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क्या माँ बनना ही है एक बहू के जीवन का लक्ष्य ?

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Swati Bundela
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हाल ही में मैंने श्लोका मेहता (अंबानी) के जन्मदिन के उपलक्ष में दोनों परिवारों की तरफ से बनी वीडियो देखी जिससे मेरे मन में कई सवाल आए.

वीडियो का शीर्षक है "श्लोका और द लिटिल प्रिंस" जिसे पढ़कर मुझे लगा कि यह वीडियो शायद श्लोका की मनपसंद किताब से प्रेरणा लेकर बनाई गई है. पर पूरी वीडियो देखने के बाद समझ आया कि वह लिटिल फ्रेंड्स आकाश अंबानी (उनके पति) है. मुझे वीडियो का यह शीर्षक बेमतलब लगा. अगर जन्मदिन श्लोका का मनाया जा रहा है तो उसमें उनके पति को जोड़ने की कोई जरूरत नहीं है.
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आज महिलाओं का उद्देश्य केवल राजकुमार ढूंढना या परिवार बढ़ाना ही नहीं, बल्कि इस दुनिया में अपनी पहचान बनाना भी है जिसका लोगों को आदर करना चाहिए.


यह वीडियो 'परी कथा' के मूल विषय पर आधारित है. मेरे ज़हन में बस एक ही सवाल आता है कि अगर यह वीडियो आकाश या अनंत अंबानी के लिए बनाई होती तो क्या तब भी यह परी कथा के रूप में दिखाई जाती ? इस वीडियो में नीता अंबानी ने श्लोका की पसंद के बारे में भी बताया है जैसे कुकीज़, पेस्ट्रीज, चाय, किताबें पढ़ना, आदि, जिस पर इस वीडियो को आसानी से आधारित किया जा सकता था. मुझे यह थीम पूर्वधारणा को दोबारा दिखाती दिखी जहां एक लड़की का उद्देश्य बचपन से ही एक सुंदर राजकुमार को पाना है.
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वीडियो में कई बार " मिसेज श्लोका आकाश अंबानी " पर जोर दिया गया. मुझे यह सुनकर ऐसा लगा मानो शादी के बाद श्लोका को केवल एक व्यक्ति के रूप में कोई देख ही नहीं पा रहा हो. जैसे वह आज जो भी है केवल आकाश अंबानी से शादी करने की वजह से है. मुझे लगता है कि किसी भी बहू को परिवार में सम्मिलित करने के लिए उसके उपनाम को बदलने या दर्शाने की कोई जरूरत नहीं है.
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वीडियो के अंत में आकाश अंबानी का इशारा करना भी इसी बात को दर्शा रहा था. मुझे यह केवल श्लोका को सार्वजनिक रूप से मां बनने के लिए दबाव डालने की प्रतिक्रिया लगी.


इस वीडियो में नीता अंबानी, ईशा अंबानी, आनंद पिरामल, राधिका मर्चेंट, श्लोका के माता पिता और उनके कई दोस्तों ने उन्हें शुभकामनाएं दी, पर वहां मुकेश अंबानी, अनंत अंबानी और आकाश अंबानी ने परिवार में एक नए मेहमान के आने की इच्छा जताई. मुकेश अंबानी कहते हैं," मैं शुभकामना करता हूं कि तुम्हारे अगले जन्मदिन तक मैं केवल दादा ही नहीं बल्कि तुम एक मां भी हो". वीडियो के अंत में आकाश अंबानी का इशारा करना भी इसी बात को दर्शा रहा था. मुझे यह केवल श्लोका को सार्वजनिक रूप से मां बनने के लिए दबाव डालने की प्रतिक्रिया लगी.
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मैं मानती हूं कि यह वधु पर निर्भर करता है कि वह अपना नाम/उपनाम बदलना चाहती हैं या नहीं. केवल महिला से ही अपना उपनाम बदलने की अपेक्षा करना पितृसत्ता को बनाए रखने की कोशिश है. यह एक औरत का निर्णय होता है कि वह मां बनना चाहती है या नहीं, जिसके लिए उन्हें किसी भी प्रकार से दबाव देना गलत है. आज महिलाओं का उद्देश्य केवल राजकुमार ढूंढना या परिवार बढ़ाना ही नहीं, बल्कि इस दुनिया में अपनी पहचान बनाना भी है जिसका लोगों को आदर करना चाहिए.
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