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बॉलीवुड फिल्मों में रोमांटिक और कॉमेडी का मिश्रण कोई नई बात नहीं है, लेकिन धूम धम एक अनोखे अंदाज में इस शैली को प्रस्तुत करती है। यामी गौतम धर और प्रतीक गांधी की यह फिल्म दर्शकों को न केवल हंसाती है, बल्कि एक रोमांचक सफर पर भी ले जाती है। इस फिल्म में एक दिलचस्प हीस्ट ट्विस्ट भी शामिल है, जो इसे और भी रोमांचक बनाता है।
Dhoom Dhaam Review: रोमांटिक कॉमेडी हीस्ट जो परंपराओं को तोड़ती है
कहानी: शादी की रात से शुरू हुआ अराजकता का सफर
फिल्म की कहानी कोयल (यामी गौतम धर) और वीर (प्रतीक गांधी) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो शादी के बाद अपनी पहली रात का जश्न मना रहे होते हैं। लेकिन उनकी खुशियां ज्यादा देर तक नहीं टिकतीं, क्योंकि दो गैंगस्टर (एजाज खान और पवित्र सरकार) अचानक उनके होटल के कमरे में घुस आते हैं और चार्ली के बारे में पूछताछ करने लगते हैं। वीर, जो अपने नाम के बिलकुल विपरीत डरपोक और सीधा-सादा है, इस अप्रत्याशित स्थिति में खुद को असहाय पाता है। लेकिन कोयल स्थिति को अपने हाथ में लेती है और जल्द ही कहानी एक रोमांचक मोड़ पर पहुंच जाती है।
तेज-तर्रार पटकथा और दमदार निर्देशन
अर्श वोहरा और आदित्य धर की शानदार लेखनी इस फिल्म को और अधिक प्रभावशाली बनाती है। फिल्म की शुरुआत से ही दर्शकों को यह आभास हो जाता है कि यह कोई साधारण प्रेम कहानी नहीं है। नवविवाहित जोड़ा शादी के तुरंत बाद ही अपने रिश्ते पर सवाल उठाने लगता है, क्योंकि वे दोनों स्वभाव से बिल्कुल अलग हैं।
रिशभ सेठ के निर्देशन में यह फिल्म न केवल कॉमेडी और रोमांच को संतुलित करती है, बल्कि एक अनूठी कहानी भी बुनती है।
गीत-संगीत: पारंपरिक बॉलीवुड से हटकर
फिल्म में पारंपरिक बॉलीवुड गानों की भरमार नहीं है, लेकिन शोर पुलिस (क्लिंटन सेरेजो और बियांका गोम्स) द्वारा दिए गए कुछ गाने काबिले तारीफ हैं। ये गाने न केवल फिल्म की थीम को बनाए रखते हैं, बल्कि कहानी को आगे बढ़ाने में भी मदद करते हैं।
अभिनय: यामी और प्रतीक का शानदार प्रदर्शन
यामी गौतम धर ने कोयल के किरदार को पूरी ईमानदारी और आत्मविश्वास के साथ निभाया है। उनका तेजतर्रार और निडर व्यक्तित्व फिल्म का मुख्य आकर्षण है। वहीं, प्रतीक गांधी का किरदार वीर, एक डरपोक लेकिन मजेदार इंसान के रूप में दर्शकों का दिल जीतने में सफल होता है।
फिल्म के सह-कलाकारों में काविन दवे और मुकुल चड्ढा ने भी अपनी भूमिकाओं में जान डाल दी है। खासतौर पर मुकुल चड्ढा का पुलिस अधिकारी का किरदार फिल्म के अंतिम हिस्से में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
लिंग भूमिकाओं की परंपराओं को तोड़ती फिल्म
फिल्म का एक सबसे बड़ा प्लस पॉइंट इसका जेंडर रोल्स को लेकर नया नजरिया है। आमतौर पर हिंदी फिल्मों में पुरुष नायक को मजबूत और वीर दिखाया जाता है, जबकि महिला पात्र को कोमल और भावनात्मक रूप में प्रस्तुत किया जाता है। धूम धम इस स्टीरियोटाइप को तोड़ती है। कोयल का किरदार जहां साहसी और आत्मनिर्भर है, वहीं वीर एक संवेदनशील और विनम्र इंसान के रूप में उभरता है।
अंतिम विचार: हल्की-फुल्की मस्ती और मनोरंजन से भरपूर फिल्म
धूम धम एक हल्की-फुल्की लेकिन मजेदार फिल्म है, जो दर्शकों को हंसाने और रोमांचित करने में सफल रहती है। यह फिल्म उन लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है, जो भारी-भरकम भावनात्मक ड्रामा से हटकर कुछ नया और ताजगी भरा देखना चाहते हैं।
अगर आप रोमांस, कॉमेडी और एक हल्के-फुल्के हीस्ट ड्रामा का मजा लेना चाहते हैं, तो धूम धम को अपनी वॉचलिस्ट में जरूर शामिल करें। यह फिल्म न केवल मनोरंजन करती है, बल्कि कुछ नई सोच भी प्रस्तुत करती है।