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ऑस्कर 2025 में जगह बनाने वाली कन्नड़ शॉर्ट फिल्म के बारे में सब कुछ

कन्नड़ शॉर्ट फिल्म Sunflowers Were the First Ones to Know ने ऑस्कर 2025 में लाइव एक्शन शॉर्ट फिल्म श्रेणी में क्वालिफाई किया। यह फिल्म भारतीय लोककथाओं से प्रेरित है और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल्स में सराही जा चुकी है।

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Vaishali Garg
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All About Kannada Short Film That Secured Oscar 2025 Qualification

कन्नड़ शॉर्ट फिल्म Sunflowers Were the First Ones to Know ने ऑस्कर 2025 के लाइव एक्शन शॉर्ट फिल्म श्रेणी में अपनी जगह बनाई है। इस फिल्म का निर्देशन चिदानंद एस. नाइक ने किया है और इसे फिल्म और टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) ने बनाया है, जहां नाइक ने अपनी पढ़ाई पूरी की। इस फिल्म ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाले कुछ चुनिंदा शॉर्ट फिल्मों में अपनी जगह बनाई है।

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ऑस्कर के लिए क्वालिफाई करती कन्नड़ शॉर्ट फिल्म Sunflowers Were the First Ones to Know

नाइक ने प्रेस में कहा, "मैंने हमेशा से इस कहानी को बताने की चाह रखी है। हमारा उद्देश्य सिर्फ कहानी सुनाने का नहीं, बल्कि दर्शकों को उन अनुभवों में डुबो देने का था, जो पूरे विश्व में प्रतिध्वनित हों।"

इस वर्ष Sunflowers Were the First Ones to Know ने कान्स फिल्म फेस्टिवल में La Cinef Selection में पहला पुरस्कार जीतकर हलचल मचा दी। La Cinef के जूरी ने फिल्म के अनोखे नैरेटिव शैली की सराहना करते हुए कहा, "यह फिल्म रात के अंधेरे में भी अपनी रोशनी से दर्शकों को हंसाती है और एक सशक्त दिशा प्रदान करती है।"

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अन्य फिल्म फेस्टिवल्स में सराहना

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कान्स में इस सफलता के बाद, इस शॉर्ट फिल्म ने अन्य फिल्म फेस्टिवल्स में भी सराहना प्राप्त की है। बेंगलुरु इंटरनेशनल शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल में इसे सर्वश्रेष्ठ भारतीय प्रतियोगिता का पुरस्कार मिला, जिसने भारतीय शॉर्ट सिनेमा में इसे एक मजबूत योगदान के रूप में स्थापित किया।

फिल्म की सफलता के पीछे की कहानी

यह 16 मिनट की फिल्म भारतीय लोककथाओं और परंपराओं से प्रेरित है। कहानी एक बुजुर्ग महिला के इर्द-गिर्द घूमती है, जो गांव का मुर्गा चुराने के बाद सूर्य के अस्त होने का कारण बन जाती है। इसके बाद एक भविष्यवाणी के जरिए गांव में संतुलन बहाल करने की कोशिश की जाती है, जिसके लिए महिला का गांव से निष्कासन होता है। उसकी परिवार इस मुर्गे को वापस लाने के प्रयास में जुट जाती है ताकि गांव को अंधकार से बचाया जा सके।

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फिल्म की पूरी शूटिंग रात में की गई है, जिससे यह दर्शकों को एक प्रामाणिक भारतीय ग्रामीण परिवेश में ले जाती है और कहानी को वास्तविकता का अनुभव कराती है। फिल्म का समृद्ध चित्रण स्थानीय परंपराओं और मान्यताओं पर आधारित है, जो भारतीय लोक संस्कृति में इसकी जड़ें दिखाता है।

फिल्म की निर्माण टीम में सूरज ठाकुर (सिनेमैटोग्राफर), मनोज वी (एडिटर) और अभिषेक कदम (साउंड डिज़ाइनर) जैसे प्रतिभाशाली लोग शामिल हैं।

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