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अपनी बॉडी से प्यार करने के पांच तरीके

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Swati Bundela
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"मेरा बॉडी वेट हमेशा से आम लड़कियों से ज्यादा था और इंस्टाग्राम या मूवीज में जिस तरह पतली लड़कियों को ग्लैमराइज किया जाता रहा है इस बात से हमेशा मुझे self-conscious फील होता था, मैं चाह कर भी खुद को जैसी हूँ वैसी ऐक्सेप्ट या पसंद नहीं कर पाती थी" अपनी बॉडी से प्यार

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मेरी फ्रेंड की ये कहानी यहां हर दूसरी लड़की की कहानी है जो conventional ब्यूटी स्टैंडर्ड में फिट नहीं होती या जो इंस्टाग्राम मॉडल जैसी ना दिखने के कारण खुद को कोसती रहती हैं। तो आइए जानते हैं की ऐसा क्यों होता है और कैसे हम खुद को इस मुश्किल से निकालें।

हम क्यों खुद को accept नहीं कर पाते

हम जैसे हैं और जैसी हमारी बॉडी है उसे वैसे ही पसंद करना तो दूर accept भी नहीं कर पाते। देखा जाए तो इसका कारण हमारे आसपास के ब्यूटी स्टैंडर्ड हैं जो बचपन से ही हमें बताते हैं की ऐसा दिखना सुन्दर है और ऐसा नहीं। छोटी छोटी बच्चियों को बार्बी डॉल थमा दी जाती है जिससे उनके दिमाग में छप जाता है की पतला होना या उजली त्वचा होना या ऐसे बाल होना सुन्दर है ! इस तरह के toxic माइंडसेट को फिल्में और advertisement भी बढ़ावा देते हैं।

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इस तरह के माहौल में यह जानना की हर त्वचा हर बॉडी अपने आप में यूनिक और सुन्दर होती है, बेहद मुश्किल होता है और हम खुद से ही नफरत करने लग जाते हैं। इसलिए खुद को इंस्टाग्राम या advertisements की मॉडल की तरह ना देखकर एक नॉर्मल इंसान की तरह देखें क्योंकि काफी हद तक महिलाओं की बॉडी को objectify करने का कारण मेल गेज़ होता है।

क्या होता है मेल गेज़ (male gaze)?

एक लड़की भले की कितनी ही पढ़ी लिखी और टैलेंटेड हो लेकिन लोगों के दिमाग में पहले यही आता है, 'क्या वो सुन्दर है?'

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फ़ेमस फील्म क्रिटिक लौरा मल्फी(Laura mulfey) के अनुसार, जब हम इस तरह अपनी बॉडी को पुरुषों के नज़रिये से देखते हैं तो उसे मेल गेज़ कहा जाता हैं। Mainstream मीडिया में अक्सर महिलाओं की बॉडी को पुरुषों के नज़रिये से पेश किया जाता है क्योंकि कैमरा के पीछे अक्सर एक पुरुष ही होता है। यहां फीमेल बॉडी को महज एक चीज़, एक object के रुप में दिखाया जाता है और हमसे यह कहा जाता है कि यह नॉर्मल है।

इसलिए हम भी अपनी बॉडी को पुरुषों के नज़रिये से देखने लग जाते हैं क्योंकि एक फीमेल बॉडी को मूवीज या Advertisements में वैसे ही objectify करके दिखाया जाता है। इसलिए हमारे लिये इस मेल गेज़ के concept को जानना और समझना जरूरी है क्योंकि हमारी बॉडी कोई सामान नहीं जिसे objectify करते रहा जाए।

यह समझें की हर बॉडी यूनिक और सुन्दर होती है।

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"मैं तब भी अँधेरे में ही होती अगर मेरे दोस्तों और बॉयफ्रेंड ने मुझे खुद को ऐक्सेप्ट करने का हौसला ना दिया होता। जब उस इन्सान जिससे मुझे प्यार है, उसने मेरी बॉडी की तारीफ की, उस वक़्त मुझे खुद में पहली बार लगा की मैं भी खुबसूरत हुँ। वैसे तो मुझे खुद को aceept करने के लिये दूसरों पर डिपेंड नहीं होना चाहिये पर सेक्स के बाद मैं सच में खुद को खुबसूरत महसूस करने लगी हूँ और देर तक आईने में खुद को निहारती रहती हूँ।"

जिन conventional ब्यूटी स्टैंडर्ड से हम बचपन से खुद को देखते आये हैं उन्हें unlearn करना शुरु करें। खुबसूरती का कोई पैमाना नहीं और सबकी बॉडी अपने आप में यूनिक और खुबसूरत होती हैं।

अपनी बॉडी से प्यार करने के पांच तरीके

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  • खुद को ऐक्सेप्ट करना body - positivity की दिशा में पहला कदम होता है इसलिए खुद को उन सभी चीज़ों से दूर करें जो लगे की toxic है या जो आपको खुद के बारे में अच्छा फील नहीं होने देते।

  • अगर उस इंस्टाग्राम मॉडल से आप सेल्फ-conscious फील कर रहीं हैं तो उसे unfollow कर दें और अपने फ़ीड में ऐसे लोगों को रखें जो जिनसे आपको अच्छा फील हो।

  • महज अपनी बॉडी के बारे में सोचना बन्द कर दें और उन ऐक्टिविटीज़ और अपने पैशन पर फोकस करें जिन्हें करके आपको खुशी महसूस होती है।

  • अपने फ्रेंड सर्कल में भी ऐसे लोगों को इन्क्लुड करें जो आपको हौसला दें, खुद को पसंद करना सिखाएं ना की जो आपको नीचा दिखाएं।

  • खुद को ऐक्सेप्ट करने के साथ साथ दूसरों को भी अवेयर और एजुकेट करें जिससे एक हैल्दी बॉडी-पॉजिटिव environment बन सके। अपनी बॉडी से प्यार


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इंस्पिरेशन अपनी बॉडी से प्यार
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