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लव सोनिया (सितंबर)
हाल ही में रिलीज हुई लव सोनिया काफ़ी चर्चा हो रही है. वास्तविक जीवन की घटनाओं से प्रेरित यह फिल्म, एक महत्वपूर्ण मुद्दा, सेक्स ट्रैफिकिंग को चित्रित करने का प्रयास है. यह फिल्म दिखती है कि कैसे एक पिता अपने दो बेटियों में से एक को स्थानीय व्यक्ति को पैसे के लिए बेचने का फैसला करता है. कहानी में एक लड़की की भी जिंदगी दिखाई गई है जो अपनी लापता बहन की तलाश में निकलती है. उसका सामना ट्रैफिकिंग की अंधेरी दुनिया की सच्चाई से होता है.
बॉलीवुड की वह फिल्में जिन्होंने हमें इस साल महत्त्वपूर्ण संदेश दिए
निदेशक तबरेज़ नूरानी दर्शकों को इस फिल्म के ज़रिये वास्तविकता को नज़दीक से दिखाते है. जब जागरूकता की बात आती है तो फिल्म उसे काफी हद तक पैदा करने में कामयाब रही है. वही इसकी रिलीज के बाद इसे काफी सराहा जा रहा है. फिल्म में रिचा चड्डा, मृणाल ठाकुर, फ्रीडा पिंटो, मनोज बाजपेयी, राजकुमार राव और अनुपम खेर हैं. हॉलीवुड स्टार डेमी मूर ने भी फिल्म में एक उपस्थिति दर्ज कराई है.
मुल्क (अगस्त)
कई तरीकों से यह फिल्म - मुल्क महत्वपूर्ण है. इस समय जब देश में सांप्रदायिक सद्भावना सबसे खराब समय से गुज़र रही है, तो मुल्क दर्शाता है कि राजनीतिक एजेंडा कैसे घृणा और क्रूरता को प्रोत्साहित करते हैं. यह फिल्म बताती है कि कैसे एक मुस्लिम परिवार का सबसे छोटा बेटा जो बनारस में रहता है, आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हो जाता है. उसकी वजह से बम ब्लास्ट होता है और जिसका असर उसके पूरे परिवार पर पड़ता है जिन्हें बाद में राष्ट्र-विरोधी कहा जाता है. तापसी पन्नू-ऋषि कपूर अभिनीत फिल्म, समाज में धर्मों के खिलाफ बढ़ रही नफरत के बारे में बताती है. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बढ़ते धार्मिक विभाजन को बताती है. दूसरी भाग में एक कोर्टरूम नाटक के माध्यम से प्यार, स्वीकृति और समझ की आवश्यकता को बताया गया है जो आज के वक्त की आवश्यकता है.
जनवरी में रिलीज़ हुई पैडमैन ने मासिक धर्म को लेकर प्रचलित मिथकों को तोड़ा और लोगों के दिमाग और जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है
फन्ने खां (अगस्त)
फन्ने खां उम्मीदों, सपने, रिश्तों, परिवार और बाडी शेमिंग के बारे में एक कहानी है. यह एक पिता के बारे में है जो अपनी बेटी को गायन में कामयाब देखना चाहता है. फिल्म दिखाती है कि कैसे बेटी को बाडी शेमिंग का सामना करना पड़ता है क्योंकि उसका वज़न ज्यादा होता है. फन्ने खां यह भी दर्शाता है कि कैसे शरीर की छवि, समाज का एक बड़ा हिस्सा बन गई है. यह फिल्म इस बात की भी वास्तविकता बताती है कि कैसे प्रसिद्ध होने के लिये युवाओं पर लगातार दबाव डाला जाता है.
हिचकी (मार्च)
यह रानी मुखर्जी-अभिनीत एक महत्वाकांक्षी शिक्षक के बारे में है, जो एक न्यूरोलॉजिकल हालत, टौरेटे सिंड्रोम से पीड़ित है. फिल्म बताती है कि छात्रों को स्कूलों में किस तरह के परेशानियों का सामना करना पड़ता है और छात्र-शिक्षक संबंधों को भी अच्छी तरह से दिखाती है.
हिचकी कहानी है एक महिला के संघर्ष और दुनिया में सही स्थान पाने की. यह शिक्षा प्रणाली पर भी प्रकाश डालती है जो अपने छात्रों को सही तरह से नही उठा पा रही है और छात्रों में भेदभाव करती है. एक अद्वितीय अवधारणा का वर्णन करने वाली फिल्म, भारतीय सिनेमा की सबसे सशक्त फिल्मों में से एक कहानी बताती है कि हमें अपने सपनों को नही छोड़ना चाहिये यह बहुत महत्वपूर्ण है और हम सभी बाधाओं के बावजूद उन्हें वास्तविकता में कैसे बदल सकते हैं.
पैड मैन (जनवरी)
यह आर बाल्की निर्देशित फिल्म अरुणाचलम मुरुगनंथम की असली जिंदगी बताती है. मुरुगनंथम, एक सामाजिक उद्यमी है, जिन्होंने भारत में कम लागत वाले सैनिटरी नैपकिन का आविष्कार किया. उन्होंने अपने दृढ़ विश्वास के साथ, बड़े पैमाने पर विरोध और अपमान के बावजूद काम करना जारी रखा. यह प्रेरणादायक कथा, मासिक धर्म को लेकर प्रचलित मिथकों को तोड़ती है, जो धार्मिक और पुरानी मान्यताओं के चलते चली आ रही है. फिल्म अभिनेता सोनम कपूर, राधिका आपटे और अक्षय कुमार ने निश्चित रूप से अपने काम के ज़रिये लोगों के दिमाग और जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है.