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उन्होंने SheThePeople.TV को बताया, "अगर घर पर कोई पार्टी थी, तो बार हमेशा मेरी ज़िम्मेदारी थी." हालांकि, उन्होंने कभी भी बारटेडिंग को पेशेवर के तौर पर अपनाने का नही सोचा था. वह कहती है, “मैं मनोविज्ञान में जाना चाहती थी. हालांकि, मैं मनोविज्ञान विषय को पाने में आधा प्रतिशत से चूक गई. मुझे लंबा समय नही लगा यह जानने में कि मैं बारटेडिंग से बेहतर समाधान दे सकती हूं."
ये सब कैसे शुरू हुआ?
जब मनोविज्ञान का सिहर उन्होंने छोड़ा तो उन्होंने बिना किसी यह जाने कि वह आगे क्या करेंगी होटल प्रबंधन में एक कोर्स शुरू किया. हालांकि, कुछ ऐसा हुआ जिसने उन्हें रास्ता दिखाया. उन्होंने याद किया,"एक दिन, मैंने अपने कॉलेज की इमारत के पीछे देखा कि एक सिनियर बोतलों को लेकर जगलिंग कर रहा है. उनके पास जाने पर वह मुझे सिखाने के लिये तैयार हो गये. मुझे लगा कि मेरे दोस्तों और परिवार को कितना अच्छा लगेंगा जब मैं उन्हें कुछ मूव दिखाऊंगी.”
बाद में उन्होंने खुद को इंटर-कॉलेज बारटिडिंग प्रतियोगिता में भाग लिया और आश्चर्य वाली बात यह रही कि 30 लड़कों में वह अकेली लड़की थीं. "कमरे में सभी आपस में बात कर रहे थे कि आखिर एक लड़की इस प्रतियोगिता में क्या कर रही है?'
मैं काफी आत्मविश्वास में थी और अपने काम को दिखाने के लिये तैयार थी. प्रतियोगिता के अंत में, मैं दूसरे नंबर पर आयी और मैं अपने आप को बहुत ख़ुशकिस्मत समझ रही थी! "
पेशेवर रूप से इसे अपनाना
प्रतियोगिता जीतने के बाद, खुश्नाज़ ने जेडब्ल्यू मैरियट, पुणे में नाइटक्लब में होटल प्रबंधन के अपने अंतिम वर्ष में बारटेंडर के रूप में नौकरी शुरु की. वह कहती है, "मेरे प्रबंधक एक दूरदर्शी व्यक्ति थे और जेंडर उनके लिये कोई मायने नही रखता था. उन्होंने मुझे अपनी पूरी क्षमता से काम करने के लिये प्रेरित किया और उसके बाद मैंने पीछे मुड़ कर नही देखा. "
बारटेंडिग, पेय मिश्रण से आगे का काम है, खुश्नाज़ इसके बारे में बताती हैं कि एक बारटेंडर को कई भूमिकाएं निभानी पड़ती हैं- एक दोस्त, श्रोता, मनोरंजन करने वाले, कहानीकार और शिल्पकार के रुप में.
कम महिला बारटेंडर और अन्य चुनौतियां
हालांकि यह एक अच्छा पेशा है लेकिन इसमें भी पुरुषों का ही प्रभुत्व है. देश में महिला बारटेंडर की कमी क्यों है इसपर उन्होंने कहा, " इस फील्ड में सम्मान की कमी है. आज भी, महिलाओं को हमारे समाज के कुछ जगहों पर शराब पीने से रोका जाता है. समाज ऐसा है कि देर रात तक काम करने पर महिलाओं के लिये अपमानजनक माना जाता है और महिलाओं को एक निश्चित तरीके से लेबल किया जाता है.
“जैसे ही समाज इसे पेशे के रूप में सम्मान के तौर पर देखना शुरु करेंगा, महिलायों इस प्रोफेशन में अपने आप को अधिक सहज पायेंगी."
समाज में पुरुषों के लिए भी बारटेंडिग को एक वर्जित पेशे के रूप में देखा जाता है, लेकिन महिला बारटेंडर के लिये कही बड़ी चुनौतियों है. उन्हें कई तरह की टिप्पणियां का सामना करना पड़ता है- खुश्नाज़ ने हमें कुछ के बारे में बताया, “ओह, वह इतनी कमजोर है. ओह, इतनी खूबसूरत, शराब की बोतलें भारी जरुरी होगी" या "अरे इतना सुंदर चेहरा, आप क्या करेंगी पेय बना कर? आपको मॉडलिंग करना चाहिए! वह 5 बजे घर लौटती है, वह कहाँ जाती होगी?"
सम्मान की कमी है. आज भी, महिलाओं को हमारे समाज में कई जगहों पर शराब पीने से रोका जाता है. समाज ऐसा है कि देर रात तक काम करने पर महिलाओं के लिये अपमानजनक माना जाता है और महिलाओं को एक निश्चित तरीके से लेबल किया जाता है.
चुनौतियां से निपटना
हालांकि, इस तरह के केमेंट से कमज़ोर होने के बजाय, वे इन टिप्पणियां से मजबूत, सक्षम और संवेदनशील बनाती हैं उस काम के प्रति जो वह करती है. और एक अन्य कारण जो खुश्नाज़ को आगे बढ़ाता है वह है उनके परिवार का समर्थन.
उपलब्धियां
इस पेशे में खुश्नाज़ को छह साल का हो गया है और यह उनका काफी सफल रही है. वह कहती है,"मैंने विभिन्न बारटेडिंग प्रतियोगिताओं में भाग लिया है और कई शानदार बारटेंडरों से मुलाकात हुई है. मैंने बारटेंडर से लेकर, डिटेगो इंडिया के ब्रांड एंबेसडर के तौर पर लंबा सफर तय किया है. और मैंने इतना सीखा है और मैं अभी भी सीख रही हूं. मैं अभी भी प्रेरित होती हूं और प्रेरित करने का लक्ष्य रखती हूं.”