समय रैना के यूट्यूब शो ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ अपने डार्क ह्यूमर और अनोखे अंदाज के लिए जाना जाता है। लेकिन हाल ही के एक एपिसोड ने सोशल मीडिया पर एक नई बहस छेड़ दी। इस एपिसोड में डिप्रेशन जैसे संवेदनशील मुद्दे पर किए गए एक जोक ने दर्शकों और नेटिज़न्स को दो खेमों में बांट दिया।
दीपिका पादुकोण के डिप्रेशन पर जोक करने पर कॉमेडियन की आलोचना
डिप्रेशन पर जोक और विवाद
शो के हालिया एपिसोड में प्रतिभागी बंटी बनर्जी, जो विजेता भी बनीं, ने दीपिका पादुकोण के डिप्रेशन को लेकर एक मजाक किया। उन्होंने इसे अपनी पोस्टपार्टम डिप्रेशन से तुलना करते हुए कहा,
"दीपिका पादुकोण भी हाल ही में मां बनी हैं। अब उन्हें असली डिप्रेशन का मतलब पता चलेगा।" श्रोताओं के बीच यह मजाक हंसी का कारण बना, लेकिन सोशल मीडिया पर इसकी काफी आलोचना हुई।
सोशल मीडिया पर बंटा जनमत
इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर दो तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। जहां कुछ लोगों ने इसे एक सेंसिटिव मुद्दे पर असंवेदनशील मजाक करार दिया, वहीं कुछ ने इसे पोस्टपार्टम स्ट्रगल्स पर एक ईमानदार नजरिया बताया।
a contestant on India's got latent trolled #DeepikaPadukone for her fake sob story which she created to defame her ex. pic.twitter.com/E2v0FxM8b2
— V🐧 (@V_for___) November 17, 2024
The entire panel should be ashamed. And to see that one of the panelist is a famous neurologist Dr. Sid warrier.. Shameful.
— Vighnesh Rane (@Vighrane01) November 17, 2024
दीपिका पादुकोण: मानसिक स्वास्थ्य की हिमायती
दीपिका पादुकोण ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने पोस्टपार्टम स्ट्रेस और बर्नआउट के अनुभव साझा किए थे। उन्होंने बताया,
"जब आप नींद पूरी नहीं करते या तनाव में होते हैं, तो आपके फैसले प्रभावित होते हैं। मुझे ऐसे दिनों का एहसास होता है जब मैं मानसिक रूप से थकी हुई होती हूं।"
दीपिका हमेशा से मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर बात करने वाली हस्ती रही हैं। अपने करियर के शुरुआती दिनों में उन्होंने डिप्रेशन से अपनी लड़ाई को सार्वजनिक किया, जिससे इस विषय पर खुलकर चर्चा शुरू हुई।
डार्क ह्यूमर और संवेदनशीलता की सीमाएं
‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ जैसे शो डार्क ह्यूमर और व्यक्तिगत कहानियों को सामने लाने के लिए जाने जाते हैं। लेकिन, सवाल यह है कि क्या किसी और के दर्द पर जोक करना उचित है? खासकर, जब वह व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रतीक हो।
आगे का सवाल
क्या डार्क ह्यूमर के नाम पर संवेदनशीलता से समझौता करना ठीक है? ऐसे शो और प्रतिभागियों को अपनी सीमाओं का ध्यान रखना चाहिए, ताकि हंसी के नाम पर किसी के दर्द को अनदेखा न किया जाए।