Advertisment

जानिए कैसे इस एन्त्रेप्रेंयूर ने बायोटिक फार्मिंग के विचार को अपने गांव में लोकप्रिय किया

author-image
Swati Bundela
New Update

Advertisment

सुनीता का नज़रिया


अहमदाबाद से आई हुई सुनीता बारवी पास है और जब उनसे पूछा गया की आखिर उन्हें बनना क्या था तो उन्होंने जवाब दिया "सामाजिक कार्यकर्ता"। वो अहमदाबाद,गुजरात की मूल निवासी है और अभी वो एच डी आर सी नामक संस्था से जुड़ी है। उनकी बड़ी बहन से उन्हें ये करने का प्रोतसाहन मिला ।
Advertisment

गांव की महिलाओं की दिक्कतें


भारत के गांव में बरसों से चलती आ रही रीति है कि एक पिता अपने पुत्र को ही ज़मीन सौंपता है। बेटी अपने पति की ज़मीन तो ले सकती है पर अपने पिता की नही। ये गलत फ़हमी 
Advertisment
की शिकार गांव की अनेक महिलाएं है। उन्हें इस बात का एहसास तो है कि उन्हें पति की ज़मीन मिलेगी किन्तु ये नही पता कि वो अपने पिता के जायदाद को प्राप्त करने के लिए कानूनी तौर से योग्य है। सुनीता की इस संस्था ने गांव में इस सोच को लाने का प्रयास किया।

खेती बाड़ी में दिक्कतें

Advertisment

कुल 70 प्रतिशत आबादी खेती से जुड़ी हुई है। इसमे अक्सर ये जाता है कि कैसे एक औरत अपने पति के ज़मीन के टुकड़े पे काम करती है और आमदनी नही पाती। इसके लिए हमें ये सशक्त समझना बहुत ही ज़रूरी है कि एक महिला सशक्त बन पाए , और जोड़ीदार होने के नाते ज़मीन पे अपना उतना ही हक़ जताए जितना कि एक पति।

इसके लिए एच डी आर सी ने महिलाओं को केमिकल के सहारे खेती बाड़ी करना छोड़, बायोटिक खेती करने का प्रोत्साहन दिया। उनका ये मानना है कि अहमदाबाद से मुम्बई सब्ज़ियां उतनी ही ताज़ी आयी और केमिकल्स का उनपर कोई प्रभाव ना आये इसलिए बायोटिक फार्मिंग को लाया गया।
Advertisment

एक प्रोत्साहना


कुल 15 संस्थाओं ने इनसे हाथ मिलाया और अब एक दिन की ट्रेनिंग के बाद इन्हें अलग अलग जगह भेजा जाता है जहां ये बायोटिक फार्मिंग का संदेश पहुंचती हैं। अगर 70 प्रतिशत आबादी को ये समझ आजाये की बायोटिक फार्मिंग और महिला का शशक्तिकरण इस जगह कितना जरूरी है , तो देश की तस्वीर ही बदल जाये।
वीमेन एंट्रेप्रेन्यूर्स
Advertisment