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Stereotypes About Bengalis: मछली से प्यार, 5 ऐसे स्टीरियोटाइप्स

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आपने अक्सर देखा होगा कि जब भी लोग बंगाली संस्कृति की बात करते हैं तो वे कुछ उदाहरणों से हमारी पहचान करवाते हैं। आप फिल्मों में बंगाली लोगों को लाल और सफेद कलर की साड़ी में देख सकते हैं। यह उन्हें स्टीरियो टाइप करने का ही एक तरीका है। लेकिन यह सच नहीं। सभी बंगाली लोग इस तरह के कपड़े नहीं पहनते। 

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हम लोग इन स्टीरियोटाइप्स को सच मान लेते हैं और इन पर हंसते भी हैं। लेकिन हमें असलियत को समझना चाहिए।

झूठे बंगाली स्टीरियोटाइप -

1. रोज़ खाते हैं रोसोगुल्ला

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ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि बंगालियों के पास मिठाई में खाने के लिए केवल रसगुल्ला ही है। और वे रोज यही खाते हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। उनके पास मलाई चमचम से लेकर स्वादिष्ट मिठाइयां भी हैं। और वे इन्हें भी बहुत चाव से खाते हैं।

2. मछली से प्यार

बंगालियों के बारे में यह अफवाह है कि वे मछली खाना बहुत ही ज्यादा पसंद करते हैं और वे मछली के बिना नहीं रह सकते। बंगाली लोग शुरू से ही मछली खाते हैं और यह उनके भोजन का साधारण सा हिस्सा है। कुछ लोगों को तो मछली पसंद भी नहीं होती। इसलिए यह कहना गलत होगा कि सभी बंगाली लोग मछली खाना बहुत पसंद करते हैं।

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3. राजनीति के बारे में बात

बंगाली लोग हमेशा राजनीति की बात नहीं करते रहते हैं। हर व्यक्ति को अपने देश और दुनिया में हो रही राजनीति का साधारण ज्ञान तो होना ही चाहिए। ऐसे में बंगाली लोगों की जागरूकता को स्टीरियोटाइप करना गलत है। वे हमारी तरह ही दूसरी बातें भी करते हैं।

4. खराब हिन्दी

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ऐसा कहा जाता है कि बंगालियों की हिंदी बहुत खराब होती है। लेकिन सच तो यह है कि ज्यादातर बंगाली को 3 भाषाएं आती है जो शायद किसी और क्षेत्र के लोगों को ना आती हो। उनका एक्सेंट थोड़ा सा अलग होता है क्योंकि उनकी मातृभाषा बंगाली है। लेकिन इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

5. बहुत मीठे होते हैं

बंगाली लोग मीठा जरूर बोलते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह कभी बुरा नहीं बोलते। वह बस किसी के साथ बेवजह दुर्व्यवहार नहीं करना चाहते हैं। समय आने पर उनकी जुबान कटार की तीखी भी हो सकती है।

स्टीरियोटाइप
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