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अब लोग यह समझना शुरू कर रहे हैं कि सेक्स अपराधी, दोस्त या परिवार का सदस्य कैसे हो सकता है. अब जब हमें समाज में इस समस्या के बारे में जानकारी मिल रही है तो हमें हर वो कदम उठाना चाहिये जिससे से कि हम अपने बच्चों को दुर्व्यवहार से बचा सकते है. आइये जाने वह व्यावहारिक बातें जो अब जरुरी हो गई है.
- अपने बच्चों को दिनभर के बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित करें. बच्चों को यह नही मालूम होता है कि वह कब वयस्क के साथ चलने के लिये हां कहे और कब नही. इसलिये यह जरुरी है कि हम उनसे बात करके उनमें विश्वास बनाएं. उन्हें ऐसा बनायें कि वह किसी भी विषय में आप से बात कर सकें. इसके बाद आपके बच्चे दूसरों द्वारा अस्वीकार्य व्यवहार की बात बतातें है तो कार्रवाई करने की ज़िम्मेदारी आपकी है.
यौन दुर्व्यवहार पर शिक्षित होने की जरुरत है. क्या हमें यह बात पता है कि 6 में से 1 लड़कियों को 18 साल की उम्र से पहले छेड़छाड़ का सामना करना पड़ता है. हमें इस तरह के तथ्यों को जानकारी होनी चाहिये. यह बहुत जरुरी है कि यौन तथ्यों के बारे में हमें जानकारी हो तभी हम इसके प्रति सचेत होगे और अपने बच्चों को भी बचाने का प्रयास करेंगे.
- कुछ ऐसी चीज़े होती है जिससे हम सेक्स अपराधी को पहचान सकते है. सेक्स अपराधी अक्सर माता-पिता और बच्चों पर अपना विश्वास पाने की कोशिश करते है. हमें कुछ उदाहरण के ज़रिये यह जान सकते है कि कौन सेक्स अपराधी हो सकता है. जैसे यदि किसी वयस्क के पास उसके घर में कई खिलौने और वीडियो गेम हैं और कई स्थानीय बच्चे हर दिन वहां जाते हैं, तो यह एक संभावित जगह हो सकती है. अगर उस व्यक्ति के पास कोई वयस्क मित्र नही आता है या वह कोई अन्य गतिविधियां नहीं करता है तो हमें सचेत हो जाना चाहिये.
जानें कि आपके बच्चे कहां हैं और वे इस समय कहा पर है. अपने बच्चों के दोस्तों और उनके माता-पिता को जानें. सुनिश्चित करें कि इससे पहले कि आप अपने बच्चे को अपने घर पर समय बिताने दें.
- सुनिश्चित करें कि जब बच्चों का समूह जायें तो उसमें एक से अधिक वयस्क हो. बच्चों के किसी भी समूह के साथ हमेशा एक से अधिक वयस्क होना चाहिए. वयस्क को किसी अन्य वयस्क की किसी भी संदिग्ध गतिविधियों को रिपोर्ट करना चाहिये. हालांकि यह मुश्किल है, लेकिन इन चीजों को खुले तौर पर चर्चा करने की आवश्यकता है.
- बच्चों को सिखाएं कि खतरा किसी से भी आ सकता है उनसे भी जिन पर आप भरोसा करते हैं. अपने बच्चों को बताएं, कि अगर कोई ख़राब स्पर्श करें तो उसे फौरान किसी बड़े को बतायें.
- समय समय पर काउंसलिंग करवायें. हमारे लिये यह जरुरी हो गया है कि हम अपने बच्चों को समय समय पर काउंसलिंग करवायें. एक माता-पिता के रुप में हम हर बात नही जान सकते है. इसलिये यह जरुरी है कि हम बच्चों की समय समय पर काउंसलिंग करवायें. इससे काउंसलर के ज़रिये बच्चों की बहुत सी बातें और उनके दिमाग़ में क्या चल रहा है हमें पता चल सकती है.
- फौरन कारवाई करें. अगर आप को लगता है कि आपके बच्चें के साथ शोषण किया गया है तो इस बात पर कारवाई की जानी चाहिये. हमें सबसे पहले पुलिस और अन्य विभागों में इसकी रिपोर्ट करनी चाहिये. इसे छुपाने का प्रयास नही किया जाना चाहिये. इसे छुपाने से हम एक तरह से अपराधी की ही मदद करेंगे.