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Women Stereotypes : फिल्मों से ज्यादा डेलीसोप बनाते हैं विमेन स्टीरियोटाइप

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Swati Bundela
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6 डेलीसोप विमेन स्टीरियोटाइप जो महिलाओं को लेकर दिखाए जाते हैं


1. अच्छी और सच्ची महिला घर का सारा काम जानती है

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टेलीविजन पर आने वाले धारावाहिकों में हमेशा एक अच्छी और सच्ची महिला को घर का सारा काम आता हुआ दिखाया जाता है। जो महिला अपने पति को और अपने सास-ससुर को खुश रख सकती है बस वही आदर्श बहू यह महिला कहलाती है और इसे देख देख कर असल जिंदगी की औरतें भी इन्हीं चीजों से प्रेरणा लेकर इन बातों को अपने दिमाग में बिठा लेती हैं।
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2. एक महिला दूसरी महिला की दुश्मन होती है


ज्यादातर धारावाहिकों में कहानी का पूरा प्लॉट एक महिला के आसपास घूमता है जो दूसरी महिला से अपने पति और परिवार को बचाने में जुटी होती है। ज्यादातर ऐसे धारावाहिकों में दिखाया जाता है कि किस तरह सास बहू, सास और ननद या फिर किन्हीं दो महिलाओं के बीच दोस्ती नहीं हो सकती है और महिलाएं ही महिलाओं की दुश्मन दिखाई जाती हैं।
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3. एक अच्छी पत्नी अपने पति के साथ बराबरी की होड़ नहीं करती


ज्यादातर धारावाहिकों में यही दिखाया जाता है की एक अच्छी पत्नी कभी भी अपने पति से पहले खाना नहीं खाती है, अपने पति से बिना पूछे कुछ काम नहीं करती है और ना ही अपनी जिंदगी के बड़े फैसले अपने आप लेती है। इस बात को हमेशा इस तरह से दिखाया जाता है की एक पति या पुरुष ही अपनी पत्नी यह किसी भी महिला की जिंदगी कब फैसला करने का अधिकार रखता है।
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4. बच्चों की परवरिश की सारी जिम्मेदारी औरतों की ही है


टेलीविजन के डेली सोप में न जाने क्यों बच्चों की शादी परवरिश की जिम्मेदारी हमेशा उनकी मां के हिस्से ही आती है। उनके पिता से बच्चों की परवरिश के बारे में कोई भला क्यों नहीं कुछ कहता?
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5. बदतमीज और बिगड़ैल लड़के को एक लड़की ही सुधारती है


क्या सचमुच असल जिंदगी में आपके साथ बदतमीजी करने वाले किसी भी इंसान को आप कभी भी पसंद करेंगी? नहीं ना? तो फिर क्यों हमेशा इन धारावाहिकों में ज्यादातर लड़की को बदतमीज और बिगड़ैल लड़के ही पसंद आते हैं और आखिर में उस लड़की पर ही उस लड़के को सुधारने की सारी ज़िम्मेदारी आती है?
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6. एक इंडिपेंडेंट महिला नेगेटिव किरदार में ही क्यों?


अगर आपने कभी इस बात पर गौर किया हो तो आपको महसूस हुआ होगा कि हमेशा हर नाटक में जो महिलाएं जानती हैं कि उन्हें क्या चाहिए क्या पाना चाहती हैं, या वह फाइनेंशली इंडिपेंडेंट है तो उन्हें नेगेटिव कैरेक्टर में ही दिखाया जाता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कसौटी जिन्दगी के की कोमोलिका। शायद इसलिए समाज में महिलाओं का अपने हक के लिए आवाज उठाना गलत माना जाता है।
#फेमिनिज्म सोसाइटी
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