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Sologamy: सोलोगैमी से क्या है और क्या है इसका चर्चा में होने का कारण?

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Monika Pundir
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सोलोगैमी से क्या होता है और क्या है इसका चर्चा में होने का कारण?

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जिधर भी देखो आजकल बस एक ही शब्द सुनने को मिल रहा है सोलोगैमी। लेकिन इस शब्द का अर्थ क्या है ये शायद अभी कोई नहीं जानता। 

आज से पहले आपने मोनोगैमी और पोलीगेमी जैसे नाम तो सुने ही होंगे और आप में से बहुत सारे लोग इन शब्दों का मतलब भी जानते होंगे।  लेकिन आज हम आपको बताने वाले है सोलोगैमी के बारे में।  

क्या होता है सोलोगैमी का मतलब? 

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सोलोगैमी और ऑटोगैमी दोनों शब्दों का मतलब एक व्यक्ति का खुद से ही शादी करना है। यहां खुद से ही शादी करने के भी अलग अलग अर्थ हो सकते है लेकिन जिस अर्थ की बात हम कर रहे है वो है एक लड़की या लड़के का किसी लड़के या लड़की से शादी न करके स्वयं से शादी करना। 

ऐसा तब होता है जब किसी व्यक्ति को लगता है कि उसे खुद से ज्यादा बेहतर कोई और व्यक्ति नहीं समझ सकता या फिर उसे किसी दूसरे व्यक्ति से वो महत्त्व या प्यार नहीं मिल सकता जिसके वो हक़दार हैं इसलिए सोलोगैमी को अपने जीवन में अपनाने वालों का मानना है कि यह खुद का मूल्य, महत्त्व, अहमियत और खुद से प्रेम करने कि तरफ बढ़ाया गया एक सराहनीय कदम है। 

हर तरफ सोलोगैमी की ही चर्चा क्यों? 

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विश्व स्तर पर अगर इसकी बात की जाए तो सोलोगैमी का प्रचलन ज्यादातर महिलाओं के बीच देखने को मिल रहा है जिसका साफ मतलब ये है कि महिलाएं इस प्रचलन को अपनाने की तरफ ज्यादा मुखर है। गुजरात की रहने वाली 24 वर्षीय क्षमा बिंदु भारत में इस प्रचलन को अपनाने वाली पहली महिला है।  24  वर्षीय बिंदु आने वाली 11 जून को खुद से शादी करने वाली है जिसमे वे खुद के साथ फेरें भी लेंगी और अपनी मांग में सिंदूर भी खुद ही भरेंगी। क्षमा को सेल्फ मैरिज के लिए अपने माता-पिता का भरपूर साथ भी मिल रहा है और क्षमा के माता-पिता ने अपनी बेटी की इस अनोखी शादी के लिए वेन्यू भी सेलेक्ट किया है।

 यही नहीं क्षमा ने शादी में फेरों के समय लड़का, लड़की द्वारा एक दूसरे को दिए जाने वाले वचनों के स्थान पर अपने लिए कुछ वचन भी लिखे है जिन्हे वे फेरों के समय खुद को देंगी। क्षमा का कहना है कि वे बाक़ी सभी लड़कियों की तरह दुल्हन तो हमेशा से बनना चाहती थी लेकिन वे किसी लड़के से शादी नहीं करना चाहती थी।  इसलिए क्षमा जैसी लड़कियों के लिए सोलोगैमी बिना किसी लड़के से शादी किये दुल्हन बनने के सपने को पूरा और ससुराल वाले कैसे होंगे जैसे डरों को ख़त्म करने का बेहतरीन रास्ता भी बन सकता है और सोलोगैमी आपको सेल्फ एक्सेप्टेंस यानी खुद को अपनाने, महत्त्व देने और खुद से प्यार करने को प्रेरित करने का एक बेहतरीन तरीका है।  

क्षमा ने ये भी कहा कि उन्होंने ऑनलाइन उपलब्ध होने वाले डाटा के जरिये सोलोगैमी के बारे में विस्तार से पढ़ा। लेकिन इतने बड़े पैमाने पर पढ़ने के बाद भी वे भारत में सोलोगैमी का एक भी उदाहरण खोजने में असफल रहीं जिसकी वजह से क्षमा भारत में ऐसा करने वाली और बाक़ी लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा बनने वाली पहली महिला बनने जा रही है।

सोलोगैमी
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