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उन्होंने भूस्वाल में राजलक्ष्मी ग्रह उद्योग नामक एक ऐसी संस्था खोली, जहां पहले सिर्फ 15 किलो लड्डू बिकते थे, पर आज 150 के जी लड्डू बिकते है हर महीने। उनके इस कामयाबी के पीछे भिमातादि जात्रा एक्सपोज़र नामक संस्था का हाथ है। उन्हें बारामती के कृषि विकास न्यास से बहुत सहायता मिली।
उनके इस कार्य के पीछे, कस्तूरी संस्था का भी बहुत बड़ा योगदान रहा। उन्होंने मनीषा के सामग्री का प्रचारण एवं मार्किट में उसका परिचय करवाया। उन्होंने आर्थिक रूप से तंग महिलाओं के लिए उन्हें नौकरी दी। अपने व्यापार से हुए लाभ को वो बच्चों की शिक्षा मे दान करती हैं.
उनके रागी लड्डू दो प्रकार में बनते है-
1. पोटासियम, कैल्शियम और आयरन से भरपूर, 2. ग्लूटेन मुफ्त. ये लड्डू बच्चो एवं जवानों के सेवन के लिए सही है.
भारत में बढ़ती हुई महिला उद्यमियों की तादाद को देखकर हमें एक उम्मीद की किरण नज़र आती है कि महिलाएं सक्षम और आत्मनिर्भर बन रही हैं। वह आर्थिक रूप से स्वंतंत्र होने के लिए दिन रात परिश्रम कर रही हैं। ऐसी महिलाएं अवश्य ही पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं क्यूंकि यह केवल स्वयं को ही नहीं बल्कि अन्य महिलाओं को भी सशक्त करने में विश्वास रखती हैं। ऐसी महिलाओं को शीदपीपल सलाम करता है।
कस्तूरी की कल्याणी, मनीषा भीरुद का जन्म खाद्य व्यवसाय के उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच संबंध बढ़ाने की आवश्यकता से हुआ है। कस्तूरी 2017 में लॉन्च ग्रामीण विकास के लिए टाटा केमिकल्स सोसायटी की एक पहल है।