Utpanna Ekadashi 2022: मान्यताओं के अनुसार यदि कोई एकादशी का व्रत करना चाहता है तो उसे मार्गशीर्ष माह की कृष्णपक्ष की उत्पन्ना एकादशी से उठाना चाहिए। और पूरे एक वर्ष तक सभी 24 एकादशीयो का व्रत करने के बाद कार्तिक माह की शुक्लपक्ष की एकादशी को उदापन करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन के सभी पाप धूल जाते है। और वह अतं को मोक्ष धाम को प्राप्त होता है। पुराणों के अनुसार इस एकादशी वाले दिन भगवान विष्णु जी ने अपनी शक्ति से देवी एकादशी को प्रकट किया था। अर्थात एक बार राक्षसराज मुर् भगवान विष्णु जी को साते समय वध् करना चाहते थे। किन्तु जैसे ही वो विष्णु जी को मारने की कोशिश करे तो उनकी अधभुत शक्ति से एक देवी प्रकट हुई , और उस राक्षस को मार गिराया।
Utpanna Ekadashi 2022: उत्पन्ना एकादशी कब है
20 नवंबर 2022 , रविवार : दिन 3710 चौघड़िया लाभ- 09.27 ए एम से 10.47 ए एम अमृत- 10.47 ए एम से 12.07 पी एम शुभ- 01.26 पी एम से 02.46 पी एम रात का चौघड़िया शुभ- 05.26 पी एम से 07.06 पी एम अमृत - 07.06 पी एम से 08.46 पी एम लाभ- 01.47 ए एम से 03.28 ए एम , शुभ- 21 नवंबर को 05.08 ए एम से 06.48 ए एम तक।
Utpanna Ekadashi 2022: उत्पन्ना एकादशी शुभ मुहूर्त
मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 19 नवंबर को सुबह 10 बजकर 29 मिनट से लेकर 20 नवंबर को सुबह 10 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। जबकि एकादशी के व्रत का पारण 21 नवंबर को सुबह 06 बजकर 40 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।
Utpanna Ekadashi 2022: उत्पन्ना एकादशी व्रत के नियम
उत्पन्ना एकादशी का व्रत दो तरह से रखा जाता है। ये व्रत निर्जला और फलाहारी या जलीय ही रखा जाता है। निर्जल व्रत को स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए। अन्य लोगों को फलाहारी या जलीय व्रत रखना चाहिए। इस व्रत में दशमी को रात में भोजन नहीं करना चाहिए। एकादशी को सुबह श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। इस व्रत में सिर्फ फलों का ही भोग लगाया जाता है। इस दिन केवल जल और फल का ही सेवन किया जाता है।
Utpanna Ekadashi 2022: उत्पन्ना एकादशी व्रत की पूजा विधि
एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले व्रत का संकल्प लें। नित्य क्रियाओं से निपटने के बाद भगवान की पूजा करें , कथा सुनें। पूरे दिन व्रती को बुरे कर्म करने वाले , पापी , दुष्ट व्यक्तियों की संगत से बचें। जाने - अनजाने हुई गलतियों के लिए श्रीहरि से क्षमा मांगें। द्वादशी के दिन किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं। दान - दक्षिणा देकर अपने व्रत का समान और पारण करें।