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SheThePeople’s की आईडिया एडिटर किरन मनराल ने फातिमा भुट्टो से उनके लेखन के बारे में बात की.
द रनावेज़, एक ऐसी कहानी है जिसमें सवाल किये गये है आधुनिक मुस्लिम पहचान के बारे में हिंसा से ग्रस्त दुनिया में. एक युवा मुस्लिम महिला के रूप में, 9/11 के बाद की दुनिया में अपनी पहचान में आप कितना खोज पाई?
यह पहचान के लिए बहुत अधिक खोज नहीं है - मुझे नहीं लगता कि हम पूर्व में 'पहचान' में विश्वास करते हैं जिस तरह पश्चिम करता है क्योंकि हम बहुतायत की विरासत से आते हैं. 9/11 के बाद, पश्चिम के अनुसार एक कट्टरपंथी या मुस्लिम या अरब महिला होने का एक ही तरीक़ा प्रतीत होता था और मुझे लगता है कि हम दुनिया के हमारे हिस्से में इन संकीर्ण परिभाषाओं के खिलाफ संघर्ष करते हैं. हालांकि, मेरी पहचान वास्तव में मेरे लेखन से नही पता चलती है. मेरा लेखन किसी दिए गए समय में वही महसूस करता है, जो मुझे और अधिक लिखने के लिये प्रेरित करता है.
व्यक्तिगत कथा- सांग्स ऑफ ब्लड एंड स्वार्ड से आगे बढ़ते हुये आप कल्पनिक कथा- द रनावेज़ लिखी, आपको इसके लिये कितना बदलाव करना पड़ा और प्रक्रिया कैसी थी?
कथा एक और भाषा की तरह है; इसमें गैर-कथाओं के लिए विभिन्न व्याकरण और स्वर और ध्वनियां हैं. यह वास्तव में किसी अन्य जबान में बात करने जैसा है, यही कारण है कि यह इतना चुनौतीपूर्ण और रोमांचक है. मैंने वर्षों से गैर-कथाएं लिखीं, लेकिन मैं वास्तव में कल्पनिक कथाओं में खुद को महसूस करती हूं.
पाकिस्तानी राजनीति को इतने करीब से देखते हुये और फिर अपने पिता मुर्तजा भुट्टो की हत्या, जिसे आपने अपनी पिछली पुस्तक में सिलसिलेवार लिखा है, क्या आप किसी भी समय महसूस करती थी कि आप इस विषय के बहुत करीब थी. इसे लिखते वक़्त आप किस तरह से अपने आप को अलग रख पाई?
मेरे पिता मुर्तजा मेरे सबसे अच्छे दोस्त थे, वह सिर्फ एक पिता नहीं थे जिन्होंने मुझे प्यार किया लेकिन एक आदमी जिसने मुझे सिखाया कि कैसे दुनिया में जीवित रहना है, जहां पर मेरा जन्म हुआ है. मैंने अपने पिता से यही सीखा जिन्होंने मुझे एक अकेले पाला. इसलिए जब मैं गाने लिख रही थी तो वह एक तरह से उनके लिये प्रेम पत्र था, यह एक आदमी की हत्या और उसकी बेटी द्वारा देखी गई उसकी जिंदगी की कहानी थी, इसलिए यह एक गहरी व्यक्तिगत कहानी थी. मेरे शोध के दौरान जब ऐसी बहुत सी चीज़ें मिली जो मुझे आश्चर्यचकित करते थी और कुछ क्षणों में मुझे निराशा भी हुई. और मुझे लगता है कि वह बात पुस्तक में अंतिम तक आयी क्योंकि वो मेरी यात्रा के कुछ हिस्से थे. लेकिन आपके दूसरे प्रश्न का उत्तर देती हूं कि इससे खुद को अलग करना और सांग लिखना वास्तव में संभव नहीं था. पुस्तक आने के बाद मैं लगभग दो वर्षों तक अलग अलग जगह गई और हर बार जब मैं मंच पर बैठती थी तो मुझे अपने जीवन के सबसे दर्दनाक क्षणों को याद करना पड़ता था, यह मेरे लिए मुश्किल था.
मेरे पिता मुर्तजा मेरे सबसे अच्छे दोस्त थे, वह सिर्फ एक पिता नहीं थे जिन्होंने मुझे बहुत प्यार दिया लेकिन एक ऐसे पुरुष जिन्होंने मुझे सिखाया कि इस दुनिया में जीवित कैसे रहना है.
द रनावेज़ की कहानी आपके और उसके मुख्य नायक के बारे में बतायें?
मैंने 2014 में इसे लिखना शुरू किया, यह गर्मियों के बाद की बात थी जब दायेश एक भयानक रुप से दुनिया के सामने आया. मैं उस समय यात्रा कर रही थी और मैं यूरोप में थी और जैसा कि मैं दायेश को लेकर परेशान थी, मैं उसी तरह से यह सोच कर भी परेशान थी कि यूरोपीय लोग कट्टरपंथ के बारे में बात कर रहे थे - उन्हें उनकी भूमिकाओं के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, दुनिया में आतंक में उनके देश की भूमिकाओं के बारें में वह बात नही कर रहे थे. और मैं एक दोस्त से बात कर रही थी जिसने मुझे बोला , आपको इसके बारे में लिखना चाहिए. मैंने सोचा था कि जब उसने सुझाव दिया था तब मुझे यह बड़ा विषय लग रहा था लेकिन यह विचार और कहानी मेरे दिमाग में आ गई थी जिसमें शुरुआत में दो युवा सनी और मॉन्टी के एक रेगिस्तान में घूमते हुए दुनिया के खिलाफ युद्ध करते है.
एक युवा मुस्लिम महिला के रूप में आप मानती है कि आप की अपनी पहचान एक युवा मुस्लिम आदमी से अलग है? यदि हां, तो ऐसे कौन से तरीके है जो आप को अलग करते हैं? क्या आप किसी भी समय महसूस करती हैं कि पश्चिम में आपको और आपके लेखन को समझने के तरीके में एक निश्चित विदेशीता है?
मुझे नहीं लगता कि इसका संबंध मुस्लिम होने से है. आज की दुनिया को देखे - आप कहां कह सकती हैं कि महिलाएं नहीं लड़ रही हैं? कहा महिलाओं को लगता है कि उनके पास समानता और स्वतंत्रता और सुरक्षा है जिसकी वे हक़दार हैं? एक महिला होने का मतलब है लगातार संघर्ष करना. आपके प्रश्न के दूसरे भाग के बारे में, मुझे लगता है कि इस समय पश्चिम अपनी आप को साबित करने के लिए बेताब है. और इसलिए वह नहीं जानते है कि मुस्लिम महिलाओं के साथ क्या करना चाहिये, जिसे वे कभी भी समझ नही पायें है.
आप हिंसा का देखते हुये बड़ी हुई. क्या हिंसा ने आपके परिवार को प्रभावित किया, क्या उस हिंसा के परिणामों का सामना करना पड़ा.
मैंने हिंसा को बहुत करीब से देखा और महसूस किया. लेकिन मैं इसके बारे में लिखती हूं क्योंकि मैं इसे समझना चाहती हूं और मैं इसे सामने लाना चाहती हूं ताकि किसी तरह से इसे कमज़ोर किया जा सकें.