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Bollywood mother's: बॉलीवुड की ऐसी माँएं जिन्होंने लांघी समाज की बनाई हुई हर रेखा

बॉलीवुड की फिल्मों की स्टोरी समय के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही है और उनमें दिखाए गए माँ का कैरेक्टर आज भी समाज में पल रही नीची सोच को चुनौती देकर समाज के लिए नई उदहारण बन रहीं है।

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Khushi Jaiswal
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Woke mother's of Bollywood

Bollywood mother's : बॉलीवुड की फिल्मों की स्टोरी समय के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहीं है और उनमें दिखाए गए माँ का रोल आज भी समाज में पल रही नीची सोच को चुनौती देकर समाज के लिए नई उदहारण बन रहीं है। चाहें वो गंगुबाई हो या मॉम में श्रीदेवी का रोल, आज आपको बताते हैं कुछ ऐसी भारतीय फिल्मों की माँओं के बारे में जिन्होंने हम सबको प्रेरित किया और एक नई छाप छोड़ी।

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मिलिए बॉलवुड की ऐसी मांओं से जिन्होंने किया समाज को सोचने पर मजबूर

1. आलिया भट्ट ( गंगुबाई काठियावाड़ी)

 इस फिल्म में आलिया भट्ट ने एक प्रॉस्टिट्यूट का किरदार निभाया है जिसने समाज की कोठे और वहां अपनी रोजी रोटी के लिए काम करती महिलाओं के प्रति जो सोच को बदलने पर मजबूर किया साथ ही इस फिल्म में एक स्क्रीन में दिखाया गया है कि कैसे एक प्रॉस्टिट्यूट अपने बच्चों का एडमिशन कराने जाती है ताकि शिक्षा प्राप्त करने ने उनकी जिंदगी सवर जाएं। अगर आज से 70 साल पहले ऐसे सोच की महिला थी जिसपर ये पूरी फिल्म बनी है तो ये अपने आप में ही प्रेरणा है। एक मां अपने बच्चे के लिए हर मुमकिन से मुमकिन कोशिश कर सकती है जिससे उसके बच्चें का जीवन सवर जाए।

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2. शेफाली शाह (डार्लिंगस)

डार्लिंगस मूवी में माँ बेटी की दमदार जोड़ी दिखाई गई है कैसे वो साथ में अपने जीवन में आए हर बाधा का सामना करती हैं। इस फिल्म में शेहफाली शाह का किरदार का नाम समशू हैं जिसने वाकई कई बाउंड्रीज को तोड़ कर अपने बेटी के लिए बेहतर जिंदगी का रास्ता बनाया। एक अकेली माँ जिसने आलिया भट्ट को खुद पाल पोस कर बड़ा किया और उसे शादी तब करने दी जब उसके बॉयफ्रेंड की अच्छी जॉब लग गई। पर जब शादी के बाद बद्रू (आलिया भट्ट का किरदार) का पति उसे मारता पीटता तभी शमशू अपने बेटी के साथ खड़ी रहती और उसे इस शादी से निकलकर आजाद होने में मदद करती। यहां तक कि शमशु ने अपने ऐज की परवाह न करते हुए जुल्फी के तरफ प्यार भी दिखाया और ऐज प्यार में कोई मायने नहीं रखता इसकी अलग छाप छोड़ी।

3. नताशा रस्तोगी (थैंक यू फॉर कमिंग)

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इस मूवी में भूमि पेडणेकर का किरदार कनिका कपूर की मां का रोल नताशा रस्तोगी ने निभाया है जिसमें उनका नाम डॉक्टर बिना कपूर था जोकि पेशे से एक गायनेकोलॉजिस्ट है। इस फिल्म में यह दर्शाया गया है कि कैसे एक खुले सोच वाली मां अकेले अपने बेटी को जीवन के हर पड़ाव पर सही सलाह देकर उसे असल मायने में जीवन जीना सिखाती है। जब कनिका की उम्र 30 साल की हो गई है जिसे समाज की दायरे में ना बांध कर उस पर शादी का कोई प्रेशर ना डाले बिना अपनी जिंदगी जीना सिखाती है। और कैसे वो अपने अंडे फ्रिज करके भविष्य में बिना किसी प्रॉब्लम के माँ बन सकती है इसपर यह फिल्म बनी है। एक मां का रोल निभाते हुए डॉक्टर बिना ने अपनी बेटी को जो उसके लिए सही है वो करना सिखाया और कैसे अपने जीवन के महत्वपूर्ण फैसले जैसे शादी करना और माँ बनना जब सही लगे तब लेना चाहिए।

4. डिंपल कपाड़िया (तू जूठी मैं मक्कार)

इस फिल्म में डिंपल कपाड़िया एक सास का रोल निभाती है जिसने ना सिर्फ खुद की बेटी बल्कि अपने बहू को भी बहुत प्यार दिया है जिसे हमेशा से बनी सास की खराब इमेज को नई परिभाषा दी। इस फिल्म में दर्शाया गया है कैसे वो खुद के साथ अपने बच्चों को भी जिममेदार होना सिखाती है। अपने बेटे जैसे ही वो अपनी बहू को प्यार करती है जोकि दिखाता है कि एक मां के प्यार की कोई सीमा नहीं।

5. करीना कपूर (जाने जाना)

यह फिल्म एक मर्डर मिस्ट्री है जिसमें करीना कपूर माया ड्सूजा नामक रोल निभाती है जोकि एक मां का किरदार हैं। इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे माया को अपने प्रेगनेंट होने के बारे में पता चलते ही अपने अब्यूजिव पार्टनर को छोड़कर अपने और अपने आने वाले बच्चे के लिए इंडिपेंडेंस और आत्मा निर्भर जिंदगी जीने के लिए निकाल पड़ती है। इस वक्त उनको कई कठिनाई का सामना करना पड़ता है पर सारी मुश्किलों का सामना कर खुद को और अपनी बेटी तारा को अपने पार्टनर से बचाकर ये साबित करती हैं कि मां के लिए कुछ भी मुश्किल नहीं और वो अपने बच्चे के लिए कुछ भी कर सकती हैं।

थैंक यू फॉर कमिंग डार्लिंगस जाने जाना तू जूठी मैं मक्कार गंगुबाई काठियावाड़ी
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