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पिछले साल, 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर वेस्टर्न इंडिया सिनेमैटोग्राफर्स एसोसिएशन (डब्ल्यूआईसीए) ने भारतीय महिला सिनेमेटोग्राफर्स कलेक्टिव, आईडब्ल्यूसीसी के गठन की घोषणा की. आईडब्ल्यूसीसी, इस काम में महिलाओं को प्रोत्साहित करने और प्रेरित करने में लगा हुआ है.
आइए कुछ महिला बॉलीवुड सिनेमेटोग्राफर पर नज़र डालें जो अपने इस काम की मास्टर हैं.
प्रिया सेठ
प्रिया सेठ, विभिन्न फिल्मों की सिनेमेटोग्राफर रही है, जिनमें एयरलिफ्ट, शेफ और बारह आना शामिल हैं. सेठ ने कई विज्ञापन फिल्मों के फोटोग्राफी निदेशक के रूप में भी काम किया है. उनकी कुछ विज्ञापन फिल्मों में माउंटेन ड्यू और इगेंज परफ्यूम शामिल हैं. वह 49 दिनों में फिल्म एयरलिफ्ट को शूट करने के लिए भी जानी जाती है.
फौजिया फातिमा
2002 में फिल्म, मित्र, माई फ्रेंड के साथ फॉज़िया ने एक स्वतंत्र कैमरा पर्सन के तौर पर शुरुआत की थी. दिलचस्प बात यह है कि फिल्म में तकनीकी दल में सभी महिलायें थी. उन्होंने कई हिंदी, तमिल, बंगाली, मलयालम और अंतरराष्ट्रीय फिल्मों में एक डीओपी के रूप में काम किया है. उनकी कुछ फिल्में कुछ तो है और उइर हैं.
आईडब्ल्यूसीसीए की बात करते है जिसके पीछे फौजिया ही है और अब यह बड़े पैमाने में बढ़ रहा है. फौज़िया ने आईडब्ल्यूसीसीए लॉन्च के दौरान कहा, “हम में से प्रत्येक - जब तक हम अन्य महिलाओं सिनेमेटोग्राफर से नही जुड़ेंगे - एक अलगाव का अनुभव करेंगे. हम में से प्रत्येक को अपवाद के रूप में देखा जाता था. हमें इस धारणा को बदलने की जरूरत थी.
दीप्ति गुप्ता
दीप्ति ने हिंदी फीचर फिल्म जैसे हनीमून ट्रेवल्स प्राइवेट लिमिटेड के लिए फोटोग्राफी निदेशक के रूप में काम किया है. फकीर आफ वेनिस की वह डीओपी भी रही है. दीप्ति के कार्यों में वृत्तचित्र भी शामिल हैं, जिनमें से एक निषाथा जैन की सिटी आफ फोटोस और लक्ष्मी एंड मी है.
दीप्ती ने एक साक्षात्कार में कहा, "यह एक ऐसी चीज को पोषित करने और सक्षम बनाने की हमारी जगह है जो परिवर्तन का कारण बन सकती है और भेदभावपूर्ण बाधाओं को तोड़ सकती है."
सविता सिंह
सविता ने प्रतिष्ठित फिल्म और टेलीविजन संस्थान, पुणे में सिनेमेटोग्राफी का अध्ययन किया. उन्होंने राम गोपाल वर्मा के फुंक और विभा पुरी की हवाईज़ादा जैसे कुछ रोचक फिल्मों को शूट किया है. फिल्मों के अलावा, सविता के काम में कई विज्ञापन और लघु फिल्में भी शामिल हैं.
अर्चना बोरहडे
अर्चना, कई हिंदी फिल्मों के कैमरा डिपार्टमेंट का अहम हिस्सा रही है जिसमें माई नेम इज़ ख़ान और गुलाब गैंग जैसी फिल्में है. उन्होंने हाल ही में सर्वश्रेष्ठ सिनेमेटोग्राफी के लिए महाराष्ट्र का राज्य पुरस्कार मिला है. यह उन्हें फिल्म इदक के लिए दिया गया. उन्होंने मराठी स्काई-फाई फिल्म फंटरूओ के लिए भी सिनेमेटोग्राफर के तौर पर काम किया है.
अर्चना ने एक साक्षात्कार में कहा, “दृष्टिकोण बदल रहा हैं. अधिकांश लोग उद्योग में महिला सिनेमेटोग्राफर के इस्तेमाल के आदी हो गये है. यह सब हमारी बढ़ती हुई संख्या की वजह से हो पाया.”