Post-Menstrual Syndrome: यह क्या होता है और इसके लक्षण क्या हैं?

author-image
New Update
Periods

महिलाओं के लिए मेंस्ट्रूअल हेल्थ सबसे महत्वपूर्ण विषयों में से एक है। यह एक ऐसा विषय है जिसके बारे में जितनी भी रिसर्च की जाए वह कम पड़ जाएगी। मेंस्ट्रूअल हेल्थ पर काफी रिसर्च हो चुकी है जिससे इसके बारे में कई तथ्य सामने आए हैं लेकिन अभी भी बहुत रिसर्च बाकी है।

Advertisment

मेंस्ट्रूअल हेल्थ का नाम सुनकर सबसे पहले लोगों के दिमाग में आता है पीरियड। शरीर से हर महीने दूषित खून का बाहर निकलना। पीरियड के बारे में लोगों की अलग-अलग राय है। कुछ लोग अपनी हेल्थ के प्रति काफी सचेत रहते हैं इसलिए वे मानते हैं कि पीरियड एक अच्छी चीज है। लेकिन दूसरी तरफ कुछ लोग इसके लक्षण जैसे दर्द, पीरियड क्रैंप्स, एंजायटी, आदि के कारण इसे नापसंद भी करते हैं।

Post Menstrual Syndrome क्या है?

PMS से तो अधिकतर लोग परिचित होंगे। यह premenstrual syndrome होता है जिस के लक्षण पीरियड शुरू होने से एक-दो हफ्ते पहले नजर आने लगते हैं। पर शायद ही आपने post menstrual syndrome के बारे में सुना होगा। इसके लक्षण पीरियड्स खत्म होने के बाद में नजर आते हैं। यह सर में होने वाले हल्के दर्द से लेकर एंजायटी जैसे भावनात्मक लक्षण हो सकते हैं।

Advertisment

क्या यह PMS का दूसरा नाम है?

काफी लोगों के मन में अब यह सवाल उठ रहा होगा कि क्या पोस्ट मेंस्ट्रूअल सिंड्रोम PMS का ही दूसरा नाम है। नहीं, ऐसा नहीं है। Post menstrual syndrome PMS से काफ़ी अलग है। इसके लक्षण पीरियड खत्म होने के बाद ही नजर आते हैं जबकि PMS के लक्षण पीरियड शुरू होने से पहले। पोस्ट मेंस्ट्रूअल सिंड्रोम की कंडीशन में यह लक्षण अधिकतर मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक होते हैं।

हो सकता है कि आप इसके बारे में आज पहली बार सुन रहे हो। इसके पीछे भी कुछ कारण है। इस सिंड्रोम के ऊपर ज्यादा रिसर्च नहीं की गई है और इसके लक्षणों को कोई मेडिकल नाम भी नहीं दिया गया है। Post menstrual syndrome नाम लोगों के पीरियड्स के बाद के अनुभवों को देखते हुए रखा गया है। लेकिन अभी इस पर वैज्ञानिक रिसर्च और स्टडी बाकी है।

Advertisment

पोस्ट मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के कारण

पीरियड्स के बाद होने वाले सिंड्रोम के कारण पूरी तरह से स्पष्ट तो नहीं है लेकिन डॉक्टर्स के मुताबिक इसके कारण निम्नलिखित हो सकते हैं।

1. हार्मोनल बेलेंस

Advertisment

मेंस्ट्रूअल हेल्थ से जुड़ी अधिकतर समस्याओं का मुख्य कारण हार्मोनल बदलाव ही होता है। जब कुछ कारणों की वजह से शरीर में एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन का लेवल कम या ज्यादा हो जाता है तो इस तरह की समस्याएं पनप सकती हैं। गर्भनिरोधक पिल्स और डायबिटीज दवाई हार्मोनल बैलेंस को ठीक करने में काम आ सकती है लेकिन केवल डॉक्टर की सलाह से।

2. PCOS

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक ऐसा रोग है जिसमें महिलाओं के शरीर में ओव्यूलेशन की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है और मेल हार्मोन की मात्रा अधिक हो जाती है। PCOS से पीड़ित महिलाओं को पोस्ट मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम होने की अधिक संभावना होती है।

Advertisment

3. इंसुलिन

इंसुलिन पेनक्रियाज द्वारा रिलीज किए जाने वाला एक हार्मोन है जो शरीर में शुगर लेवल को कंट्रोल करता है। जब सेल्स इस हार्मोन का सही तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं तो लोग डायबिटीज के शिकार हो जाते हैं। 

इंसुलिन दूसरे रिप्रोडक्शन हार्मोन जैसे एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और टेस्टोस्टेरोन की गतिविधियों को भी कंट्रोल करता है। इसकी अधिक मात्रा होने के कारण हार्मोन का लेवल भी बिगड़ जाता है और मेंस्ट्रूअल साइकिल में दिक्कतें होने लगती है।

Advertisment

क्या यह सिंड्रोम सभी महिलाओं को होता है?

किसी भी समस्या से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल यह होता है कि क्या यह सभी लोगों पर लागू होगा? पोस्ट मेंस्ट्रूअल सिंड्रोम मेंस्ट्रुएट करने वाली सभी महिलाओं को नहीं होता है। यह जरूरी नहीं है कि हर महिला जो मेंस्ट्रुएट करती है उसे premenstruation syndrome या post menstrual syndrome के लक्षण नज़र आए। अधिकतर महिलाओं को PMS के लक्षण नजर आते हैं जबकि पोस्ट मेंस्ट्रूअल सिंड्रोम के लक्षण इसके मुताबिक काफी कम ही देखने को मिलते हैं।

लक्षण क्या है?

Advertisment

पोस्ट मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षण मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं - शारीरिक और मनोवैज्ञानिक। मनोवैज्ञानिक लक्षण शारीरिक के मुकाबले अधिक देखने को मिलते हैं।

शारीरिक लक्षण -

1. दर्द

इस सिंड्रोम के शारीरिक लक्षणों में सबसे महत्वपूर्ण है दर्द। यह दर्द पेट, घुटने, पीठ, गर्दन, सर, आदि कहीं भी हो सकता है। यहां तक कि इसके कारण आप दर्दनाक सेक्स का अनुभव भी कर सकते हैं।

2. वजाइनल समस्या

इसका प्रभाव आपको अपनी सेक्सुअल हेल्थ पर भी देखने को मिल सकता है। कई महिलाएं वेजाइनल समस्याएं जैसे ड्राइनेस, जलन, खुजली, आदि का अनुभव भी कर सकती हैं।

मनोवैज्ञानिक लक्षण -

1. एंजाइटी

Post menstrual syndrome के मुख्य मनोवैज्ञानिक लक्षणों में से एक है एंजायटी। जब आप किसी छोटी सी बात के कारण या स्ट्रेस के कारण इतनी चिंता करने लगते हैं कि वह एंजायटी का रूप ले लेती है। आपको बेचैनी भी हो सकती है।

2. मूड स्विंग

पीरियड्स के पहले के लक्षण हो या बाद के, मूड स्विंग तो होता ही होता है। मेंस्ट्रूअल समस्याओं के कारण आप कभी गुस्सा होते हैं, चिढ़ चढ़ाते हैं, रोते हैं, तो कभी हंसने लगते हैं।

3. ध्यान केंद्रित न कर पाना

आपको अंदर से काफी नेगेटिव और डिप्रेस्ड महसूस हो सकता है। आपका दिमाग इन विचारों में इस कदर उलझ जाता है कि वह किसी दूसरी चीज पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता है। इसके कारण आपके एक्शन भी गलत हो सकते हैं और आप को सोने में भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

Post Menstrual Syndrome