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संविधान और सशक्तिकरण: भारतीय महिलाओं को पूर्ण अधिकार और सशक्तिकरण कैसे मिलेगा?

इस गणतंत्र दिवस पर जानें, कैसे भारतीय महिलाएं समानता और सशक्तिकरण की नई कहानी लिख रही हैं। संविधान और अधिकारों की रोशनी में महिलाओं की स्थिति पर चर्चा।

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Vaishali Garg
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Indian village women

Photograph: File Image

गणतंत्र दिवस केवल संविधान के अस्तित्व का जश्न मनाने का दिन नहीं है, बल्कि यह उन मूल्यों और अधिकारों की याद दिलाता है, जो हर भारतीय को सशक्त और समान बनाते हैं। यह दिन विशेष रूप से भारतीय महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनके अधिकारों और स्वतंत्रता की दिशा में हुई प्रगति को सम्मानित करने का अवसर प्रदान करता है।

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गणतंत्र दिवस का महत्व और महिलाओं की भूमिका

हमारे संविधान ने भारतीय महिलाओं को समानता, शिक्षा, स्वास्थ्य, और स्वतंत्रता का अधिकार दिया है। यह वही अधिकार हैं, जिन्होंने महिलाओं को समाज की जंजीरों को तोड़कर अपनी पहचान बनाने का अवसर दिया। चाहे वह स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका हो या आज के दौर में हर क्षेत्र में उनकी भागीदारी—महिलाएं हमेशा से बदलाव की अग्रदूत रही हैं।

1. स्वतंत्रता और सशक्तिकरण का आदर्श 

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सिमरत कथूरिया के अनुसार, गणतंत्र दिवस महिलाओं के लिए यह सोचने का अवसर है कि हमें अपनी स्वतंत्रता का उपयोग कैसे करना है। उन्होंने कहा, “महिलाओं को स्वास्थ्य, पोषण और व्यक्तिगत निर्णय लेने में अपनी प्राथमिकता को समझना होगा। यह गणतंत्र दिवस हमें याद दिलाता है कि संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, लेकिन हमें अपने सशक्तिकरण के लिए खुद कदम उठाने होंगे।”

2. समानता और अधिकारों की रक्षा 

डॉ. शीतल जिंदल का मानना है कि संविधान में दिए गए अधिकार केवल कागजों तक सीमित नहीं रहने चाहिए। “गणतंत्र दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमें समान वेतन, प्रजनन स्वास्थ्य और समान प्रतिनिधित्व के अधिकार के लिए लड़ाई जारी रखनी है। महिलाएं केवल समाज का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि वे समाज की धुरी हैं। हमें अपनी आवाज उठाने और अपनी जगह बनाने में झिझकना नहीं चाहिए।”

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3. मानसिकता में बदलाव की जरूरत 

राधिका कट्टी कपूर का कहना है कि गणतंत्र दिवस हमें यह सोचने का मौका देता है कि हम मानसिकता में बदलाव कैसे ला सकते हैं। “यह केवल अधिकार प्राप्त करने का विषय नहीं है, बल्कि उन अधिकारों का सही उपयोग करने का भी है। महिलाएं जब खुद को शिक्षित करेंगी और हर क्षेत्र में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाएंगी, तभी सच्चा गणतंत्र बनेगा।”

4. किसी को अपनी यात्रा परिभाषित न करने दें

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प्रोफेसर, डॉ. महबूबा रसूल, कहती हैं, "भारत के 76वें गणतंत्र दिवस के इस गौरवपूर्ण अवसर पर हमें स्वास्थ्य, शिक्षा, कानून, प्रशासन और उससे परे सभी क्षेत्रों में महिला योद्धाओं की अदम्य भावना पर विचार करना चाहिए। यह हमारे लिए महिला के तौर पर एक अटल प्रतिज्ञा लेने का समय है कि हम किसी को भी खुद को पटरी से उतारने, पक्षपात, भेदभाव और निर्णयात्मक पूर्वाग्रहों को अपनी यात्रा को परिभाषित करने की अनुमति नहीं देंगे। हमें अपने कार्यों, विकल्पों और आवाज़ों की ताकत से खुद को और अपने आस-पास के लोगों को सशक्त बनाते हुए ऊपर उठना चाहिए। महिलाएँ हमेशा से ही पारिवारिक और सामुदायिक जीवन की आधारशिला रही हैं, अक्सर काम और घरों में कई भूमिकाएँ निभाती हैं। हालाँकि, अक्सर, अंतहीन ज़िम्मेदारियों के कारण हम अपनी हेल्थ को दरकिनार कर देते हैं"। 

"यह जरूरी है कि हम न केवल अपने लिए बल्कि परिवारों और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी अपनी वेल्बीइंग को प्राथमिकता दें। जन्म से लेकर मृत्यु तक, ओवरऑल हेल्थ हमारे जीवन का आधार होनी चाहिए। विशेष स्तनपान को बढ़ावा देकर, प्रीलैक्टियल को खत्म करके, साक्ष्य-आधारित पोषण सुनिश्चित करके और उचित स्वच्छता प्रथाओं को बनाए रखकर घर पर प्रभावशाली बदलाव ला सकते हैं। इसके अतिरिक्त, अच्छी मेंटल हेल्थ और वर्क-लाइफ बैलेंस को बढ़ावा देना हमारी वेल्बीइंग के लिए महत्वपूर्ण है। चूंकि महिलाएं हर क्षेत्र में अग्रणी बनी हुई हैं, इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी आवाज़ सुनी जाए, हमारे योगदान को पहचाना जाए और हमारे स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाए। सशक्तिकरण एक उपहार नहीं है; यह हमारा अधिकार है और दूरदर्शी नीति निर्माताओं और पथप्रदर्शकों की सामूहिक शक्ति के साथ, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि भविष्य वास्तव में महिला-केंद्रित हो"।

महिलाओं के लिए गणतंत्र दिवस का संदेश

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गणतंत्र दिवस हमें अपने संविधान पर गर्व करने का अवसर देता है, लेकिन यह हमें यह भी याद दिलाता है कि महिलाओं की स्थिति को और बेहतर बनाने के लिए अभी लंबा सफर तय करना बाकी है। यह दिन हर भारतीय महिला को यह वचन लेने के लिए प्रेरित करता है कि वह अपने अधिकारों के लिए खड़ी होगी, अपनी क्षमताओं का उपयोग करेगी, और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में अपनी भूमिका निभाएगी।

गणतंत्र दिवस न केवल हमारे संविधान की उपलब्धियों का जश्न है, बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में किए गए प्रयासों का भी प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि एक सशक्त गणराज्य तभी संभव है जब महिलाएं हर क्षेत्र में समान रूप से भागीदारी करें। संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, लेकिन उन अधिकारों को वास्तविकता में बदलने की जिम्मेदारी हमारी है।

आइए, इस गणतंत्र दिवस पर हम यह प्रण लें कि हम भारतीय महिलाओं को उनके अधिकारों, सम्मान और स्वतंत्रता की लड़ाई में सशक्त बनाएंगे और एक ऐसा समाज बनाएंगे, जहां महिलाएं आत्मनिर्भर और स्वतंत्र होकर अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर सकें।

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