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Photograph: (Urmimala Baruah, Instagram)
दिब्रूगढ़, असम की गलियों से निकलकर Cannes Film Festival 2025 के रेड कार्पेट तक पहुंचना कोई आसान सफर नहीं होता। लेकिन उर्मिमाला और स्निग्धा बरूआ मां-बेटी की इस जोड़ी ने यह कर दिखाया है। उन्होंने न केवल भारतीय संस्कृति और असमी हस्तशिल्प को विश्व मंच पर प्रस्तुत किया, बल्कि लाखों महिलाओं को भी अपने सपनों के पीछे भागने की प्रेरणा दी।
Cannes Film Festival 2025: असम की मां-बेटी जोड़ी उर्मिमाला और स्निग्धा बरूआ ने रचा इतिहास
रेड कार्पेट पर ऐतिहासिक उपस्थिति
Cannes 2025 के रेड कार्पेट पर उर्मिमाला और स्निग्धा पहली मां-बेटी जोड़ी बन गईं, जिन्होंने साथ चलकर इतिहास रचा। उन्होंने जो परिधान पहने, वह केवल फैशन स्टेटमेंट नहीं थे वे असम की मिट्टी, संस्कृति और परंपरा की झलक थे।
उर्मिमाला ने प्राचीन बरगद के पेड़ से प्रेरित भूरे रंग का गाउन पहना था, जो जुड़ाव, मजबूती और मानवीय जड़ों का प्रतीक था। स्निग्धा ने बांस से बने परिधान को पहनकर असम के प्रकृति प्रेम और नवाचार की झलक पेश की।
कौन हैं उर्मिमाला और स्निग्धा बरूआ?
उर्मिमाला बरूआ एक मॉडल, पेजेंट्री मेंटर और उद्यमी हैं। उन्होंने अकेले अपनी बेटी को बड़ा किया, कठिनाइयों से लड़ते हुए कभी हार नहीं मानी। “हम विशेषाधिकार से नहीं, बल्कि धैर्य और हिम्मत से यहां तक पहुंचे हैं,” उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा।
स्निग्धा बरूआ भी एक मॉडल, उद्यमी और पॉडकास्टर हैं। दोनों दिल्ली में रहती हैं और UMB Pageants की संस्थापक हैं। उर्मिमाला वर्तमान में Mrs Universe, Miss Intercontinental, Miss World International और Miss Europe Continental की नेशनल डायरेक्टर भी हैं।
इंस्टाग्राम पर उर्मिमाला का भावुक संदेश
रेड कार्पेट की तस्वीर साझा करते हुए उर्मिमाला ने लिखा: “From small-town girls to making history as the first-ever mother-daughter duo to walk the red carpet at the Cannes Film Festival, we made it!”
यह सिर्फ उनका नहीं, बल्कि हर उस महिला का सपना था जो सीमाओं को तोड़कर कुछ बड़ा करना चाहती है।
असम की सांस्कृतिक उपस्थिति
सिर्फ 2025 ही नहीं, बल्कि Cannes 2024 में भी असम की एक और चमकदार हस्ती नजर आई थीं अभिनेत्री ऐमी बरूआ। उन्होंने पारंपरिक मुगा सिल्क साड़ी में अपनी जड़ों को गर्व से दिखाया था। दो सौ साल पुराने मोटिफ, गमछा, रीहा और कोपऊ फूलों से सजा उनका लुक विश्व स्तर पर असमी संस्कृति की चमक दिखा गया।
उर्मिमाला और स्निग्धा बरूआ की कहानी इस बात का प्रतीक है कि अगर जज्बा और मेहनत हो, तो दिब्रूगढ़ से Cannes तक का रास्ता भी तय किया जा सकता है। उनकी यह ऐतिहासिक उपलब्धि न सिर्फ असम बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व की बात है।