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Sex:- सेक्स की वे सच्चाई जो फ़िल्मों में नहीं दिखाई जाती।

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Swati Bundela
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Sexual transmitted diseases

सेक्स को आज भी हमारे समाज में टेबू माना जाता है। आज भी लोग सेक्स के बारे में खुलकर बात नहीं कर पाते। बच्चों को आज भी सेक्स एजुकेशन नहीं दी जाती जिस कारण वे फ़िल्मों में जो भी सेक्स के बारे में देखते उसे सच मान लेते हैं।

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मूवीज़ में सेक्स को बहुत ही मज़ेदार दिखाया जाता है। आपको स्क्रीन पर कोई हॉट सीन देखते हुए एक झुनझुनी सी आती है और आपका मन भी सेक्स करना चाहने लग जाता है।

क्या सच में सेक्स इतना आसान होता है? जितना दिखाया जाता है



असली असली जिंदगी में सेक्स करने और फिल्मों में दिखाए सेक्स  में बहुत ज्यादा फर्क होता है। फिल्मों में जो सेक्स दिखाया जाता है वह असली नहीं होता वह छोटे-छोटे क्लिप्स को एडिट करके आपको दिखा दिया जाता है।

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आज हम आपको बताएंगे कि असली जिंदगी में सेक्स क्या होता है?

असली जिंदगी में सेक्स बिल्कुल भी परफेक्ट नहीं होता:-फिल्मों में अक्सर दिखाया जाता लड़का लड़की एक दूसरे से मिलते हैं  वह बेड पर लेट जाते और और फिर उनमें सेक्स होने लगता है उसके बाद खत्म। 

परंतु असली जिंदगी में सेक्स इतना आसान नहीं होता। बाहर किस करना बीच-बीच में टूटना पोजिशन को बदलना, आपस में तालमेल बिठाना,सेक्स में एक दूसरे की जरूरत को समझना जैसी बहुत सी चीज़े देखनी पड़ती ही।

बातचीत:-मूवीस में दिखाया जाता है कि लड़का लड़की सीधे ही बेड पर लेटकर सेक्स करने लग जाते हैं जैसे उन्हें पहले से ही एक-दूसरे की जरूरतों का पता होता हो  उन्हें सेक्स करते समय क्या चाहिए और क्या नहीं।

परंतु असली लाइफ में  आपको बातचीत करनी पड़ती है अपनी जरूरतों के बारे में बताना पड़ता है ताकि वे सेक्स कर सकें।

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फोरप्ले:-ज्यादातर मूवीस में यह दिखाया जाता है कि कपल ने किस्स किया और उन्होंने एक दूसरे के कपड़े उतारे और सेक्स करना शुरू कर दिया अगर हम असली जिंदगी की बात करें तो वास्तविकता में ऐसा नहीं होता।ज़रूरी नहीं हर कोई अपने पहले सेक्स को पूरा कर सकेंः- पहली बार में हर व्यक्ति सेक्स नहीं कर पाता इसमें उन्हें टाइम लग सकता है।

हर जगह सेक्स करना मुश्किलः- फ़िल्मों में दिखाया जाता है कि आप किसी भी जगह जैसे बाथरूम, बीच, पार्क आदि आराम से सेक्स कर सकते हो इसलिए हमें पहले से तैयारी करनी पड़ती है।

कॉंट्रसेप्शन का यूज़ः- फ़िल्मों में बहुत कम कॉंट्रसेप्शन पिल्ज़ का यूज़ दिखाया जाता है।जबकि असली ज़िंदगी में लोग इंटरकोर्स के दौरान कॉंट्रसेप्टिव पिल्ज़ का यूज़ करते है ताकि वो अनचाही गर्भपात से बच सके।

मूवीज़ में सेक्स के बारे में जो दिखाया जाता वे आधे से ज़्यादा ग़लत होता । असली ज़िंदगी में सेक्स एजुकेशन की कमी होने के कारण लोग फ़िल्मों में दिखाई हुई सेक्स से जुड़ी बातों को सच मान लेते है।

sex life FAQs for sex
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