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क्या है इस दिन की हिस्ट्री?
साल 2006 में इस दिन को एल्डर्स के लिए एक स्पेशल डे के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा गया था। इस प्रस्ताव पर आगे काम करते हुए साल 2011 में यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली ने 15 जून को वर्ल्ड एल्डर अब्यूस अवेयरनेस डे के रूप में मनाने की घोषणा की।
क्या है कोरोना के समय में इस दिन की सिग्नीफिकेन्स?
इस दिन के उपलक्ष में यूनाइटेड नेशंस के जनरल सेक्रेटरी एंटोनियो गुटेरेस ने कहा की कोविड महामारी के कारण आज पूरी दुनिया में एल्डर्ली पॉपुलेशन बहुत ही इनसेक्योर फील कर रही है। इमीडियेट हेल्थ इम्पैक्ट के बाद इसके कारण एल्डर्ली पॉपुलेशन गरीबी, डिस्क्रिमिनेशन और आइसोलेशन का शिकार हो रही है। एल्डर अब्यूस प्रेवेंटेबल है और इसलिए हमें इसके साइंस देखने चाहिए और अगर कहीं ऐसा कुछ होता देखें तो तुरंत रिपोर्ट करना चाहिए।
कोरोना में सबकी हुई है हालत ख़राब
अपने स्टेटमेंट में आगे एंटोनियो गुटेरेस ने की डेवलपिंग कन्ट्रीज में आधी से ज़्यादा एल्डर्ली पॉपुलेशन के पास सही मेडिकल फैसिलिटीज की एक्सेस नहीं है। ग्लोबल स्तर पर एल्डर्ली पॉपुलेशन को लाइफ सेविंग थेरपीज़ और मेडिकल फैसिलिटीज के फैसलों में आज भी डिस्क्रिमनेशन का सामना करना पर रहा है। इस महामारी के कारण भी कई और हेल्थ फैसिलिटीज में आई कमी के कारण भी दुनिया भर में बुजुर्गों को परेशानी का सामना करना पड़ा है।
क्या है इस साल की थीम?
इस साल के वर्ल्ड एल्डर अब्यूस अवेयरनेस डे की थीम है "एक्सेस तो जस्टिस"। इस बारे में पॉलिसी रिलीज़ वीडियो में एंटोनियो गुटेरेस ने बताया की कोई भी इंसान जवान या बुजुर्ग एक्सपेंडेबल नहीं है। बुजुर्गों को भी अपनी ज़िन्दगी अपने मर्ज़ी से और अपने राइट्स को यूज़ करते हुए जीने का पूरा अधिकार है। आगे उन्होंने बताया की डिफिकल्ट लाइफ सेविंग फैसले सबके ह्यूमन राइट्स को ध्यान में रख कर ही लेना चाहिए।