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मणिपुर से आने वाली एमी अरीबम, जो गुड़गांव में रहती है ने पिछले दो साल पहले अमारिया फैशन शुरू किया था. आज उनके पास विभिन्न कामों के लिये एक टीम है. लेकिन जब उन्होंने शुरू किया था तब अरीबम ने सब कुछ किया. अमारिया में, वह एक ही स्थान पर भारत के विभिन्न बुनाई और कढ़ाई को एक ही जगह लाना चाहती है. तो उनकी शुरुआती यात्रा जिसमें अनुसंधान, कपड़े खरीदना, सही बुनकर चुनना और तस्वीरों, डिजिटल मार्केटिंग मॉडल के लिए सही खोजना सब कुछ शामिल था.
अरीबम ने बताया, "उद्यमिता ने मुझे विभिन्न पहलुओं को समझने और उनके बारे में जानने की अनुमति दी और फिर ग्राहकों के पास उत्पाद पहुंचने पर होने वाली खुशी को अनुभव करने का मौका दिया."
उन्होंने बताया, "इन अनुभव ने मुझे बहुत सारे परिप्रेक्ष्य और शिक्षाएं दी हैं और इससे मुझे काम के बारे में भी अपना दृष्टिकोण बदलने में मदद मिली है."
हॉबमोब के रजवी नागौरी के अनुसार उद्यमिता बहुत मेहनत भरी चीज़ है अगर कोइ इसमें आना चाहता है तो. नागौरी ने कहा,"आज, एक उद्यमी को बहुत समय बिताना पड़ता है और अपने व्यक्तिगत जीवन पर समझौता करना पड़ता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्टार्टअप अपने पैरों पर खड़ा हो रहा है. मैंने हॉबमोब शुरू करने के बाद आठ घंटों की नींद जैसे सुखद चीज़ों की सराहना करना शुरू कर दिया है."
फूशिया के हरसिमरन कौर का मानना है कि उद्यमिता में प्रवाह के खिलाफ चलना पड़ता है.
हरसिमरन कौर, "कम बजट वाले स्टार्टअप के लिए, यह और भी मुश्किल है. सीमित मात्रा में संसाधनों के साथ, किसी को काम करने के लिये सबसे अच्छी टीम की आवश्यकता होती है और परिस्थितिया आपके काम करने के लिए अनुकूल नहीं हो सकता है लेकिन तब भी संस्थापक को किसी भी मूल विचार को काम करने के लिए बाकी से अधिक प्रयास करने की जरूरत होती है. "
भारत का स्टार्टअप क्षेत्र हर नये दिन के साथ अधिक से अधिक लोगों को समायोजित करने के लिए लगातार बढ़ रहा हैं. ख़ुद को उद्यमी कहना भी फैशनेबल बन रहा है. कई स्टार्टअप कामयाब हो रहे हैं तो कई फ्लाप भी हो रहे है क्योंकि लोग उसमें ट्रेड की वजह से शामिल हो रहे है.
रजवी ने कहा, "बहुत से युवा उद्यमी ट्रेंड के हिसाब से चल रहे है और अपना व्यक्तित्व खो रहे है. हम सभी के पास एक बहुत ही अद्वितीय व्यक्तित्व है और हमें इसे खोने से डरना नहीं चाहिये. "