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भारत की फिल्म 'ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट' ने गोल्डन ग्लोब्स में बेस्ट डायरेक्टर और बेस्ट मोशन पिक्चर—नॉन-इंग्लिश लैंग्वेज श्रेणियों में पुरस्कार खो दिया।
कान्स फिल्म महोत्सव में पुरस्कार जीत चुकी भारतीय फिल्म 'ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट' 2025 के गोल्डन ग्लोब्स में कोई पुरस्कार नहीं जीत सकी। इसने बेस्ट डायरेक्टर और बेस्ट मोशन पिक्चर—नॉन-इंग्लिश लैंग्वेज के पुरस्कारों को गंवाया। हालांकि, निर्देशक पायल कापड़िया ने इतिहास रचते हुए गोल्डन ग्लोब्स के लिए नामांकित होने वाली भारत की पहली महिला फिल्म निर्माता का सम्मान प्राप्त किया। इस फिल्म में कानी कुसरुटी, दिव्या प्रभा, छाया कदम और हरीधु हारून जैसे भारतीय अभिनेता मुख्य भूमिका में हैं।
Golden Globe Awards में कौन जीते?
ब्रैडी कॉर्बेट ने 'द ब्रूटलिस्ट' के लिए बेस्ट डायरेक्टर का पुरस्कार जीता, जबकि स्पैनिश-फ्रेंच फिल्म 'एमिलिया पेरेज़', जिसे जैक्स ऑडियार ने निर्देशित किया, ने बेस्ट मोशन पिक्चर—नॉन इंग्लिश का पुरस्कार जीता।
Golden Globe Awards 2025: पायल कापाड़िया ने रचा इतिहास, हासिल की 2 नॉमिनेशन
82वें गोल्डन ग्लोब अवार्ड्स के बारे में जानें
82वें गोल्डन ग्लोब अवार्ड्स का आयोजन 5 जनवरी 2025 को बेवर्ली हिल्टन में होगा। इस समारोह की मेज़बानी हास्य कलाकार निक्की ग्लेसर करेंगी और इसे CBS और Paramount+ पर लाइव प्रसारित किया जाएगा। यह आयोजन विश्व सिनेमा प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर साबित होगा।
भारत की ऑस्कर में दावेदारी और पायल की फिल्म
ऑल वी इमेजिन एज लाइट को फ्रांस ने 2025 के ऑस्कर में इंटरनेशनल फीचर फिल्म श्रेणी के लिए चुना है। यह फिल्म, जिसे भारतीय और अंतरराष्ट्रीय प्रोडक्शन हाउस ने मिलकर बनाया है, पहले ही कान्स फिल्म फेस्टिवल में ग्रैंड प्रिक्स जीत चुकी है।
फिल्म की कहानी और इसके पात्र
यह फिल्म नर्स प्रभा और उनकी रूममेट अनु की कहानी को दर्शाती है। दोनों महिलाओं की जीवन यात्रा और उनके सपनों के इर्द-गिर्द घूमती यह कहानी, महिला दृष्टिकोण और उनके रिश्तों की गहराई को खूबसूरती से प्रस्तुत करती है।
कौन हैं पायल कपाड़िया?
कपाड़िया का चयन इसलिए भी खास है क्योंकि वह प्रतिष्ठित पाल्मे डी'ऑर पुरस्कार के लिए चुनी गई केवल चार महिला निर्देशकों में से एक हैं। विश्व सिनेमा के कुछ सबसे चमचमाते नामों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए, कपाड़िया फ्रांसिस फोर्ड कोपोला की "मेगालोपोलिस", सीन बेकर की "अनोरा", और योर्गोस लैंथिमोस की "काइंड्स ऑफ काइंडनेस" जैसी फिल्मों के साथ इस प्रतिष्ठित ट्रॉफी के लिए प्रयास करेंगी। कपाड़िया की फिल्म भारतीय सिनेमा की विविधता और समृद्धि को रेखांकित करती है, जो वैश्विक मंच पर दर्शकों को आकर्षित करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करती है।
"All We Imagine As Light" के बारे में अधिक
फ्रांस-भारत सहयोग से बनी फिल्म "ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट" एक नर्स प्रभा की कहानी बताती है, जिसे अपने लापता पति से एक अप्रत्याशित उपहार मिलता है, जो उसके भीतर बेचैनी पैदा कर देता है। इसी दौरान, उसकी छोटी दोस्त और रूममेट अनु अपने प्रेमी के साथ एकांत स्थान खोजने की तलाश में निकल पड़ती है। अंततः, दोनों महिलाएं एक समुद्र तटीय शहर के लिए एक रोड ट्रिप पर निकलती हैं, जहां वे अपने सपनों और इच्छाओं को पूरा करने के लिए एक जगह ढूंढती हैं।
Cannes Film Festival और भारतीय सिनेमा का इतिहास
इससे पहले 1994 में शाजी एन करुण की फिल्म "स्वाह" को कान्स फिल्म फेस्टिवल के प्रतियोगिता वर्ग में शामिल किया गया था। इसके अतिरिक्त, 1983 में मृणाल सेन की बंगाली फिल्म "खारिज" को भी कान्स प्रतियोगिता में शामिल किया गया था, जिसने जूरी पुरस्कार प्राप्त किया।
Cannes से पहले ही धूम मचा चुकी हैं पायल कपाड़िया
कपाड़िया के लिए कान्स कोई नया नाम नहीं है। 2021 में उनकी डॉक्यूमेंट्री "ए नाइट ऑफ नोइंग नथिंग" ने सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री के लिए प्रतिष्ठित गोल्डन आई पुरस्कार जीता था।
पायल कपाड़िया की उपलब्धि भारतीय सिनेमा के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण है। उनकी फिल्म का चयन वैश्विक मंच पर भारतीय प्रतिभा को प्रदर्शित करता है और उम्मीद जगाता है कि आने वाले समय में भारतीय सिनेमा को और अधिक अंतर्राष्ट्रीय सफलता मिलेगी।