Women’s Incomplete Freedom: The Ongoing Struggle 78 Years After Independence: जब भी हम भारत की आजादी की बात करते हैं, हमारे मन में स्वतंत्रता की भावना जाग उठती है। 15 अगस्त 1947 का दिन हमारे लिए केवल एक तारीख नहीं है, बल्कि यह उस संघर्ष की याद दिलाता है जो हमने अपनी आजादी के लिए लड़ा था। पिछले 78 वर्षों में, भारत ने कई क्षेत्रों में प्रगति की है—विज्ञान, तकनीक, अर्थव्यवस्था और सामाजिक सुधारों में। लेकिन जब बात महिलाओं की स्वतंत्रता की आती है, तो क्या हम वास्तव में गर्व से कह सकते हैं कि हमारे देश की आधी आबादी आजाद है?
स्वतंत्रता दिवस पर महिलाओं की स्वतंत्रता: अभी भी अधूरी यात्रा
भारत की आजादी के बाद महिलाओं के अधिकारों और उनके उत्थान के लिए कई कानून और नीतियां बनाई गईं। शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए गए। लेकिन क्या ये सब काफी था? क्या ये प्रयास उन सामाजिक बेड़ियों को तोड़ पाए जिनमें आज भी महिलाएं जकड़ी हुई हैं? क्या आज की महिलाएं वास्तव में स्वतंत्र महसूस करती हैं?
आज भी जब हम स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराते हैं, हमें यह सोचने की जरूरत है कि क्या यह देश महिलाओं के लिए सुरक्षित है? आज भी महिलाओं को समानता, सम्मान और सुरक्षा के लिए लड़ना पड़ता है।
महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान: कब मिलेगी सच्ची आजादी?
भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या हर साल बढ़ रही है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 2022 में महिलाओं के खिलाफ 4,45,256 अपराध दर्ज किए गए। हर घंटे लगभग 51 मामले सामने आते हैं। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि महिलाएं आज भी सुरक्षित नहीं हैं, चाहे वो घर हो या बाहर।
शिक्षा और करियर की स्वतंत्रता
महिलाओं की साक्षरता दर पुरुषों से काफी कम है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5) के अनुसार, भारत में महिलाओं की साक्षरता दर 70.3% है, जबकि पुरुषों की 84.7% है। इसके अलावा, 90% महिलाएं घर के कामकाज में बिना वेतन के योगदान करती हैं। क्या महिलाओं को कभी यह स्वतंत्रता मिलेगी कि वे शिक्षा प्राप्त कर सकें और अपने करियर का चुनाव खुद कर सकें?
महिलाओं के शरीर और जीवन पर अधिकार
भारतीय समाज में आज भी महिलाओं को उनके शरीर और जीवन के फैसलों पर स्वतंत्रता नहीं मिलती। चाहे वह शादी का दबाव हो, बच्चे पैदा करने का निर्णय हो, या फिर यौनिकता पर नियंत्रण की बात हो, महिलाओं को हमेशा समाज के अनुसार चलने के लिए मजबूर किया जाता है।
शादी और घरेलू हिंसा
शादी के बाद महिलाओं की जिंदगी में कई बदलाव आते हैं, जिनमें से कई सकारात्मक नहीं होते। घरेलू हिंसा और मानसिक शोषण के मामले हर साल बढ़ते जा रहे हैं। NFHS-5 के अनुसार, 29.3% महिलाएं अपने जीवनसाथी से हिंसा का सामना करती हैं। क्या महिलाएं कभी घरेलू हिंसा से मुक्त हो पाएंगी?
भारत की स्वतंत्रता के 78 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन महिलाओं की स्वतंत्रता की यात्रा अभी भी अधूरी है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि महिलाएं न केवल सुरक्षित रहें बल्कि उनके पास अपने जीवन के हर पहलू पर अधिकार हो। तभी हम सच्चे मायनों में स्वतंत्रता दिवस मना सकेंगे।