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मुश्किल परिस्थिती में काम करना
हालांकि आचार्य ने सोशल मीडिया का काम देखना अभी शुरु किया है लेकिन वह भारतीय सेना में 2009 में शामिल हो गई थी. उन्होंने सेना में शुरुआत रिपेयर रीकवरी और मैंटेनेंस से की थी जिसके लिये वह कुछ समय तक पाकिस्तानी सीमा के पास रही. "पहाड़ी इलाकों में वाहनों की मरम्मत का काम करना बहुत मुश्किल होता है इसलिये मेरा ज्यादातर काम वर्कशाप में ही होता था. लेकिन हमें कुछ उपकरणों की जांच भी करनी होती थी जो रात में ही काम करते थे. रात के समय उन सभी उपकरणों की जांच करने ज़िम्मेदारी मेरी होती थी इसलिए मैं पेट्रोलिंग के लिये लंबी दूरी पर जाती थी और रात में उपयोग होने वाले उपकरणों की जांच करता थी. इस पूरी प्रक्रिया में हम बार्डर के काफी करीब चले जाते थे. उस वक़्त जब मैं अपने फोन को देखती थी तो उसमें केवल पाकिस्तान नेटवर्क दिखता था. उसमें भारत का नेटवर्क पूरी तरह से चला गया था. "
सेना में शामिल होना
आचार्य बचपन से सेना में शामिल होना चाहती थी. "मैं आठवीं कक्षा में थी तब मैंने भारतीय सेना का भर्ती अभियान देखा था जो सेना चला रही थी और जिसमें कहा गया था, “'क्या आपके पास यह है?'. यह इतना अच्छा था कि मैंने सेना का हिस्सा बनने का सोच लिया था. लेकिन मैंने यह बात अपनी मां के सिवा किसी को भी नही बतायी. मैंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद सोचा कि अब मैं फॉर्म भर सकती हूं और सेना में शामिल हो सकती हूं और एक औरत होने की वजह से मुझे परीक्षा तक में शामिल नही होने दिया गया. मुझे बताया गया कि मुझे स्नातक होने तक इंतजार करना पड़ेगा और मैंने किया. इसके ठीक बाद मैंने परीक्षा दी और पहले प्रयास में चुनी गई."
सेना में शामिल होने की उनकी पहली याददाश्त थी छोटे बाल कटवाना. उन्होंने कहा, "उस बाल कटवाने के साथ मुझे एहसास हुआ कि उन्होंने मेरे अहंकार को ही काट दिया.”
आचार्य ने कहा कि उस बाल कटवाने के साथ ही मुझे अहसास हुआ कि सभी पुरुष एक जैसे होते हैं और मैं दूसरों के बराबर ही हूं.
"मैं आठवीं कक्षा में थी तब मैंने भारतीय सेना का भर्ती अभियान देखा था जो सेना चला रही थी और जिसमें कहा गया था, “'क्या आपके पास यह है?'. यह इतना अच्छा था कि मैंने सेना का हिस्सा बनने का सोच लिया था. लेकिन मुझे इसके लिये स्नातक होने तक इंतजार करना पड़ा.”
सोशल मीडिया में मौजूदगी
सोशल मीडिया ऐसा है कि भारतीय सेना के लिये भी यहा पर उपस्थिती दर्ज कराना अनिवार्य हो गया है. "मैं आपनी वर्तमान भूमिका में कुछ सोशल मीडिया अभियान चलाने की कोशिश कर रही हूं. हम जितना संभव हो नैतिक होने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि हम सेना के रूप में अपने विचारों को किसी भी तरह से बदल नही सकते है.”
आचार्य आधिकारिक भारतीय सेना की वेबसाइट और आधिकारिक यूट्यूब चैनल को संभालती है. वह उन कैंपेन के लिये भी जिम्मेदार है जो भारतीय सेना आनलाइन चलाती है. वह कहती हैं कि ये अभियान अधिकतर ऐसे होते है जिसमें भारतीय सेना को अच्छे रुप में दिखाया जाता है.
लेकिन ऐसा क्या है जिसने भारतीय सेना को सार्वजनिक प्रोफ़ाइल बनाने के लिये मजबूर किया.? आचार्य कहती हैं, "जब कारगिल हुआ उस वक़्त भारतीय सेना ने बहुत अच्छा काम किया. यही वह समय था जब हमें एहसास हुआ कि हमें कुछ जानकारियां सार्वजनिक भी करने की जरुरत है. हमने महसूस किया कि हम पूरी तरह से बंद संगठन नहीं हो सकते हैं और हमें कुछ बातें बाहर लाने की जरुरत है. यही वह समय था जब सेना ने सार्वजनिक उपस्थिति के बारे में सोचा था. भारतीय सेना सीमाओं की रक्षा के अलावा भी बहुत कुछ करती है और लोगों को सेना की उस तस्वीर से भी परिचित होना चाहिए. यही पर सोशल मीडिया की जरुरत पैदा होती है."