर जाना ही है। 



मै मानती हूँ कि बातें चाहे पांच हो या एक, जिन बातों से आपके हित व हक प्रभावित होते है, उन बातों को या तो सुन लो या उनका कोई सटीक जवाब चुन लो ताकि किसी को भी तुम्हे अपने हिसाब से चलने का हक न मिले। 



क्या आप भी समाज की रूढ़िवादी सोच से परेशान हैं ?
सोसाइटी महिला और समाज
Advertisment