Women's Infertility : हम जिस पितृसत्ता समाज में रहते हैं वहा आज भी अगर कोई महिला माँ नही बन पाती तो गलती उसकी ठहराई जाती हैं और आज भी माँ न बन पाने के कारण समाज के लोग एक महिला को न जाने क्या बुरा भला कहते हैं। हम साइंस और प्रौद्योगिकी में वक्त के साथ आगे बढ़ रहें है पर सोच आज भी पुराणी ही हैं। समाज में हमशा से पुरुष को एक महिला के ऊपर का दर्जा दिया गया हैं इस कारण महिला हो हर वक्त कमजोर समझ कर दबाया गया हैं। इसलिए अगर एक महिला माँ नहीं बन पाती तो समाज उसे बोलते नहीं थकता यहाँ तक की समाज के पढ़े-लिखे लोग भी हमेशा एक महिला को ही इसका गुन्हे गार समझते हैं।
क्यों हमेशा एक महिला ही सुनती हैं माँ न बन पाने के ताने ?
एक कपल जब पेरेंट्स नही बन पाते तो ऐसे वक्त इसमें दोनों तनाव से गुजरते हैं लेकिन समाज में आज भी पूरी गलती एक महिला पर डाल दी जाती हैं। उन्हें लोग 'बांझ' और पता नहीं किन शब्दों का प्रयोग करके ताने देते नहीं थकते। ऐसे कई सरे केसेस हैं जिसमे पिता न बन पाने के कारण एक महिला को उसके पति द्वार छोड़ दिया जाता हैं या पती अक्सर दूसरी शादी कर लेता हैं। कई बार बात इतनी बिगड़ जाती है की महिला के साथ मार पिट भी होने लगता हैं या फिर किसी अंध विश्वास के पढ़ कर न जाने उसे क्या-क्या करने पर मजबूर किया जाता हैं जिससे कितने बार बात जान पर बन आती हैं।
रिसर्च कहती हैं की अगर कोई कपल पेरेंट्स नहीं बन पा रहें हैं तो इसका कारण मेल इनफर्टिलिटी भी हो सकती हैं। मेल इनफर्टिलिटी यानि की मेल पार्टनर का स्पर्म इतना हेल्थी नहीं है जिससे वो अपने पार्टनर को प्रेग्नंत कर सकें या फिर उनका स्पर्म काउंट बहुत कम हैं यानि उनके सीमन में स्पर्म की मात्रा बहुत कम हैं,या कोई गेनितल ब्लॉकेज भी इसका कारण हो सकता हैं। जभी कोई कपल ऐसे चीजों से गुजरता हैं मेल पार्टनर के मुकाबले एक महिला को ऐसे वक्त पर कई सारे मेडिकल टेस्ट कराने पड़ते हैं, या दवाइया,इंजेक्शन लेना पड़ता हैं।
क्या हैं पेरेंट्स बनने का दूसरा उपाय ?
दोनों मेल और फीमेल इनफर्टिलिटी के अनेक इलाज आज मौजूद हैं साथ ही कई दुसरे ऑप्शन जैसे सुरोगेसी, आईवीएफ,एडॉप्शन आदि। इसमें कोई दो राय नहीं की इनफर्टिलिटी के ट्रीटमेंट की जर्नी मुश्किल हैं। ये जर्नी दोनों पार्टनर के लिए उतर चदाव से भरा हुआ होता हैं। पर इसका ये अर्थ नही की किसी एक को इसका जिम्मेदार ठेहरा कर उसके साथ शारीरिक और मानसिक एब्यूज किया जाए जरुरी हैं की ऐसे वक्त में हम उस महिला का पूरा सपोर्ट करे। हम समाज का हिस्सा होने के नाते इस टॉपिक पर लोगों तक जागरूकता पंहुचा सकते हैं और एक समझदार नागरिक की तरह जो भी महिला ऐसे परिस्तिथि से गुजर रहीं हैं उसके लिए खड़े हो सकते हैं।