कोरोना के चलते जहां सब कुछ बंद हो हो गया था और सब कुछ थम सा गया था, ऐसा महसूस हो रहा था काम तो सदाबहार है। लेकिन कोरोना काल में क्या हुआ ऑफिस नहीं ऑफिस नहीं जा सकते हैं तो हमने घर पर ही ऑफिस को बुला लिया और वर्क फ्रॉम होम शुरू कर दिया। लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी यह सिलसिला जारी रहा और आज काम करने में एक और ऑप्शन जुड़ गई- वर्क फ्रॉम होम।
WHO और इंटरनेशनल लेबर आर्गेनाईजेशन की रिपोर्ट अनुसार भी वर्क फ्रॉम होम के अनुसार बिना प्रॉपर प्लानिंग, आर्गेनाईजेशन और हेल्थ सेफ्टी सपोर्ट के टेलेवोर्किंग सेहत के साथ व्यक्ति को मानसिक बीमारियों का रोगी बना रहा है। आईए जानते है कैसे यह एम्प्लाइज की मेन्टल हेल्थ को इम्पैक्ट कर रहा है।
1. अकेलेपन का शिकार
घर के काम करने से कर्मचारी अकेलापन और डिप्रेशन का शिकार हुए है। घर से बाहर ना निकल पाना और काम में उलझे रहने से व्यक्ति के अकेलेपन का कारण बन गया है। 2019 में करीब 61 प्रतिशत लोग अकेलेपन की शिकायत महसूस की व्ही साल 2018 में महज 54 प्रतिशत लोग ही ऐसे थे।
2. जीवन के संतुलन में बिगाड़
लिंकेडीन की रिपोर्ट अनुसार भारत में पांच में से तीन प्रोफेशनल वर्क फराम होम के कारण उनकी ज़िंदगादि और काम के बीच के ताल-मेल को बिगाड़ कर रख दिया है। ना उन्हें छुट्टी मिलती है ना काम से आराम।
3. बुरी आदतों में बढ़ावा
चिंता, एंग्जायटी के कारण लोग बुरी आदतों की चपेट में आ रहे है। स्मोकिंग करना, शराब का सेवन करना, गलत खान पान शुरू करने का चलन बड़ गया है। जिसकी वजह से सेहत संबंधी प्रॉब्लम बढ़ रही है। स्क्रीन टाइम का बढ़ना आँखों में दर्द, स्ट्रेन का करण बन रहा है और गलत खान पान वज़न में बढ़रोतरी ला रहा है।
4. स्ट्रेस का शिकार
40 प्रतिशत प्रोफेशनल का मानना है कि वर्क फ्रॉम होम से में उन्हें स्ट्रेस और एंग्जायटी का सामना करना पड़ा। काम से जब व्यक्ति घर आता तो उसे सुकून महसूस होता था, शांति की अनुभूति होती थी पर अब घर पर रहकर काम करने से घर का माहोल महसूस नहीं हो रहा है जो उन्हें चिंतित कर रहा है।
5. करियर की चिंता
कोरोना काल में जहां कई लोगों को नौकरी छोड़नी पड़ी तो कई लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया और इकॉनमी की गिरती हुई स्थिति ने करियर की चिंता को ओर बढ़ा दिया है। करियर की ग्रोथ कम हो गयी है जो हर कर्मचारी के चिंता का विषय बना हुआ है।