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Periods: आखिर क्यों आज भी पीरियड्स एक टैबू टॉपिक है?

ब्लॉग: मासिक धर्म, स्त्रीत्व का एक स्वाभाविक और अनिवार्य हिस्सा है। फिर भी, आज के आधुनिक युग में भी, इस विषय पर खुलेआम बात करना वर्जित माना जाता है। समाज में इसके बारे में फुसफुसाहटें होती हैं, छिपाव-छिपाई होती है, मानो यह कोई गंदा या शर्मनाक रहस्य हो।

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Vaishali Garg
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Periods: मासिक धर्म, स्त्रीत्व का एक स्वाभाविक और अनिवार्य हिस्सा है। फिर भी, आज के आधुनिक युग में भी, इस विषय पर खुलेआम बात करना वर्जित माना जाता है। समाज में इसके बारे में फुसफुसाहटें होती हैं, छिपाव-छिपाई होती है, मानो यह कोई गंदा या शर्मनाक रहस्य हो। यह स्थिति बेहद निराशाजनक है और इसे बदलने की सख्त जरूरत है।

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आखिर क्यों आज भी पीरियड्स एक टैबू टॉपिक है?

सबसे पहले, यह समझना जरूरी है कि मासिक धर्म कोई बीमारी नहीं है, न ही यह कोई अभिशाप है। यह एक जैविक प्रक्रिया है जो हर स्वस्थ महिला के शरीर में होती है। यह प्रजनन क्षमता का प्रमाण है और जीवन के लिए आवश्यक है। फिर भी, समाज में इसे अशुद्ध या अपवित्र माना जाता है। महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान मंदिरों में जाने, छूने, या कुछ खास गतिविधियों में शामिल होने से रोका जाता है। इससे महिलाओं को हीन भावना और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है।

यह वर्जना कई हानिकारक नतीजों को जन्म देती है। सबसे पहले, यह महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। मासिक धर्म के बारे में खुलेआम बात न होने के कारण, महिलाएं अपने शरीर और स्वास्थ्य के बारे में जानकारी नहीं रख पाती हैं। वे असामान्य लक्षणों को नजरअंदाज कर देती हैं या शर्म के कारण डॉक्टर से नहीं जा पाती हैं। इससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

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दूसरा, यह वर्जना महिलाओं की शिक्षा और आर्थिक भागीदारी में बाधा डालती है। कई लड़कियों को स्कूल से अनुपस्थित रहना पड़ता है या स्कूल छोड़ना पड़ता है क्योंकि उनके पास मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता और सुविधाओं का अभाव होता है। इससे उनकी शिक्षा बाधित होती है और भविष्य के रोजगार के अवसर कम हो जाते हैं।

तीसरा, यह वर्जना महिलाओं के आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को कम करती है। जब समाज उन्हें मासिक धर्म के कारण अशुद्ध या कमतर समझता है, तो इससे महिलाओं में हीन भावना और शर्म पैदा होती है। यह उनके आत्मविश्वास को कम करता है और उन्हें अपने जीवन में आगे बढ़ने से रोकता है।

इस स्थिति को बदलने के लिए, समाज में मासिक धर्म के बारे में खुली और ईमानदार बातचीत की जरूरत है। हमें इस विषय पर मिथकों और भ्रांतियों को दूर करने की जरूरत है। हमें महिलाओं को उनके शरीर और स्वास्थ्य के बारे में जानकारी और शिक्षा देनी चाहिए। हमें स्कूलों और कार्यस्थलों में स्वच्छता और सुविधाओं की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि महिलाएं मासिक धर्म के दौरान भी अपनी जिंदगी सामान्य रूप से जी सकें।

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मासिक धर्म एक प्राकृतिक और स्वस्थ प्रक्रिया है। इसे वर्जित या शर्मनाक नहीं माना जाना चाहिए। हमें इस वर्जना को तोड़ने और महिलाओं को उनके स्वास्थ्य और अधिकारों के बारे में जागरूक करने की जरूरत है। तभी हम एक सच्चे और समावेशी समाज का निर्माण कर सकते हैं।

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