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क्या है तम्बाकू का दुष्परिणाम?
डॉक्टर सुमेधा बताती हैं की की तम्बाकू वो जानलेवा पदार्थ है जिसने पूरे देश की सामाजिक और इकनोमिक स्तिथि पे अपना बुरा असर डाला है। इसे इस्तेमाल करने वाले लोग इसके एडिक्ट बन जाते हैं और फिर इसे अपने लाइफस्टाइल का हिस्सा समझ लेते हैं। तम्बाकू का सबसे ज़्यादा सेवन निराश्रित लोग ही करते हैं क्योंकि ये हर जगह उपलब्ध है और बहुत ही सस्ता है। भारत की आधा से ज़्यादा गरीबी रेखा के नीचे वाली पॉपुलेशन के बच्चे इसके शिकार हैं। ये ना सिर्फ उनके भविष्य निर्माण में बढ़ा बनता है बल्कि इन बच्चों को मुँह, गले और लंग के कैंसर का भी शिकार बनाता है।
क्या कहते हैं रिसर्च?
रिसर्च की माने तो सिगरेट स्मोकिंग के चपेट में कॉलेज के बच्चे सबसे जल्दी आते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें अपने कॉलेज लाइफ में सबसे ज़्यादा स्ट्रेस लगता है और ये सिगरेट उनके हिसाब से उन्हें इस स्ट्रेस से आज़ाद करता है। जब तक वे इसके दुष्प्रभाव को समझ पाते हैं तब तक उन्हें इनकी लत लग जाती है और ये उनके मानसिक स्वास्थ्य को बिगाड़ देता है। तम्बाकू के कारण हमें दिल, फेफड़े और लिवर में गंभीर बीमारियां हो सकती है। ये हमें कितने गंभीर रूप से इफ़ेक्ट करता है ये इस बात से पता चलता है की हम इसका सेवन कितने साल से कर रहे हैं।
कैसे छोड़ें तम्बाकू और इसकी काउंसलिंग पे क्यों ध्यान दें?
डॉक्टर सुमेधा बताती हैं की हमेशा काउंसलिंग से बात नहीं बनती है। उन्होंने बताया की कई बार काउंसलिंग के बाद भी लोग तम्बाकू नहीं छोड़ पाते हैं और कई तो थेरेपी को बीच में ही छोड़ देते हैं। डी-एडिक्शन के केस में तो ये और भी दिक्कत खड़ा कर सकता है। ऐसे लोगों को तभी संभाला जा सकता है जब उनको उनके मेडिकल रिपोर्ट्स दिखाए जाए और उन्हें खुद को ये समझ में आए की ये उनकी जान ले सकता है।
क्या है रिकवरी का रास्ता?
इस वर्ल्ड नो टोबैको डे पे कैसे छोड़े तम्बाकू और इससे रिकवरी पे ज़रूर ध्यान दें। जो लोग रिकवर कर जाते हैं उनमें धीरे-धीरे बदलाव दिखने लगते हैं। कुछ महीनों में उनके चेहरे पे ग्लो वापस आने लगता है और साथ ही उनमें एनर्जी बढ़ जाती है। कई रिकवर्ड पेशेंट्स फिर अपने लाइफ में आगे बढ़ने के लिए योग और एक्सरसाइज के तरफ शिफ्ट हो जाते हैं। इसलिए ये बहुत ज़रूरी है की हम टोबैको से जीते ताकि हम कैंसर के विरुद्ध अपनी लड़ाई में आगे बढ़ पाए और काफी बेहतर और खुशहाल ज़िन्दगी जी पाएं।