Changing Female Roles: बॉलीवुड में बदलते महिला किरदार, नायिका अब सिर्फ प्रेमिका नहीं

बॉलीवुड में महिला किरदारों में हो रहे बदलाव को जानें, जहां नायिका अब सिर्फ प्रेमिका नहीं, बल्कि मजबूत और स्वतंत्र पात्र बन चुकी हैं। जाने अधिक इस ब्लॉग में -

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Sakshi Rai
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Photograph: (oowomaniya)

Changing Female Roles in Bollywood – Heroines Beyond Just Lovers: बॉलीवुड में लंबे समय से महिला किरदारों को एक ही तरह से पेश किया जाता रहा है, जहां नायिका का रोल केवल प्रेमिका, पत्नी या सहायक पात्र तक सीमित होता था। वह हमेशा नायक के इर्द-गिर्द घूमती थी और उसकी ज़िंदगी का उद्देश्य नायक को खुश करना या उसकी मदद करना होता था। इस तरह की नायिका का चरित्र अक्सर समाज में महिलाओं की स्थिति और उनके अधिकारों को बहुत ही संकुचित और सीमित तरीके से दिखाता था। नायिका की पूरी पहचान उसके रिश्तों से जुड़ी होती थी, न कि उसकी खुद की महत्वाकांक्षाओं और सपनों से।

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बॉलीवुड में बदलते महिला किरदार – नायिका अब सिर्फ प्रेमिका नहीं

बॉलीवुड में महिलाओं के किरदारों का स्वरूप समय के साथ बदल चुका है। पहले की फिल्मों में, महिला पात्रों को केवल प्रेमिका या सहायक भूमिका में दिखाया जाता था। उनका मुख्य उद्देश्य नायक का साथ देना और उसका समर्थन करना होता था। नायिका का जीवन हमेशा नायक के इर्द-गिर्द घूमता था, और उसकी पहचान उसके रिश्तों और प्रेम से जुड़ी होती थी। हालांकि, आजकल की फिल्मों में महिला किरदारों की भूमिका बहुत विकसित हो चुकी है। अब नायिका सिर्फ प्रेमिका नहीं, बल्कि एक मजबूत, आत्मनिर्भर और स्वतंत्र महिला के रूप में दिखाई देती है।

आज के दौर में बॉलीवुड फिल्में महिलाओं के आत्मविश्वास, उनकी यात्रा, उनके सपनों और संघर्ष को केंद्रित करती हैं। महिलाओं को अब केवल घर की चार दीवारी में बंद नहीं रखा जाता, बल्कि उन्हें अपनी पहचान बनाने, अपनी सोच और अपनी सफलता की राह पर चलने का पूरा अधिकार दिया जाता है। वे अब न केवल अपनी ज़िंदगी के फैसले खुद लेती हैं, बल्कि समाज और दुनिया को भी यह संदेश देती हैं कि महिला किसी भी भूमिका में खुद को साबित कर सकती है।

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फिल्म क्वीन इसका बेहतरीन उदाहरण है, जहां कंगना रनौत का किरदार एक लड़की की यात्रा को दर्शाता है, जो शादी के टूटने के बाद खुद को नए तरीके से पहचानती है और अपने सपनों को पूरा करने के लिए दुनिया की यात्रा पर निकल पड़ती है। पिंक और मॉम जैसी फिल्में महिलाओं के अधिकारों और आत्मसम्मान को दर्शाती हैं, जो समाज में उन्हें मिलते हैं। ये फिल्में यह दिखाती हैं कि महिलाएं अब किसी भी हालात में अपनी आवाज उठाने की हिम्मत रखती हैं और अपने अस्तित्व को साबित करती हैं।

इसके अलावा, फिल्में अब महिलाओं के सामाजिक संघर्ष और कार्यक्षेत्र में उनके योगदान को भी दिखाती हैं। फिल्मों में नायिकाएं अब न केवल घर की जिम्मेदारियां निभाती हैं, बल्कि अपने करियर में भी सफलता प्राप्त करती हैं। उदाहरण के तौर पर, फिल्म तनु वेड्स मनु में कंगना का किरदार एक ऐसी महिला का है जो अपने जीवन को अपने हिसाब से जीने की कोशिश करती है, भले ही इसके लिए उसे समाज की रूढ़ियों से लड़ना पड़े।

यह बदलाव सिर्फ बॉलीवुड में नहीं, बल्कि समाज में भी महिलाओं की स्थिति को नया आयाम दे रहा है। नायिकाओं की अब केवल प्रेमिका या पत्नी की भूमिका नहीं है, वे अब अपने आत्म-सम्मान, उद्देश्य और अपने सपनों को लेकर सचेत और सक्रिय हैं। इस बदलाव से यह संदेश जाता है कि महिलाएं किसी भी परिस्थिति में अपने जीवन को नए तरीके से आकार देने की क्षमता रखती हैं।

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