क्या आप जानते हैं किरण बेदी का नाम क्रेन बेदी कैसे पड़ा ?

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Swati Bundela
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क्रेन बेदी की कहानी किरन बेदी की जुबानी :
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किरण बेदी दिल्ली में ट्रैफिक पुलिस की इंचार्ज थी , फील्ड ओरिएंटेड होने के कारण वास्तव में काम की जाँच करना पसंद करती थी इसलिए वो रोज़ सड़क पर सुबह 8 बजे जाया करती थी सड़को की जांच के लिए. उन्हों ने देखा की बसों और ट्रको के कारण रुकावटें हो रखी थी और और इस पूरी स्थिति को बेहतर करने के लिए उन्हें क्रेनों की जरूरत थी लेकिन उस वक्त दिल्ली पुलिस के पास सिर्फ 2 ही क्रेनें थी , जिसमें से एक खराब होने के कारण वर्कशॉप पर थी । इसलिए 16 प्राइवेट क्रेनें बुलाई गयी. इसका मतलब 16 व्यापारियों की क्रेनें मंगवाई गयीं , जिससे व्यापारियों का कनेक्शन इंस्पेक्टर से बन जाएगा और चलान भी काटा जा सकेगा ।

क्रेनों पर स्पीकर लगाया सावधान करने के लिए पर कुछ लोगो के न हटने से गाड़ियां ड्राइवर समेत उठा ली गयीं । ऐसा करने से सभी को ये सन्देश मिला की अमीरों को भी पुलिस वालो की बात माननी होती है क्यूंकि वो जो कहते है , करते भी है ।

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व्यापारियों को मिला रोज़गार:
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ऐसा करने से व्यापारियों को काम भी मिला और क्रेनें खरीदने की जरूरत नहीं पड़ी । क्रेनों पर स्पीकर लगाया सावधान करने के लिए पर कुछ लोगो के न हटने से गाड़ियां ड्राइवर समेत उठा ली गयीं । ऐसा करने से सभी को ये सन्देश मिला की अमीरों को भी पुलिस वालो की बात माननी होती है क्यूंकि वो जो कहते है , करते भी है ।ऐसा करने से काफी चालान इकट्ठा हुआ जिससे सड़के साफ़ हुई और उनकी मरमत्त हो पायी , इसके साथ साथ कंस्ट्रक्टिव पार्किंग भी बंद होने लगी और लोग अपनी गाड़िया सही पार्किंग में लगाने लगें । इस घटना से किरन बेदी , जिन्होंने साहस के साथ अपना काम किया , उनको क्रेन बेदी के नाम से बुलाया जाने लगा । किरण बेदी जो हम सभी के लिए एक मिसाल है , एक निडर और आत्मनिर्भर महिला की ।
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