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खबर लेहरिया की प्रगति देखकर आपको कैसा महसूस होता हैं ?
मै बहुत ही ज़्यादा खुश हूँ और मुझे बहुत ही ज़्यादा गर्व महसूस होता हैं क्योंकि बुंदेलखंड जैसे शहर में जहां पत्रकारिता को उच्च जाति के पुरुषों का काम माना जाता हैं वहाँ खबर लेहरिया के ज़रिये हर क्षेत्र की महिलाओ ने अपनी एक अलग पहचान बनाई हैं।
आपको खबर लेहरिया के सफर के दौरान किन -किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा ?
हमे बहुत सी शारीरिक और मानसिक यातनाओं का सामना करना पड़ा। बुंदेलखंड जैसे पिछड़े हुए शहर में जहां पुरुषों में ख़ास तोर पे आक्रोश ज़्यादा हैं महिलाओं के प्रति वहां अपना एक मुकाम बनाना बहुत ही ज़्यादा चुनौतीपूर्ण था। हमें बहुत सी यातनाओं और धमकियों का सामना करना पड़ा। बुंदेलखंड के लोगो को इतनी घृणा थी की यह महिलाये जो की दलित हैं, मुसलमान हैं , पिछड़े क्षेत्रों से हैं , जिनके पास कोई डिग्री नहीं हैं वो कैसे पत्रकार बन सकती हैं ।
खबर लेहरिया को शुरू हुए कितन वर्ष हुए?
खबर लेहरिया को शुरू हुए आज 17 वर्ष हो गए । इसकी शुरुआत 2002 में बुंदेलखंड के चित्रकूट जिले से हुई।उस समय ये सिर्फ 2 पेज का ब्लैक एंड वाइट अखबार था और आज रंगीन हो चूका हैं और बहुत आगे बाद चूका हैं। बहुत अच्छा महसूस होता हैं की इसे एक नया मुकाम मिला हैं । हमारी मेहनत सफल हुई हैं ।
खबर लेहरिया को शुरू करने का उद्देश्य क्या था ?
हमारा एहम उद्देश्य यह था कि महिलाओं को पत्रकारिता की दुनिया में हम लेकर आये और उन्हें सशक्त बनाये । एक उद्देश्य यह भी था की जब हम हमने खबर लेहरिया शुरू किया तो उस समय संचार का कोई माध्यम नहीं था विज्ञान ने इतनी तरक्की नहीं की थी और तो और गाँवों में बिजली तक नहीं थी तो हमे अपने गाँवों को तरक्की से जोड़ना था और खासतौर पर गाँवों की महिलाओं को सशक्त बनाना था।
आप बाकी महिलाओं को चाहे वो शहरों से हो ,गाँव से हो या पिछड़े क्षेत्रों से हो क्या संदेश देना चाहेंगी ?
मै चाहती हूँ की सभी महिलाये आत्म-निर्भर बने। कोई भी लड़ाई अपने दम पर लड़ सके चाहे वो घर से हो या कही से भी हो । हिम्मत रखे क्योंकि महिलाये सब कुछ कर सकती हैं ज़रूरत हैं तो बस खुद को पहचानने की।