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Image: (Freepik)
Know The Things That Indicate That A Woman Has Been A Victim Of Emotional Abuse: जब भी हम "अब्यूज" शब्द सुनते हैं तो हमारे दिमाग़ में फिजिकल वायलेंस की तस्वीर या फिर कुछ ऐसे शब्द ही आते हैं जो अभद्र होते हैं। लेकिन इमोशनल एब्यूज यानी भावनात्मक शोषण पर हम न तो ज्यादा ध्यान ही देते हैं न इसकी ज्यादा बात करते हैं क्योंकि यह दिखाई देने वाले जख्म नहीं छोड़ता है, लेकिन ऐसे इंसान को जो इंसान इसका शिकार होता है, उसे यह भीतर तक तोड़ देता है। इमोशनल एब्यूज हमारे आस-पास कई रिश्तों में होती है, और महिलाओं की एक बड़ी आबादी लंबे समय से इसका शिकार होती आई है। कई बार महिलाएं खुद नहीं समझ पातीं कि उनके साथ जो हो रहा है वो एक तरह का ‘शोषण’ है। जब कोई व्यक्ति किसी महिला के आत्मसम्मान को बार-बार ठेस पहुंचाता है, उसे लगातार मानसिक रूप प्रताड़ित करता है या उसका भावनात्मक नियंत्रण अपने हाथ में एटा है तो यह इमोशनल एब्यूज होता है।
इमोशनल एब्यूज के संकेत
हमेशा खुद को दोष देती हैं
अगर आपके आस-पास कोई महिला छोटी-बड़ी बात पर खुद को दोषी महसूस करने लगती है या जल्दी घबरा जाती है तो यह सामान्य नहीं है। इसका कारण हो सकता है कि उसे किसी ने बार-बार यह जताया है कि हर समस्या की वजह वो ही है या उसी की वजह से है कुछ भी गलत होता है। ऐसा व्यवहार किसी भी महिला के आत्मविश्वास को धीरे-धीरे खत्म कर देता है और वह डर और आत्म-ग्लानि में जीने लगती है।
शांत और सबसे दूर रहती हैं
ऐसी महिलाएं जिन्होंने इमोशनल एब्यूज सही हो, वह अक्सर चुपचाप रहती हैं, किसी से भी बात करने में घबराहट महसूस करती हैं। वह अपने आस-पास के लोगों से दूरी बना लेती हैं क्योंकि वो कहीं न कहीं यह मन चुकी होती हैं कि उनको कोई नहीं समझेगा इसलिए वह अपनी ही भावनाएं व्यक्त नहीं कर पाती। यहां तक कि जब वह दुखी होती हैं तो खुद को सबसे दूर कर लेती हैं और अंदर ही अंदर एक लड़ाई लड़ रही होती हैं।
जल्दी डर और घबराहट महसूस करती हैं
भावनात्मक शोषण से गुजरी महिलाएं हर समय किसी न किसी अनजाने डर में जीती हैं। यह डर कुछ भी हो सकता है जैसे उनसे कुछ गलती न हो जाए, कोई उन्हें जज करेगा, कोई उन्हें डांटेगा या उनके अपने उन्हें छोड़ कर चले जाएंगे। उनके मन में हमेशा यह डर बना रहता है कि वह कुछ गलत न कर दें। इस वजह से वह किसी से भी बोलने, मिलने या डिसीजन लेने से डरती है। उसका व्यवहार बेहद सतर्क और असहज सा होता है, जिसे उनके एक्शन से महसूस भी किया जा सकता है। यह डर धीरे-धीरे उसकी पहचान को दबाने लगता है।
आत्म-सम्मान की कमी
ऐसी महिलाएं अक्सर खुद को कमजोर, या बेकार समझती हैं। वह दूसरों से अक्सर अपनी तुलना करती रहती हैं। उनकी यह एक स्थिर सोच बन जाती है कि वो किसी लायक नहीं हैं या उन्हें कोई पसंद नहीं करेगा और यह उनकी खुद से नफरत करने की भावना बन जाती है। वह खुद की तारीफ को सच नहीं मानती हैं और कोई ज्यादा प्यार से बात या बर्ताव करता है तो उसे झेल भी नहीं पाती हैं क्योंकि वह मान चुकी होती है कि वह उस लायक नहीं है।
किसी को बार-बार माफ कर देती हैं
ऐसी महिलाएं जो इमोशनल एब्यूज से गुजरी होती हैं वो बार-बार किसी ऐसे इंसान को आसानी से माफ कर देती हैं, जिनके वो करीब होती हैं बावजूद इसके की वो इंसान हर बार उनका दिल दुखता हो या उनका शोषण करता हो। इसकी दो वजह हो सकती हैं या तो उन्हें कभी किसी ने आसानी से माफ न किया हो या हमेशा उन्हें छोटी सी बात पर भी डराया, धमकाया गया हो।
हमेशा सबको खुश करने की कोशिश करती हैं
ऐसी महिलाएं अपने आस-पास सभी को खुश रखने की कोशिश करती हैं फिर चाहे इसके लिए उन्हें खुद को कितना भी दबाना पड़े। वह किसी को भी “ना” नहीं कह पाती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि असहमति का मतलब रिश्ते का अंत होता है। लेकिन ऐसा करने से वह अपनी खुशियों, इच्छाओं, जरूरतों और भावनाओं सब भूल जाती हैं।
इमोशनल एब्यूज से बाहर निकलना जरूरी क्यों है?
अगर आप या आपकी जान-पहचान में कोई महिला ऐसा कोई भी व्यवहार का सामना कर रही है जिनसे उनके आत्म-सम्मान, जज्बातों, खुशियों या मन को गंभीर छाती पहुंच रही हो, तो यह मान लीजिए कि यह सिर्फ एक ‘रिलेशनशिप प्रॉब्लम’ नहीं, बल्कि मेंटल टॉर्चर और हिंसा है। यह ज़रूरी नहीं कि गाली या मारपीट हो तभी हिंसा मानी जाए। जब कोई इंसान किसी के दिमाग और आत्मा पर कंट्रोल करने लगे, हमेशा उनकी बेइज्जती करे या उन्हें गलत तरह से ट्रीट करे तो यह उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बेहद गंभीर असर डाल सकता है और ऐसी महिलाएं लंबे समय तक या अपनी पूरी जिंदगी में कभी दुबारा खुद पर या अपने रिश्तों, दोस्तों और लोगों पर भरोसा नहीं कर पाती हैं और आत्मविश्व की कमी में जीती हैं इसलिए यह जरूरी है कि वह इमोशनल एब्यूज से बाहर निकले और इसमें उनके करीबी लोग उनकी मदद कर सकते हैं। साथ ही इमोशनल एब्यूज के खिलाफ आवाज उठाना और इसे रोकना भी हमारी इंसानियत के नाते पहली जिम्मेदारी होनी चाहिए ताकि कोई इंसान मानसिक तनाव और आत्म-ग्लानि में न जीए।