Sexual Orientation Issue: हममें से बहुत से लोग अपना Sexual Orientation (यौन झुकाव) या तो पहचानते नहीं या छुपाने की कोशिश करते हैं। आज भी भले ही आधुनिकता की बात हो पर एक बड़ा समाज, अभी भी पुरानी परंपरा से चले आ रहे यौन झुकाव को मानता है जो है–एक स्त्री का पुरुष के प्रति और एक पुरुष का स्त्री के प्रति।
मोटे तौर पर 4 प्रमुख प्रकार के यौन झुकाव हैं :
हेट्रोसेक्सुअल, होमोसेक्सुअल, बाईसेक्सुअल और असेक्सुअल। हालांकि और भी कई प्रकार के झुकाव हैं जिसमें पोलीसेक्शुअल, मल्टीसेक्सुअल, एरोमांटिक, सेक्शुअल फ्लूडिटी, पैनसेक्शुअल, डेमीसेक्सुअल और अन्य आते हैं।
हेट्रोसेक्सुअलिटी और होमोसेक्सुअलिटी
हेट्रोसेक्सुअलिटी वो यौन झुकाव है जो दो दो भिन्न लिंगों के प्रति होता है, जैसे–पुरुष का स्त्री के प्रति और स्त्री का पुरुष के प्रति वही होमोसेक्सुअलिटी अपने समान ही लिंग या सेक्स के प्रति झुकाव है यानी–स्त्री का स्त्री से और पुरुष का पुरुष से।
असेक्सुअल और बाइसेक्सुअल
असेक्सुअल जिसमें व्यक्ति विशेष को यौन इच्छा ही नहीं होती वही बाइसेक्सुअल व्यक्ति दोनों ही लिंग के प्रति झुकाव रखता है।
क्या है यौन झुकाव
यौन झुकाव, किसी व्यक्ति के भावनात्मक, बौद्धिक, यौन या रोमांटिक (रोमांचकारी) स्तर पर आकर्षण का एक रूप है। सेक्सुअल ओरिएंटेशन को हिंदी में कई तरह से दर्शाते हैं, जैसे–यौन झुकाव, यौन रुझान, यौन अभिविन्यास। आज भी यौन झुकाव को लोग अपनी पहचान के रूप में मानते हैं। क्यूंकि आज भी समाज पूरी तरह यौन झुकाव को मान्यता नहीं दे पाया है, ऐसे में लोगो को अपनी सेक्सुअल आइडेंटिटी छुपानी पड़ती है, जो खुद उन्हें समाज से ही मिलती है।
कैसे पैदा होता है यौन झुकाव
ऐसा देखा गया है कि ख़ुद व्यक्ति अपने को नहीं पहचान पाता कि वो कौन से सेक्स के प्रति आकर्षित है। यौन झुकाव के पीछे जो कारण हैं वो जैविक, पर्यावरण से जुड़े और मनोवैज्ञानिक होते हैं। यानी यह झुकाव समय के साथ बदल सकता है। ऐसे में समाज में हिस्सा लेकर ही किसी को इसका ज्ञान हो पाता है।
क्या होता है जब समाज नहीं स्वीकारता
क्यूंकि समाज ने सेक्सुअल ओरिएंटेशन को अभी खुलकर पूरी मान्यता नहीं दी है, ऐसेें में लोग अपनी यौन पहचान को छिपकर जीते हैं। ये उन्हें डिप्रेसिव और स्ट्रेसफुल बना रहा है। इसके साथ ही और मानसिक समस्याओं से वह व्यक्ति झूझने में मजबूर है। बहुत बार देखा गया है कि ऐसे लोग नशा या नशीले पदार्थ को हमसाथी मानकर अपना जीवन संकट में डाल रहे हैं।
बदल रहा है समाज
स्थितियां समय और समाज के साथ कुछ हद तक बदल रहीं हैं। लोग अपने सेक्सुअल ओरिएंटेशन पर बात कर रहे हैं। आज के समय में इस पर और भी शोध और जानकारी जुटाई जा रही हैं। इस विविधता से न केवल समाज में कुरीतियां दूर होंगी बल्कि लोग मानसिक रूप से भी ज़्यादा स्वस्थ रहेंगे।