//hindi/media/media_files/MPN0MkfDrLGOA4OTrsfC.png)
कोविड महामारी, लॉकडाउन और सिनेमाघर की पाबंदियों ने बॉलीवुड, और पूरे विश्व के फिल्म इंडस्ट्री पर लगभग २ साल के लिए ताला लगा दिया। अब धीरे धीरे फिल्मे वापस थिएटर पर आना शुरू हुए हैं, और पुष्पा, KGF जैसी साउथ इंडियन फिल्में ब्लॉकबस्टर साबित हुई। दूसरी तरफ बॉलीवुड के हिंदी फिल्में कुछ ख़ास चल नहीं रही हैं।
हमने देखा की सम्राट पृथ्वीराज, शमशेरा, निक्कमा जैसी 2022 के फिल्में फ्लॉप हो गयी। पृथ्वीराज और शमशेर बहुत बड़े बजेट वाले फिल्में भी हैं, और पॉप्युलर अभिनेता द्वारा बने हैं। फिर क्या वजह है की यह बॉलीवुड फिल्में फ्लॉप हो रही हैं? जानने के लिए आगे पढ़े-
बॉलीवुड फिल्में फ्लॉप क्यों हो रही हैं?
1. कैंसिल कल्चर
कैंसिल कल्चर एक ऐसी कल्चर के बारे में बात करती है, जिसमें अगर किसी को एक चीज़ पसंद नहीं आती है, वे उसकी सोशल मीडिया बहुत नेगेटिव पब्लिसिटी कर देते हैं। इतना, की वह चीज़, इस केस में फिल्म, समाज द्वारा कैंसिल हो जाती है।
आप कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर देख सकते हैं की कैसे फिल्मों के रिलीज़ होने से पहले ही उस फिल्म के बॉयकॉट के नारे लग जाते हैं। अगर आप फिल्म देखते ही नहीं है तो आपको कैसे पता चलेगा कि वह कैसा है? एक ट्रेलर देख कर आप उसे कैंसिल कर दे रहे हैं? डार्लिंग, लाल सिंह चड्डा, रक्षा बंधन, इन सब पर बॉयकॉट के नारे लग रहे हैं।
2. ओटीटी की उन्नति
इस समय इतने सारे ओटीटी प्लेटफॉर्म आ गए हैं, जिससे लोग घर के आराम से ही फिल्में और शोज देख सकते हैं, की लोग फिल्मों के ओटीटी रिलीज़ का ही इंतज़ार कर लेते हैं। लोग पेट्रोल, हॉल टिकट इत्यादि के पैसे भी बचा लेते हैं, और वे जब चाहे फिल्म को पॉज कर सकते हैं और बाद में देख सकते हैं। छोटे बच्चों के साथ फिल्म देखने के लिए भी यह बहतर उपाय पाया गया है। इस कारण, गंगूबाई कथिआवाडी भी सिनेमाघर से ज़्यादा ओटीटी पर पॉप्युलर हुई।
3. एक ही तरह के कहानी
बॉलीवुड के कहानियाँ बहुत प्रेडिक्टेबल होते जा रहे हैं। आप एक पॉइंट के बाद फिल्म के अंत का अंदाज़ा लगा सकते हैं। इस कारण वे बोरिंग हो जा रहे हैं और लोग इन्हें नापसंद कर रहे हैं। दूसरी तरफ लोगों के पास अब बहुत सारे विकल्प है। इस समय आप किसी भी देश के फिल्म को सबटाइटल या डब रूप में देख सकते हैं।
4. लेक्चर
कई फिल्में ऐसी होती हैं कि दर्शकों को यह बताया जाता है की वे क्या गलत कर रहे हैं या वे कितने बुरे हैं। किरदार कभी कभी सीधे दर्शक को लेक्चर देते हैं। लोग अपनी बुराई सुनने के लिए पैसे नहीं देना चाहते। सोशल इश्यूस पर फिल्में बनाया जाए तो अगर कॉमेडी या कोई भावुक कहानी के रूप में बने तो ज़्यादा चलते हैं।
5. फिल्म के टॉपिक लोगों को पसंद नहीं आ रहे हैं
कई फिल्में ऐसी टॉपिक्स पर बनती हैं जो लोगों को पसंद नहीं आते हैं। यह टॉपिक्स अधिकतर लोगों के जीवन से मेल नहीं कहती हैं। इस कारण ऐसी फिल्में ज़्यादा नहीं चलती।