विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस : जानिये क्यों महत्वपूर्ण है ये दिन
हर साल 10 सितम्बर को पूरी दुनिया में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस आत्महत्या रोकथाम दिवस देश में बढ़ती आत्महत्याओं को रोकने के लिए और उनके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। हमारा देश एक घनी आबादी वाला देश है जहाँ हर दिन लोग सुसाइड से बहुत ज़्यादा मरते हैं। एक सर्वे के अनुसार यह सामने आया है की भारत में लगभग हर दो मिनट में भारत में कोई सुसाइड से मरता है। आत्महत्या का मुख्य रीज़न डिप्रेशन है। आजकल के इस परेशानी और महामारी के दौर ने लाखों लोगों को मानसिक तनाव का शिकार होते हैं। आजकल के इस माहौल में जहाँ जीवन जीने के लिए बुनियादी ज़रूरते भी पूरी तरह से उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं वहीँ लाखों लोग अपना जीवन सही तरीके से जेने के लिए सोचने पर मजबूर हैं।
आत्महत्या रोकथाम दिवस: आत्महत्या के कारण
आजकल के इस मुश्किल दौर में आत्महत्या का मुख्य कारण सिर्फ और सिर्फ डिप्रेशन है। आजकल जहाँ हर चीज़ को पाने के लिए इतना स्ट्रगल करना पड़ता है वहीं उस स्ट्रगल को करते हुए और उससे जूझते हुए बहुत से लोग आत्महत्या का रास्ता अपनाते हैं और अपने जीवन को खत्म कर लेते हैं। प्यार में नाकामयाबी, धोखा , स्ट्रगल और महिलाओं में ज़्यादातर शादी के बाद होने वाले टॉर्चर से आत्महत्या के मामले ज़्यादा पाए जाते हैं। स्टूडेंट्स स्टडी प्रेशर को हैंडल नहीं कर पाते तो आत्महत्या कर लेते हैं।
डिप्रेशन के लक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अभी डिप्रेशन के साथ रहने वाले 300 मिलियन लोगों में से 50 प्रतिशत लोगों का इलाज नहीं किया जाता है. इसकी मुख्य वजह यह है कि डिप्रेशन के कारणों को पहचानना मुश्किल होता है। आइये आज हम जानते है डिप्रेशन के कुछ लक्षण।
- सोने का तरीक़ा
नींद के दौरान होने वाली कठिनाई डिप्रेशन का लक्षण है. नींद में कठिनाई, रात के दौरान बेचैनी और सुबह उठने की इच्छा नही होना शांतिपूर्ण दिमाग के लिए रोडब्लॉक हैं. निराश मरीजों के बीच अनिद्रा बहुत आम है.
- भ्रम और अनिश्चितता
हर कदम पर भ्रमित होने की प्रवृत्ति, धीमी सोच, और बार-बार भूलने भी डिप्रेशन के सूक्ष्म संकेत साबित हो सकते है. हालांकि यह सच है कि निर्णय लेने में असमर्थता एक सामान्य मानव विशेषता है, लेकिन कई बार यह चिंताजनक साबित हो सकती है
- लगातार सोचना और तनाव
अत्यधिक चिंता और अधिक सोचने हर समय कम आत्म-सम्मान का कारण बन सकता है. निरंतर तनाव के परिणामस्वरूप नकारात्मक दृष्टिकोण और आसपास के लोगों के प्रति प्रतिक्रिया के एक ऐसे भंवर में फंस जाता है. इस निरंतर निवास को अवसादग्रस्त रोमन कहा जाता है.
- सामाजिक वापसी और अभिव्यक्ति
यदि व्यक्ति, जो पहले अत्यधिक सामाजिक रहे हैं और किसी भी कामों से अपने आप को वापस खींचना शुरू करते हैं, यह एक तरह का अलार्म हैं. अलगाव और सामाजिक वापसी अत्यधिक आम अवसादग्रस्त लक्षण हैं. डिप्रेशन के दौरान, सामाजिक तौर पर अलग होना बीमारी को और बढ़ाता है. इसलिए यह एक लक्षण है जिसे प्राथमिकता के आधार पर पहचानना चाहिये और इलाज किया जाना चाहिये.
- भूख की कमी
डिप्रेशन के दौरान भूख बढ़ जाती है या कम हो जाती है यह आम बात है. यह एक व्यक्ति से दूसरे में भिन्न होता है. जबकि कुछ का वजन कम होने लगता है और कुछ का बढ़ने लगता है. जबकि कुछ स्थितियों में कई लोग पूरी तरह से भोजन से परहेज करते हैं, अन्य लोग पूरे दिन कुछ खाते रहते हैं. खासतौर पर उन खाद्य पदार्थों पर जो चीनी और वसा में उच्च होते हैं.
सुसाइड हेल्पलाइन
हर दिन सुसाइड के केसेस के बढ़ने के कारण ऐसी बहुत सारी ओर्गनइजेशन्स और एनजीओ हैं जो सुसाइड को रोकने के लिए आपकी मदद करती हैं। आपकी काउंसलिंग करती है। जब भी आपको ज़्यादा नेगेटिविटी फील हो या सुसाइड का ख्याल मन में आये तो इन हेल्पलाइन नम्बरों
पर ज़रूर फ़ोन करें। नेशनल सुसाइड प्रिवेंशन हेल्पलाइन नंबर -18002738255 पर ज़रूर कांटेक्ट करें और अपने अंदर से आत्महत्या का ख्याल दूर रखें।
पढ़िए : डिप्रेशन क्या है? इसके लक्षण क्या हैं ?