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Why Are Women Who Don't Adjust Labelled Bad? यह कैसी शर्त है

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भारतीय समाज एक पुरुष प्रधान समाज है जिसमें एक लड़की के पैदा होते ही उसे सबसे पहले सिखाया जाता है एडजस्ट करना। लड़के और लड़की में भेदभाव तो बचपन से ही शुरू हो जाता है। जब एक लड़का पैदा होता है तो उस की पैदाइश पर लाखों रुपए खर्च करके जश्न मनाया जाता है। लेकिन जब लड़की पैदा होती है तो कोई जल्दी लड्डू भी नहीं बांटता।

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घर के चिराग को तोहफे और लडकी को एडजस्टमेंट 

जैसे-जैसे वे दोनों बड़े होते हैं उन दोनों में केवल लड़की को यह समझाया जाता है कि अगर तुम्हें कोई चीज कम मिल रही है तो एडजस्ट करो। लेकिन वही लड़के की हर इच्छा को यह कहकर पूरा किया जाता है कि वह तो उस घर का चिराग है। अधिकतर लड़कियों को तो यह कहकर एडजस्ट करने के लिए कहा जाता है कि तुम्हारे दहेज के लिए पैसा जोड़ रहे हैं।

मैंने अपने आसपास यह बहुत अच्छी से महसूस किया है कि महिलाओं के दिमाग में यह बात बैठा दी गई है कि अगर घर में किसी को एडजस्ट करना चाहिए तो वह केवल महिला है।

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क्यों महिला ही हमेशा एडजस्ट करे?

जब एक बाहर काम करने वाली महिला शादी करती है और उस कपल में से किसी एक को जॉब छोड़नी पड़े , तो हमेशा महिला को ही जॉब छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। क्योंकि एडजस्ट करना तो केवल महिलाओं की जिम्मेदारी है? मेरे घर के पास एक दीदी रहती थी। वह बहुत ही काबिल इंसान हैं और बैंक में अच्छी जॉब भी करती है।

कुछ दिनों पहले जब मैं उनसे मिली तो उन्होंने मुझे बताया कि उनके ऊपर अब प्रेशर बहुत ज्यादा है। क्योंकि उनकी घरवाले उनसे यह उम्मीद करते हैं कि एक बहु होने के नाते वह घर का सारा काम करें और परिवार की जिम्मेदारी उठाएं। इसके साथ अगर वह जॉब करना चाहती है तो करें लेकिन उन्हें अपने घर की जिम्मेदारियों के लिए जो आपके साथ एडजस्टमेंट करना होगा।

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लेकिन केवल एक महिला ही क्यों एडजस्ट करें? क्यों उनके पति एडजस्ट करके घर की बराबर जिम्मेदारियां नहीं उठा सकते? जब वे दोनों बाहर जाकर बराबर काम करते हैं तो घर में बराबर काम क्यों नहीं? 

रिलेशनशिप को निभाने के लिए भी एडजस्ट?

जिन कपल की रिलेशनशिप अच्छी नहीं चल रही होती है उनमें हमेशा महिलाओं यह सलाह दी जाती है कि वह एडजस्ट करें। उन्हें अगर अपनी रिलेशनशिप को बचाना है तो उन्हें एडजस्ट करना ही होगा। लेकिन ऐसी रिलेशनशिप का फायदा ही क्या जिसमें एक महिला खुश ना हो और हर पल उसके टूटने के डर से एडजस्ट करे।

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मैंने मेरी मां को बचपन से लेकर आज तक कभी खाना खाते हुए नहीं देखा। वह हमेशा पूरे परिवार के खाने के बाद सबसे आखिर में खाती है। लेकिन कभी-कभी तो टिफिन में रोटी तो तभी सब्जी खत्म हो जाती थी। लेकिन उन्होने कभी इस पर कोई शिकायत नही की और जो भी बचा हुआ खाना होता था वह उसी को खाकर सो जाती थीं।

लेकिन क्यों केवल उन्हें ही एडजस्ट करना पड़ता है? क्यों घर के सदस्य एडजस्ट नहीं करते और खाने के हिसाब से ही सबके लिए सोचते है? क्या एक महिला का जीवन दूसरों के लिए समर्पित होने के लिए ही है? जिस देश में महिलाओं को देवी का रूप माना जाता है, उन्हें ही हर वक्त समझौता करने के लिए मजबूर करना hypocrisy है।

एडजस्ट न करने से महिला बुरी नहीं हो जाती

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जो महिलाएं एडजस्ट नहीं करती हैं और बराबर के हक के लिए आवाज उठाती हैं उन्हें लोग बुरी महिलाओं का लेबल दे देते हैं। लेकिन महिलाओं का एडजेस्ट करना हमारे समाज की एक कमी है जिसे दूर किया जाना चाहिए। भला एडजस्ट करने को एक अच्छी और संस्कारी महिला की क्वालिटी मानना सही कैसे है? 

एडजस्ट न करने से कोई महिला बुरी नहीं हो जाती है बल्कि यह तो जागरूकता की तरफ़ बढ़ता उसका कदम है। महिलाओं को ही हमेशा एडजेस्ट नही करना चाहिए।

ओपिनियन
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