Working Mothers के स्ट्रगल जो कोई भी नहीं जानता

Working Mothers का संघर्ष एक ऐसी वास्तविकता है जो अक्सर अनदेखी हो जाती है। वे अपने काम और परिवार के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती हैं, लेकिन यह एक बहुत बड़ा चुनौतीपूर्ण काम है।

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Shivalika Srivastava
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Working Mothers

Photograph: (File Image )

Unknown Struggles Of Working Mothers:Mothers: आज के इस आधुनिक युग में महिलाएं अब सिर्फ घर की चार दीवारों में नहीं बंधी हैं, बल्कि ऑफिस की कुर्सियों तक पहुंच चुकी हैं। वे डॉक्टर, इंजीनियर, टीचर, ऑफिस मैनेजर या बिजनेसवुमन बन चुकी हैं, लेकिन जब वे मां बनती हैं, तो उनकी जिंदगी एक नया मोड़ ले लेती है। वर्किंग मदर्स की चुनौतियाँ सिर्फ ऑफिस तक सीमित नहीं होतीं; उनके हर दिन में एक अनदेखा संघर्ष छिपा होता है, जो अक्सर समाज की नजरों से ओझल रह जाता है।

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Working Mothers के स्ट्रगल जो कोई भी नहीं जानता

चलिए जानते हैं Working Mothers के कुछ स्ट्रगल्स जो अक्सर अनदेखे रह जाते हैं

1.दोहरी जिम्मेदारी का बोझ

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वर्किंग मदर्स को दो दुनियाओं के बीच संतुलन बनाना पड़ता है – एक घर की और दूसरी ऑफिस की। वे सुबह जल्दी उठकर बच्चों को तैयार करती हैं, नाश्ता बनाती हैं, स्कूल छोड़ती हैं और फिर ऑफिस के लिए दौड़ लगाती हैं। ऑफिस के काम के बाद, उन्हें घर लौटकर फिर वही खाना बनाना, बच्चों की पढ़ाई और बाकी घरेलू जिम्मेदारियाँ संभालनी होती हैं।

2.अपराधबोध की भावना

कामकाजी माताएं अक्सर इस अपराधबोध से जूझती हैं कि वे अपने बच्चों को उतना समय नहीं दे पा रही हैं, जितना कि एक "परफेक्ट मां" को देना चाहिए। यह मानसिक दबाव उन्हें भीतर से कमजोर कर देता है, भले ही वे बाहर से कितनी भी मजबूत क्यों न दिखें।

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3.समाज की आलोचना

आज भी कई समाजों में यह सोच बनी हुई है कि एक 'अच्छी मां' को घर पर रहकर बच्चों की देखभाल करनी चाहिए। इस तरह की सोच कामकाजी महिलाओं को लगातार मानसिक दबाव और तानों का सामना करने के लिए मजबूर कर देती है।

4.व्यक्तिगत समय की कमी

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कामकाजी माताओं के पास अपने लिए बहुत कम या लगभग कोई समय नहीं होता। न तो उन्हें पर्याप्त नींद मिलती है, और न ही अपने पसंदीदा शौक के लिए वक्त। वे लगातार दौड़ में लगी रहती हैं – बिना रुके, बिना थके।

5.करियर पर प्रभाव

कई बार मातृत्व के कारण महिलाओं का करियर रुक जाता है या धीमा हो जाता है। प्रमोशन में देरी, काम के अवसरों में भेदभाव, और लचीलापन न मिलने जैसी समस्याएं उन्हें पीछे धकेल देती हैं।

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