एक वक्त ऐसा था जब माता पिता अपनी बेटी की शादी के लिए उसके पैदा होते ही पैसा जमा करना शुरू कर देते थे। अपनी बेटी की पढ़ाई को महत्व ना देते हुए अपने बेटे पर पैसा खर्च करना ज्यादा सही समझते थे। लड़कियों को पढ़ाई के बजाय ऐसी स्किल्स सिखाने पर ज़ोर दिया जाता था जो उनकी गृहस्ती में काम आए।
लड़कियों से यह उम्मीद की जाती थी कि वह बड़ी होकर शादी करें, बच्चे करें और अपना परिवार खुश रखें। लेकिन अब लड़कियों के गोल्स बदल रहे हैं। अब आप किसी लड़की से पूछेंगे तो 99% वह कहेगी कि उसे डॉक्टर, इंजीनियर, एंकर या कुछ और बनना है। उनके लिए अब शादी से ज्यादा महत्वपूर्ण उनकी पढ़ाई, करियर और उनकी खुशी है। वह अब शादी को अपनी जिंदगी में पहला स्थान नहीं देती।
आखिर क्यों भाग रहीं है लड़कियां शादी से दूर?
1. एजुकेशन
लड़कियां सेटल होने से पहले अपनी मनचाही डिग्री लेना चाहती हैं। वे पढ़ लिख कर, काबिल बन कर लड़कों के बराबर होना चाहती हैं। वे अपने लिए बराबर के अधिकार और स्वतंत्रता चाहती हैं। उनके लिए शादी सब कुछ नहीं बल्कि उनकी खुशी और काबिलियत है।
2. दुखद शादियां
लड़कियां अपने आसपास जब देखती हैं कि किस तरह शादी करने के बाद लड़कियां दुखी रहती हैं। तो यह उन्हें बढ़ावा देता है अपनी खुशी को महत्व देने के लिए। वे ऐसी शादियों में फसना नहीं चाहती जिनमें वे खुश ना हो और अपने पति के हाथों अपनी आज़ादी खो दें।
3. अपनी खुशी
लड़कियों के लिए अब शादी से बढ़कर उनकी खुशी है। शादी के बाद लड़कियों को उनके घर, मां बाप और उनकी पुरानी जिंदगी से पूरी तरह दूर होने के लिए मजबूर किया जाता है। ऐसे में इतना त्याग करके भी उन्हें उनके हिस्से की खुशी नहीं मिलती।
शादी के बाद उनपर अपने करियर को छोड़कर बच्चे करने के लिए दबाव बनाया जाता है। और उनसे कभी नहीं पूछा जाता कि क्या वे खुश हैं? ऐसे में जरूरी है कि लड़कियां अपनी खुशी के बारे में खुद सोचें।
4. फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस
लड़कियां अपने खर्चे और अपनी कमाई का हिसाब अब खुद रखना चाहती हैं। वे किसी पर अपने पैसों के लिए डिपेंड नहीं होना चाहती। वे आसमान में उड़ना चाहती हैं और बिना किसी के दबाव में आए अपनी जिंदगी के फैसले लेना चाहती हैं। इसके लिए जरूरी है कि वह फाइनेंशली इंडिपेंडेंट हो।
इसलिए यह समाज डरता है कि अगर औरत कमाएगी तो वह उनसे दबेगी नहीं। और वे उन्हें रोकने की कोशिश करते हैं।
5. पुरुष प्रधान समाज
यह पुरुष प्रधान समाज औरतों को हमेशा नीचा दर्जा देता है। ये उनसे उम्मीद करता है कि वे शादी करें, अपने पति की सेवा करें, बच्चे और परिवार मैं अपनी खुशी ढूंढे। यह सब करके औरतों के सपनों और इच्छाओं का गला घोट दिया जाता है।