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भारत में पुलिस बल में शामिल होने वाली महिलाओं की संख्या में लगातार वृध्दि देखी गई है. इनमें से ज्यादातर अनुकरणीय काम कर रही है लेकिन हम पांच ऐसी महिलाओं की बात कर रहे हैं जिन्होंने पुलिस बल में समर्पण और अपने काम के चलते जगह बनाई है.
स्वाती लकरा
क्या आप ऐसे देश की कल्पना कर सकते हैं जहां महिलाएं बिना डर के अपने घरों से बाहर निकलती हैं? फिर स्वाती लकरा आप के लिये आशा की उम्मीद हो सकती है. इस हैदराबाद की आईपीएस अधिकारी ने महिलाओं की सुरक्षा के ज्वलंत मुद्दें को मुख्य रुप से सामने लाया . हैदराबाद की शी टीमों के प्रमुख के रूप में उनका प्रयास है कि शहर को महिलाओं के लिए एक सुरक्षित बनाया जायें जिसकी लिये उनकी प्रशंसा की जा रही है. उनके नेतृत्व में ही हैदराबाद पुलिस ने 2016 में यौन शोषण की पीड़ित महिलाओं और बच्चों के लिए एक-स्टॉप सपोर्ट सेंटर "भरोसा" लॉन्च किया था.
पिछले साल उन्होंने पोक्सो के दर्ज मामलों को शीघ्र निपटान के लिए केंद्रों को बाल-अनुकूल अदालत से जोड़ा. स्वाती महिलाओं के नेतृत्व के गुणों में विश्वास करती है और चाहती है कि और अधिक महिलाएं पुलिस में शामिल हो. वह पुलिस बल के सभी रैंकों में महिलाओं के लिए 33.3% आरक्षण लागू करने का आग्रह कर चुकी है. निश्चित रूप से हमारे देश में उनके जैसे अधिक डबंग पुलिस अधिकारियों की आवश्यकता है.
असलम खान
पुलिस अधिकारियों से शहर में शांति और व्यवस्था बनाए रखने और अपराधों को रोकने की उम्मीद की जाती है लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो अपने नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिये हर तरह के प्रयास करते है. एक ऐसा ही पुलिस अधिकारी आईपीएस असलम खान है जो कि उत्तर-पश्चिम दिल्ली की डीपीसी है उन्होंने वित्तीय संकट का सामने कर रहे एक परिवार की मदद की. परिवार ने एकमात्र कमाई करने वाले सदस्य को दुर्घटना में खो दिया था. उन्होंने मृतक के परिवार के खाते में अपने मासिक वेतन का आधा हिस्सा जमा करवा दिया. उन्होंने फैसला किया कि वह परिवार के बच्चों के सभी शैक्षणिक खर्चों को भी उठायेंगी. उनके इस परोपकारी कार्य ने निश्चित रूप से एक ऐसा प्रभाव पैदा किया है मृतक की बेटी ने उनके जैसे पुलिस अधिकारी बनने की इच्छा व्यक्त की. मानवता में देश के विश्वास को पुनर्जीवित करने के लिए उन्हें सलाम.
रूपा मौदगील ने SheThePeople.Tv को बताया, "जब हम आईपीएस प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में गये तो हमें बताया गया कि हम पहले अधिकारी हैं और फिर महिला हैं,"
रेमा राजेश्वरी
"लिंग शांति कार्यक्रम" के तहत संवेदनशीलता प्रशिक्षण, एक प्राथमिक विद्यालय को फिर से शुरु कराना, "जोगिन" का पुनर्वास करना और सुरक्षित ड्राइविंग को बढ़ावा देना, बाल विवाह से लड़कियों को बचाना. हैरान मत हो यह चुनाव के लिये राजनीतिक पार्टी का घोषणापत्र नहीं है. बल्कि यह मुन्नार की पहली महिला आईपीएस अधिकारी रेमा राजेश्वरी द्वारा किये गए काम है. इन्होने एक दशक से लंबे अपने पुलिस करियर में सफलतापूर्वक यह काम किये हैं. वर्तमान में वह तेलंगाना के जोगुलम्बा गोदावाल जिले में पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात है. वह कुछ प्रमुख प्रकाशनों में नियमित रुप से लिखती है जहां वह पुलिस फोर्स में महिलाओं की जरुरत के बारे में लिखती है.
हाल ही में फेक़ न्यूज़ के खिलाफ अपनी मुहिम के लिये वह ख़बरों में रही है. अपने जिले में फर्जी व्हाट्सएप संदेशों के प्रसार को रोकने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है जिसमें बाल अपहरणकर्ताओं और हत्यारों के बारे में बताया गया था. पिछले कुछ महीनों में तेलंगाना में कोई फर्जी न्यूज से संबंधित मौतों की सूचना नहीं मिली है यह उनके प्रयासों का ही परिणाम है.
वैजयंती मांडधधारे
नागपुर की पुलिस निरीक्षक वैजयंती मांडधधारे ने इतिहास रचा जब वह शहर की पहली महिला बनी जो बम दस्ते का नेतृत्व करती है. उन्होंने विशेष इकाई के कार्य को संभालने के पहले लून में दो सप्ताह का प्रशिक्षण प्राप्त किया. उनके काम का नियमित हिस्सा है बम होने के सूचना मिलने पर पहुंचना, महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित प्रतिष्ठानों पर परीक्षण आयोजित करना और संवेदनशील स्थानों पर पहुंच कर सुरक्षा करना.
डी रूपा मौदगील
रूपा मौदगील ने SheThePeople.Tv को बताया, "जब हम आईपीएस प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में गये तो हमें बताया गया कि हम पहले अधिकारी हैं और फिर महिला हैं," ।
कर्नाटक की पहली महिला आईपीएस अधिकारी निडर है और अपने पेशे को समर्पित है. वह राजनेताओं और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों से जुड़े मामलों को लेने के लिए जानी जाती है. इसकी वजह से 17 साल की सेवा में 40 बार उनका स्थानांतरण किया गया लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि वह उससे परेशान नही हुई.
वह हाल ही में एआईएडीएमके नेता शशिकला को जेल में मिल रही सुविधाओं की रिपोर्ट देने की वजह से ख़बरों में थी. इस महिला दिवस पर उन्होंने महिलाओं को प्रेरित करने के लिए एक संगीत वीडियो भी जारी किया था. गायन के अलावा उन्होंने भरतनाट्यम और शास्त्रीय संगीत भी सीखा है.
हमारे देश के लिए काम कर रहे ऐसे संवेदनशील पुलिस अधिकारी के साथ हम निश्चित रूप से बेहतर भारत को देखने की उम्मीद कर सकते हैं