Why Perfect Women: पहले समय में लड़कियों को सिर्फ़ घर के काम-काज तक सीमत रखा जाता था या फिर पढ़ाई ख़तम होते ही उनकी शादी कर दी जाती थी, पर आज की नारी घर भी सम्भाल रही है, पढ़ भी रही है, वह जॉब भी कर रही है, घर का काम भी उसे करना है और बच्चा भी सम्भालना है।इन सब कामों के बावजूद उनसे यह उपेक्षा की जाती है कि वे इन सब में पर्फ़ेक्ट हों। उसे माँ, बहन, पत्नी और बहु सब का रोल अच्छे से अदा करना हैं। अगर किसी भी काम में भी लैक कर जाती तो घरवाले, समाज और आस- पास के लोग उसे सुनाने में चूक नहीं करते
क्या एक औरत का पर्फ़ेक्ट होना ज़रूरी है?
हमारे समाज एक स्त्री का हर एक चीज़ में पर्फ़ेक्ट होना ज़रूरी है? समाज चाहता है कि औरत जॉब भी करे लेकिन अपने परिवार का भी अच्छे से ध्यान रखे। सुबह घर का काम करके ऑफ़िस आए और शाम को घर आकर भी काम करे। अगर वे एक माँ है तो अपने बच्चे को भी प्रॉपर टाइम दे और एक पत्नी का फ़र्ज़ भी निभाए। औरत होने कि मतलब यही है के वह सब का ध्यान रखे लेकिन उसका कोई ना रखे।
अगर एक औरत ज़्यादा पढ़ी लिखी नही है तो वह ग्वार है उसे कहा समझ होगी इन सब बातों की। अगर वह बच्चे के बाद जॉब करना चाहे तो यह बहुत इनसेंसिटिव माना जाता है।सुनाया जाता है कि इसको तो अपने बच्चे की कोई फ़िक्र ही नही है। अगर वह ज़्यादा पढ़ी लिखी हो तो कहते हैं इसको क्या संस्कारों की क़दर होगी।
क्या अकेली औरत ही घर का और बाहर का काम करे?
दूसरी तरफ़ हम मर्दों की बात करें उन्हें तो कोई नहीं कहता कि उसे भी घर का काम करना है। घर का काम करना उसकी भी ज़िम्मेदारी है। एक बच्चे के लिए जितनी माँ की ज़िम्मेदारी है उतनी एक पिता की भी है। आज का ज़माना ऐसा है कि पति पत्नी दोनों जॉब करते हैं। क्या अकेली औरत ही घर का और बाहर काम करे? ऑफ़िस से थके तो दोनों आएँ फिर अकेली औरत ही क्यों करें।
क्या औरत को अधिकार नहीं है वह अपने लिए भी टाइम निकाल सके?
सबका करते- करते वह भी थक जाती हैं उन्हें भी अपने लिए टाइम चाहिए। वह सब के लिए करती है पर उसका कोई नही सोचता। यह कोई नहीं सोचता उन्हें भी अपनी लाइफ़ में थोड़ा आराम चाहिए। वे भी चाहती हैं अपनी मर्ज़ी से टाइम सपेंड करें। अगर कोई काम उनसे छूट जाता है तो कोई बात नहीं।वे भी इंसान हैं। क्यों हमें औरतों को महान बनाना अच्छा लगता है। समाज में लोग कहते हैं देखा वो तो सूपरविमेन है सब काम कर लेती है। लेकिन सूपरविमेन होने की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ औरत पर ही क्यों!