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डिप्रेशन आजकल बहुत आम हो गया है जो के एक चिंताजनक बात है लेकिन हमारे देश में इसे सीरीयस नहीं लिया जाता।करोना काल में जब सब लोग अपने-अपने घरों में बंद हो गए थे तब डिप्रेशन में बहुत लोग चले गए।डबल्यूएचओ के अनुसार डिप्रेशन में ग्रस्त लोगों में 50 प्रतिशत लोगों कि इलाज नहीं होता। इसका कारण है अभी भी इसको पहचानना मुश्किल होता है और लोगों में अभी इसके बारे में जागरूकता भी कम है।
डिप्रेशन क्या होता है?
हर एक की ज़िंदगी में उतार-चड़ाव आते है। लेकिन जब नकारात्मकता आपके मन में घर कर जाती है, आप कुछ अच्छा सोच नहीं पाते। आप जीने की उमीद खो देते है।यह आपके खाने-पीने, सोने जीने के ढंग सब में दख़लंदाज़ी करता है। अगर आप इसका इलाज नहीं करोगे तब यह आगे जाकर घातक रूप ले सकता है। डिप्रेशन से दुनिया के अनगिनत लोग पीड़ित है।आज जानते है डिप्रेशन के ऐसे लक्षण जिन्हें कभी अनदेखा नहीं करना चाहिएः-
डिप्रेशन के लक्षण -
1. सोने का तरीक़ा
अगर आपको नींद के दौरान परेशानी हो रही है तो यह डिप्रेशन का लक्षण है। नींद में कठिनाई कभी जल्दी उठ जाना और कभी ज़्यादा देर तक सोना। रात के दौरान बैचेनी और सुबह उठने की इच्छा नहीं होना शांतिपूर्ण दिमाग़ के लिए रोडब्लॉक है।निराश मरीज़ों के बीच अनिद्रा आम है।
2. अधिक सोचना और तनाव
अधिक सोचना और तनाव अवसाद का एक और लक्षण है।इस स्थिति में हमारा मन हर चीज़ के बारे में अधिक सोचता है। आप हमेशा तनाव में रहते है। धीरे-धीरे आपका आत्म-विश्वास भी कम होने लगता है। निरंतर तनाव के कारण नकारात्मक दृष्टिकोण और आसपास के लोगों के प्रति प्रतिक्रिया के एक ऐसे भँवर में फँस जाते है।
इस निरंतर निवास को अवसादग्रसत रोमन कहा जाता है। इससे आप हर अपने लिए हर चीज़ को नेगेटिव सोचते हो जैसे मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है?, मैं ऐसा क्यों नहीं कर पा रहा?मैं ऐसा क्यों नही कर सकता? ऐसे बहुत से सवाल आपके मन में आते जिससे आप बहुत ज़्यादा नेगेटिव फ़ील करते हो।
3. भ्रम और अनिश्चितता
हर कदम पर आप भ्रमित होने लगते है। आपको चीजें याद भूलने लगती है। आपके सोच धीमी होने लगती है। यह सब डिप्रेशन के गहरे सकते है। हालाँकि यह सच है कि निर्णय लेने में असमर्थता एक सामान्य मानव विशेषता है, लेकिन कई बार यह चिंताजनक साबित हो सकती है।
4. ज़्यादा लोगों से बात ना करना
घर से बाहर ना जाना, कम समाजिक होना, किसी से ज़्यादा बात न करना यह एक तरह का अलार्म है। डिप्रेशन में जब आप लोगों से बात करना कर देते हो, आप उनसे मिलते नहीं यह बीमारी को और बढ़ाता है।
5. भूख की कमी
ज़रूरी नही डिप्रेशन में आपको भूख कम लगे यह ज़्यादा भी लग सकती है। हर एक व्यक्ति एक-दूसरे से लग होता है। कुछ लोगों का वजन बढ़ने लगता है कुछ का कम होने लगता है।
6. स्वास्थ्य संबंधित परेशानियाँ
डिप्रेशन सीधे तौर पर दर्द और स्वास्थ्य में गिरावट लता है। सिरदर्द, पीठ दर्द, पेट जैसी कुछ शारीरिक बीमारियाँ सामने आती आती है। बड़ी समस्या यह आती है लोग केवल शारीरिक समस्याओं ले डॉक्टर के पास जाते लेकिन मानसिक के लिए नहीं।
7. सोशल मीडिया की लत लगना
सोशल मीडिया को एक हद तक चलाना ठीक है। विशेष रूप से हर जानकारी के लिए जुड़े रहने के लिए हम उससे जुड़े रहते है।हम दूसरों की ज़िंदगी को देखते रहते है। जिससे हम सोचने लगते हमारे पास ऐसे महँगे कपड़े नहीं है, या गाड़ी नही है। ऐसा अच्छा घर नहीं है लेकिन यह सच नहीं है। सोशल मीडिया पर दिखाया वे पूरा सच नहीं होता। लेकिन इसके चलते हम अपने आप को डिप्रेशन का शिकार बना लेते है।
8. किसी से खुलकर बात ना करना
आज बच्चे किसी के साथ खुलकर बात नहीं करते है। वे अपने बारे में बात करने में शर्मिंदगी समझते है। जिस कारण वे तनाव का शिकार होते है। कई बार छोटी-छोटी बातों के बारे ज़्यादा सोचने लग जाते है। जो आगे जाकर चिंताजनक हो सकता है।
अभी भी हमारे समाज में मानसिक बीमारियों को बीमारी नहीं समझा जाता है। कोई इसके बारे में बात करना चाहे तो उसको कोई सीरीयस नहीं लेता। लोग इस के साथ निपटने की कोशिश करते जिससे आगे जाकर यह घातक हो सकता है।