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मिलियें अंजू खोसला से जिन्होंने 52 की उम्र में आयरनमैन ट्रायथलॉन, ऑस्ट्रिया में अपनी ताक़त दिखाई

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Swati Bundela
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अंजू खोसला ने ट्रायथलॉन को 15 घंटे 54 मिनट के अंतिम समय के साथ सफलतापूर्वक पूरा किया.

अपने पूरे जीवन में पारिवारिक फाइनेंस के व्यवसाय में काम करने के बाद, दिल्ली की अंजू ने काफी बाद में एथलेटिक्स की तरफ रुख किया. अंजू ने पिछले कुछ सालों में रोज़ प्रशिक्षण लेकर इस की तैयारी की. उन्होंने वह किया जो आमतौर पर असंभव माना जाता है और कोलंबो में हाफ आयरमैन में भाग लेकर ऑस्ट्रिया के लिये प्रवेश पाया.
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पिछले साल उन्होंने लेह-बिलासपुर के रास्ते पर साइकिल चलाई वह भी बगैर आक्सीज़न स्पोर्ट के जबकि इस यात्रा में सबसे ज्यादा ऊंचाई वाले रास्ते पड़ते है.
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SheThePeople.TV  ने अंजू खोसला से बात की. पढ़ियें उसी के कुछ अंश

आयरनमैन ट्रायथलॉन में प्रतिस्पर्धा करने के लिए आपको किस बात ने प्रेरित किया?

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मुझे प्रेरणा मिली एक अकेली महिला साइकिल चालक से जिससे मेरी मुलाक़ात मनाली-लेह राजमार्ग पर 10 साल पहले हुई थी. जबकि मेरा परिवार और मैं एक कार में गाड़ी में जा रहे थे और वहां के वातावरण के चलते सिरदर्द और चक्कर महसूस कर रहे थे लेकिन वह अकेले ही साइकिल चला रही थी. हमने रुक कर उन्हें पानी देने और कार में बैठने के लिये बोला लेकिन वह आगे बढ़ गई.

अगले साल मैं उस राजमार्ग पर वापस गई लेकिन इस बार में साइकिल पर थी. और इसके बाद एक के बाद एक नयी चुनौती थी ताकि आयरनमैन रेस के लिये तैयार हो संकू.
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Oldest Indian Woman To Complete Ironman Austria 2018
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आपके रास्ते में आने वाली सबसे बड़ी चुनौतियां क्या थीं?


मेरी लिये सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि मुझे हर रोज़ नौ महीने तक उस रेस में भाग लेने की तैयारी करनी थी. 52 साल की उम्र में ट्रेनिंग के बाद बहुत जल्दी से तैयार नही हो पाता है. एक वैज्ञानिक प्रशिक्षण योजना साथ में पोषण आहार और शरीर की जरुरतों को सुनने की आदत यह सब जरुरी था साथ ही मैं पूरी तरह से चोट मुक्त रही.
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अपने दिमाग को काबू में रखना अलग बात थी- लेकिन मैं कई बार मूड स्विंग्स और आत्म-संदेह के क्षणों का भी सामना कर रही थी.

मुझे लगता है कि मुझे अपने रिश्तों को फिर से रेंखाकिंत करने की जरुरत है. एक व्यवसायी एक मां, एक पत्नी होने के साथ ही मुझे इस बात को भी मानना पड़ेगा कि मैं एक महिला हूं जो अपने मिशन पर है!

क्या आपको समाज से किसी भी तरह की बाधा का सामना करना पड़ा है?


मैं भाग्यशाली थी कि मेरा प्रशिक्षण दिल्ली में हुआ जहां पर हम खेल संस्कृति को देखते है. लेकिन यह भी आप लोगों की बात और उत्सुक लोगों को नहीं रोक सकतें, विशेष रूप से एक्सप्रेस-वे पर जब मैं लाइक्रा-पहना कर साइकिल चलाया करती थी. मेरे परिवार ने मेरी इस कोशिश में पूरा साथ दिया, जो अन्यथा, एक बड़ी बाधा बन सकता था.

खेल और अंतर्दृष्टि की रणनीति के बारे में बतायें.


इस के लिये पंजीकरण कराने के बाद जरुरत इस बात की थी कि किसी अनुभवी कोच से सीख, इसके लिये मैंने  कौस्तुभ राडकर को चुना. उभरते हुए ट्रायथलेट्रेस के लिए यह जरूरी है. यह प्रशिक्षण लंबा होता है. और इसके लिये कई महीनों तक पूरे समर्पण के साथ मेहनत करनी होती है.

यह प्रतियोगिता तीन  खेलों का संयोजन है - तैराकी, साइकिल चलाना और दौड़ना. इसमें जहां अपनी कमजोरी पर काम करना होता है वही किसी एक चीज़ पर असमान रूप से ध्यान केंद्रित नहीं किया जाना चाहियें. आप की जो ताक़त है उस पर भी आपको मेहनत करना चाहिये. मेरे मामलें में वह साइकिल चलाना था - और आश्चर्यजनक रूप से रेस के दिन इसमें  मुझे सबसे बड़ी चुनौती मिली.

मैं एक ब्रेस्टस्ट्रोक तैराक हूं, जो इस खेल के लिए बहुत अपरंपरागत थी. लेकिन मुझे विश्वास था कि मैं इसे अपनी ताक़त बना सकती हूं, जो मैंने किया था!

रेस के दिन के लिये हमेशा बी प्लेन भी तैयार रहना चाहिये. हमेशा चीज़े वैसी नही चलती है जैसी योजना आपने बनाई है. जब आप किसी तरह की असफलता सामने देख रहे हो तो आप फौरन पिछले कुछ सालों में की गई मेहनत के बारे में सोचें. सोचें की आप फिनिश लाइन पर है!

आपने साबित कर दिया कि उम्र सिर्फ एक संख्या है. क्यो बात थी जिसने आप को इस उम्र में भी यह करने के लिये प्रेरित किया?


व्यक्ति के पास जीवन में आगे बढ़ने के लिये कुछ होना चाहिये, एक नया लक्ष्य काम करने के लिये. अन्यथा, जीवन उलझन भरा हो सकता है! मैं अपनी अगली चुनौती लेने के लिए तैयार हूं.
अंजू खोसला आयरन मैन ट्रायथलॉन ऑस्ट्रिया
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