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मेरे लिए खुद को पसंद करना ज़्यादा ज़रूरी है - विद्या बालन

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Swati Bundela
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हमारे समाज में ऐसी कई महिलाएं है जो बड़ी ही बेबाक़ी से अपने और दूसरों के लिए आवाज़ उठाती है, अपना पॉइंट ऑफ़ व्यू (point of view) रखती है। ये सभी महिलाएं वो हैं जिन्होंने हम सबको प्रेरणा देने का काम किया है। स्वरा भास्कर और विद्या बालन उन महिलाओं में से एक है।
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आइये जानते है क्या इन्हे सोसाइटी द्वारा 'likeable ' होने से फ़र्क पड़ता है ?


स्वरा भास्कर

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स्वरा भास्कर ने अपना ओपिनियन शेयर करते हुए बताया कि "मैं एक एक्टर हूँ ,और अगर मैं एक बड़ी स्टार बनना चाहती हूँ तो ये हमारा बिज़नेस है कि लोग हमे पसंद करे। लेकिन कभी-कभी अगर आपको किसी पर्टिकुलर विचारधारा (ideology) के लोग dislike करते है ,तो इसका मतलब ये है कि आप में कुछ अच्छा है। इसलिए ज़रूरी नहीं के हर कोई आपको लाइक करे।"

"मेरा खुदके लिए likeable होना मैटर करता है ,दूसरों के लिए नहीं "-विद्या बालन

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विद्या बालन


“जब मैं छोटी थी तब मुझे लोग मोटी बोलते थे ,मुझे लगता था सब प्यार से मुझे मोटी बोलते है क्योंकि मोटी का मतलब होता है क्यूट (cute)। लेकिन जैसे -जैसे मैं बड़ी हुई ,लोग मुझे बोलने लगे 'अरे तुम कितनी सुन्दर हो ,थोड़ा वेट लूज़ क्यों नहीं करती' ,तब मुझे ये एक कमी के रूप में महसूस होने लगा। एक ही लाइन का समय के साथ मतलब बदल गया ,दोनों में इतना फ़र्क है ये बाद में महसूस हुआ। जब मैंने वेट लूज़ कर लिया तो लोग बोलने लगे 'अरे तुम कितनी पतली हो गयी ,पहले जब तुम हँसती थी तब तुम्हारे फूले हुए गाल दिखते थे लेकिन अब तो बिल्कुल कमज़ोर लग रही हो' तब मुझे ये बात समझ आयी के हम हर किसी को खुश नहीं कर सकते। सबके लिए likeable नहीं हो सकते इसलिए सिर्फ मेरा खुश रहना ज़रूरी है।“
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ये समाज हमेशा से एक परफेक्ट वूमन चाहता है जबकि कोई भी इंसान परफेक्ट नहीं होता। आप जैसे है बहुत अच्छे हैं, दूसरों के लिए आपको बदलने की ज़रूरत नहीं।
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इंस्पिरेशन #फेमिनिज्म विद्या बालन
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