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माँ
माँ ओरी माँ तूने जो ये ज़िंदगी दी है उसका क़र्ज़ उतारना है
मुझे सच्ची राह पर चलना सिखाया उस पर चलते जाना है
इस पर चलाना तो एक बहाना है,ये तो क़र्ज़ उतारने का एक तरीक़ा है
मुझे अच्छा इंसान बनाने में तेरा बहुत बड़ा हाथ है
बस मुझे ऐसा ही बनते जाना है,और क़र्ज़ उतारना है
मदद के लिये उठे हाथ तो सबसे पहले ख़ुद का उठे,
यह तूने ही पढ़ाया है,अपने इन हाथो को किसी के काम लाना है,
और क़र्ज़ उतारते जाना है।
कभी न सिखाया तूने धोखा देना,तो मुझे इससे भी निभाना आया होता
काश ! ये भी मुझे सिखाती,तो फिर से क़र्ज़ उतारती
ज़िंदगी के कठिन राह पर चलकर भी तेरी याद मे राह आसान हो जाती है
पर ये क्या तेरा सहारा लिया, मैं तो और क़र्ज़दार हो गयी
अब समझ आया माँ का क़र्ज़ नहीं उतार सकती मैं
माँ ओरी माँ !