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महिलाओं को अपने जूनून का पीछा करना चाहिए - मीना वोहरा

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Swati Bundela
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कौन कहता है बढ़ती उम्र के साथ व्यक्ति में काम करने की क्षमता कम होती जाती है ? यदि काम दिल से चुना जाये तो शरीर में जान बढ़ती जाती है. इसी का एक बेहतरीन उदाहरण हैं सिरेमिक आर्टिस्ट, मीना वोहरा, जो अपने काम और उत्साह से लोगों का दिल जीत रहीं हैं .

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कई सालों तक स्कूलों में अंग्रेजी विषय की शिक्षिका रहीं, आज लगभग 20 सालों से पॉटरी कर रही है.  इच्छा शक्ति और अपनों के समर्थन के साथ वह आज पॉटरी क्लासिस और वर्कशॉप्स चला रहीं हैं. उनका मानना हैं कि महिलाएं ऐसा न सोचे कि वह आगे कुछ नहीं कर सकतीं.  उन्हें अपने जुनून को फॉलो करना चाहिए



उनसे बात-चीत के दौरान हमें उन्हें करीब से जानने का मौका मिला
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आपकी क्ले से कलाकारी करने की इच्छा कैसे जागी ?



अपनी बेटी से मिलने जब मैं IIT बॉम्बे गयी थी, तब मैंने वहाँ का क्ले सेक्शन देखा. तभी मुझे मेरी इस क्षेत्र में रूचि होने का ज्ञात हुआ. फिर मैंने नौकरी छोड़ी और पॉटरी में जुट गई और अब मुझे लगभग 20 साल हो गए.
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पॉटरी वर्कशॉप की स्थापना से आपका क्या उद्देश्य था ?



मैं अपनी पॉटरी वोर्क्शोप्स के द्वारा लोगों में सकारात्मकता फ़ैलाना चाहती हूँ. पॉटरी करते समय हमारे हाथों के एक्क्युप्रेशर पोईन्ट्स दबते है जिससे हमारा तनाव दूर होता है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है. यह कला हमें अध्यात्मकता का अनुभव भी कराती हैं.
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आपने अपनी दिलचस्पी को व्यवसाय बनाने का फ़ैसला क्यों लिया ?



जब हम किसी कारोबार को शुरू करते हैं तो हमें एक अलग ही साहस की अनुभूति होती है और आज के ज़माने में इतने अवसरों के उपलब्ध होने से एक नारी का आत्म निरंतर बनना इतना मुश्किल नहीं होना चाहिए. उन्हें इन अवसरों से आगे बढना चाहिए.
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अपना व्यवसाय होने से आपको कैसा महसूस होता हैं ?



अपना काम, अपने अनुसार और अपने वक्त से करने की अलग ही ख़ुशी है.  यह हमारे अंदर नया साहस भर देती है और इस से समाज में हमारी अलग जगह बनती दिखती हैं.
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आपको हर दिन नए डिजाईज़ बनाने की प्रेरणा कहाँ से मिलती हैं ?



मैं अपने वातावरण से प्रेरणा लेती हूँ. हर सुबह जब मैं सैर के लिए निकलतीं हूँ, आस- पास देखतीं हूँ, और प्रकृति को निहारतीं हूँ. फिर घर जा कर अलग-अलग तरीकों से क्ले के माध्यम से उतारती हूँ.
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आपके अनुसार एक कलाकार के जीवन का क्या उद्देश्य होना चाहिए ?



हम एक कलाकार की मानसिकता और जीवन दृश्य उसके कार्य से जान सकते हैं. एक कलाकार के तौर पर मेरा उद्देश्य केवल समाज को ही नहीं, हर व्यक्तित्व को प्रभावित करना हैं. उनके दिल और आत्मा को छू जाना हैं. मेरी यहीं इच्छा हैं की दूसरे कलाकार भी इस धरती पर बदलाव लाने की कोशिश करें. अपनी कला से लोगों को शारीरिक, मानसिक एवं भावुकता रूप से सकारात्मक परिवर्तन कर सकें.



अपनी क्रिएटिविटी के माध्यम से मीना जी चारों तरफ खुशियाँ फैलाने में सफल दिख रहीं हैं. युवाओं तथा महिलाओं की प्रेरणा का स्तोत्र बन रहीं हैं. वह महिला सशक्तिकरण की एक अनोखी मिसाल हैं जिन्हें हम सलाम करतें हैं.
#फेमिनिज्म
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