कर्नाटक राज्य महिला आयोग ने कन्नड़ फिल्म उद्योग में काम करने वाली महिलाओं की सुरक्षा और अधिकार सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 16 सितंबर को, आयोग ने कर्नाटक फिल्म चेंबर ऑफ कॉमर्स (KFCC) से POSH (यौन उत्पीड़न से सुरक्षा) अधिनियम के तहत एक समिति बनाने की कार्ययोजना प्रस्तुत करने या समिति न बनाने के कारण बताने का निर्देश दिया। यह कदम उद्योग में यौन उत्पीड़न के मुद्दों को सुलझाने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है।
कन्नड़ फिल्म उद्योग को POSH समिति के गठन के लिए 15 दिन
कर्नाटक महिला आयोग ने कन्नड़ फिल्म चेंबर को POSH समिति के गठन के लिए 15 दिनों का समय दिया है। इस बैठक में कर्नाटक फिल्म चेंबर ऑफ कॉमर्स के निदेशक एन. एम. सुरेश और फिल्म निर्माता कविता लंकेश उपस्थित थीं। बैठक में फिल्म उद्योग में उत्पीड़न के मुद्दों को हल करने की आवश्यकता पर चर्चा की गई।
एन. एम. सुरेश के अनुसार, कन्नड़ फिल्म उद्योग में अब तक महिलाओं द्वारा औपचारिक शिकायतें नहीं मिली हैं। उन्होंने कहा, "जब ये 17 मांगें पत्र के रूप में भेजी जाएंगी, तब हम एक बैठक करेंगे और आगे की चर्चा करेंगे। अब तक कोई महिला कन्नड़ फिल्म उद्योग से हमारे पास औपचारिक शिकायत लेकर नहीं आई है, और न ही महिला आयोग के पास कोई शिकायत दर्ज है। इसलिए हमें देखना होगा कि हमें Hema समिति जैसी समिति की आवश्यकता है या नहीं।"
FIRE की पहल और याचिका
फिल्म इंडस्ट्री फॉर राइट्स एंड इक्वालिटी (FIRE) ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को एक याचिका सौंपकर POSH समिति के गठन की मांग की थी। इस याचिका पर 153 फिल्म उद्योग से जुड़े पेशेवरों ने हस्ताक्षर किए। याचिका में केरल की न्यायमूर्ति Hema समिति जैसी समिति की मांग की गई थी, जिसने मलयालम फिल्म उद्योग में उत्पीड़न के मामलों का पर्दाफाश किया था।
कविता लंकेश, जो FIRE की अध्यक्ष भी हैं, ने उद्योग में महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई पर बात की। उन्होंने कहा, "यह फिल्म उद्योग में महिलाओं के लिए न्याय की लड़ाई में एक छोटा कदम है, लेकिन इसके लिए भी बहुत संघर्ष करना पड़ा।"
गोपनीय सर्वेक्षण और गवाही का संग्रहण
FIRE ने यह भी घोषणा की कि वह कन्नड़ फिल्म उद्योग में काम करने वाली महिलाओं के बीच एक सर्वेक्षण करेगा। इस सर्वेक्षण के जरिए महिलाएं अपने उत्पीड़न या शोषण के अनुभवों को गुमनाम तरीके से साझा कर सकेंगी। इससे उन महिलाओं को आवाज मिलेगी, जो सार्वजनिक रूप से सामने आने से हिचकिचाती हैं।
लंकेश ने बताया कि अतीत में जो महिलाएं सामने आई थीं, उन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया गया या समझौता करने के लिए कहा गया। इस कारण अन्य महिलाएं अपने अनुभवों की रिपोर्ट करने से बचती रहीं।
अगले कदम और कार्ययोजना
बैठक में, कर्नाटक महिला आयोग ने 17 बिंदुओं की एक कार्ययोजना प्रस्तुत की, जिसमें कन्नड़ फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न और शोषण से निपटने के उपाय शामिल हैं। हालांकि इस कार्ययोजना के सभी बिंदुओं का खुलासा तुरंत नहीं किया गया, लेकिन इससे महिलाओं के कार्यस्थलों पर अधिकारों की सुरक्षा के लिए व्यापक कदम उठाने की उम्मीद है।
KFCC को जब महिला आयोग से आधिकारिक पत्र प्राप्त होगा, तब वे आगे की चर्चा और निर्णय लेने के लिए बैठक करेंगे।